भरतपुर में तार-तार हुई कांग्रेस की इज्जत
भरतपुर। भरतपुर में शनिवार को हो रही कांग्रेस की संभाग कार्यशाला में जमकर हंगामा बरपा, वर्चस्व की लड़ाई के चलते विश्वेन्द्र सिंह के समर्थकों ने अचानक धावा बोलकर कार्यशाला में जमकर तोड़फोड़ की। मंच को तोड़ दिया गया, कई कार्यकर्ताओं के साथ मारपीट की गई। कुछ कांग्रेस नेताओं के कपड़े तक फाड़ दिए गए। देखते ही देखते कार्यशाला में सन्नाटा पसर गया। यह सब वाकया प्रदेशाध्यक्ष चन्द्रभान सिंह की मौजूदगी में हुआ। प्रदेशाध्यक्ष सिंह ने इस घटना के लिए विश्वेन्द्र सिंह को जिम्मेदार ठहराते हुए इसे कायरतापूर्ण कदम करार दिया। कार्यशाला में विश्वेन्द्र के खिलाफ निंदा प्रस्ताव पारित किया गया।
चन्द्रभान हत्यारा, इस्तीफा दे: विश्वेन्द्र
कार्यशाला में जो कुछ हंगामा बरपा उसके लिए विश्वेन्द्र सिंह का साफ कहना है कि इसके लिए खुद प्रदेशाध्यक्ष जिम्मेदार है। उन्होंने प्रदेशाध्यक्ष को हत्यारा करार देते हुए कहा कि चन्द्रभान जेल जा चुके हैं उन्हें प्रदेशाध्यक्ष बने रहे का कोई हक नहीं है, उन्हें इस्तीफा दे देना चाहिए। अगर वे खुद नहीं हटते तो आलाकमान उन्हें हटाए। विश्वेन्द्र सिंह ने आरोप लगाते हुए कहा कि चन्द्रभान ने भरतपुर का माहौल खराब किया हुआ है। उनका भाजपा के पूर्व मंत्री दिगम्बर सिंह के साथ उठना बैठना है। किस पार्टी के वर्कर आपस में नहीं लड़ते पर यहां तो मामले को तूल देने में प्रदेशाध्यक्ष का हाथ है। उन्होंने चन्द्रभान को प्रदेशाध्यक्ष मानने से यह कहते हुए इनकार कर दिया कि उनके नेता तो अशोक गहलोत हैं। पार््टी आलाकमान जो कार्रवाई करेगा वह बाद में देखा जाएगा। आलाकमान की भी आंखे अब खुल जानी चाहिए कि आखिर हो क्या रहा है।
एक घंटे पहले स्वागत, बाद में हंगामा
भरतपुर में सियासत के लिए लम्बे समय से कांग्रेस नेताओं के गुटों में चल रही वर्चस्व की लड़ाई चल ही है। गत चुनाव हारने के बाद से विश्वेन्द्र सिंह भरतपुर में अपना प्रभाव कायय रखने की कोशिशों में लगे हुए हैं। भरतपुर की राजनीति को लेकर उनके प्रदेश आलाकमान से भी मतभेद बने रहे। शनिवार सुबह तक किसी को अंदाज नहीं था कि कोई बड़ा हंगामा होने को है। कुछ देर पहले ही विश्वेन्द्र ने जाट समाज केएक कार्यक्रम में चन्द्रभान का स्वागत किया था, उसके करीब एक घंटे बाद ही आलम बदल गया। विश्वेन्द्र समर्थक अचानक कार्यशाला स्थल पहुंचे और तोड़फोड़ मचा दी। इस घटना के दौरान मौके पर मौजूद पुलिस मूकदर्शक बन खड़ी रही।
भरतपुर। भरतपुर में शनिवार को हो रही कांग्रेस की संभाग कार्यशाला में जमकर हंगामा बरपा, वर्चस्व की लड़ाई के चलते विश्वेन्द्र सिंह के समर्थकों ने अचानक धावा बोलकर कार्यशाला में जमकर तोड़फोड़ की। मंच को तोड़ दिया गया, कई कार्यकर्ताओं के साथ मारपीट की गई। कुछ कांग्रेस नेताओं के कपड़े तक फाड़ दिए गए। देखते ही देखते कार्यशाला में सन्नाटा पसर गया। यह सब वाकया प्रदेशाध्यक्ष चन्द्रभान सिंह की मौजूदगी में हुआ। प्रदेशाध्यक्ष सिंह ने इस घटना के लिए विश्वेन्द्र सिंह को जिम्मेदार ठहराते हुए इसे कायरतापूर्ण कदम करार दिया। कार्यशाला में विश्वेन्द्र के खिलाफ निंदा प्रस्ताव पारित किया गया।
चन्द्रभान हत्यारा, इस्तीफा दे: विश्वेन्द्र
कार्यशाला में जो कुछ हंगामा बरपा उसके लिए विश्वेन्द्र सिंह का साफ कहना है कि इसके लिए खुद प्रदेशाध्यक्ष जिम्मेदार है। उन्होंने प्रदेशाध्यक्ष को हत्यारा करार देते हुए कहा कि चन्द्रभान जेल जा चुके हैं उन्हें प्रदेशाध्यक्ष बने रहे का कोई हक नहीं है, उन्हें इस्तीफा दे देना चाहिए। अगर वे खुद नहीं हटते तो आलाकमान उन्हें हटाए। विश्वेन्द्र सिंह ने आरोप लगाते हुए कहा कि चन्द्रभान ने भरतपुर का माहौल खराब किया हुआ है। उनका भाजपा के पूर्व मंत्री दिगम्बर सिंह के साथ उठना बैठना है। किस पार्टी के वर्कर आपस में नहीं लड़ते पर यहां तो मामले को तूल देने में प्रदेशाध्यक्ष का हाथ है। उन्होंने चन्द्रभान को प्रदेशाध्यक्ष मानने से यह कहते हुए इनकार कर दिया कि उनके नेता तो अशोक गहलोत हैं। पार््टी आलाकमान जो कार्रवाई करेगा वह बाद में देखा जाएगा। आलाकमान की भी आंखे अब खुल जानी चाहिए कि आखिर हो क्या रहा है।
एक घंटे पहले स्वागत, बाद में हंगामा
भरतपुर में सियासत के लिए लम्बे समय से कांग्रेस नेताओं के गुटों में चल रही वर्चस्व की लड़ाई चल ही है। गत चुनाव हारने के बाद से विश्वेन्द्र सिंह भरतपुर में अपना प्रभाव कायय रखने की कोशिशों में लगे हुए हैं। भरतपुर की राजनीति को लेकर उनके प्रदेश आलाकमान से भी मतभेद बने रहे। शनिवार सुबह तक किसी को अंदाज नहीं था कि कोई बड़ा हंगामा होने को है। कुछ देर पहले ही विश्वेन्द्र ने जाट समाज केएक कार्यक्रम में चन्द्रभान का स्वागत किया था, उसके करीब एक घंटे बाद ही आलम बदल गया। विश्वेन्द्र समर्थक अचानक कार्यशाला स्थल पहुंचे और तोड़फोड़ मचा दी। इस घटना के दौरान मौके पर मौजूद पुलिस मूकदर्शक बन खड़ी रही।
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