कानून के कारण नहीं बस पा रहे घर
राजस्थान में परेशान हैं सीमावर्ती गाँवों के लोग
बाड़मेर सरहदी इलाके में जमीनों की खरीद-फरोख्त के मामले उजागर होने तथा एक केन्द्रीय कानून को कड़ाई से लागू करने के फलस्वरूप राजस्थान में बाड़मेर जिले के सीमावर्ती प्रतिबंधित थाना क्षेत्रों में विवाहों पर ग्रहण-सा लग गया है।
भारत सरकार के अपराध कानून संशोधन अधिनियम 1961 के तहत राजस्थान के चार सीमावर्ती जिलों बाड़मेर, जैसलमेर, बीकानेर और गंगानगर के 22 थाना क्षेत्रों को एक यूनिट मानकर एक-दूसरे के थाना क्षेत्रों में आने-जाने के लिए जिला प्रशासन की अनुमति लेना आवश्यक है, लेकिन पुलिस एवं जिला प्रशासन ने इस बारे में कड़ाई नहीं बरती।
इस कानून की धारा 3 के तहत 12 मार्च 1996 में जारी अधिसूचना के अनुसार बाड़मेर जिले के चौहटन, रामसर, गिराब, बाखासर, गडरारोड़, सेडवा एवं बीजराड थाना क्षेत्र को अधिसूचित किया गया था। जिला जनअभाव अभियोग एवं निवारण समिति के 30 जुलाई 2007 के निर्णय के बाद से इस कानून को अत्यंत कड़ाई से लागू किया जा रहा है।
कानून की कड़ाई के चलते भारत-पाक अंतरराष्ट्रीय सीमा से 20 किलोमीटर दायरे में आए भारतीय सरहदी गाँवों में अब माता-पिता अपने बेटों के रिश्ते करने से कतराने लगे हैं। इस कारण कई लड़कियाँ कुँवारी बैठी हैं और गाँवों में शहनाई नहीं बज रही है।
प्रतिबंधित थाना क्षेत्रों में रिश्ते नाते जोड़ने में आए अवरोध के साथ इस इलाके से दूसरे क्षेत्र में आने-जाने पर भी रोक लग गई है। यह कानून ग्रामीणों तथा स्थानीय निवासियों के लिए काले पानी की सजा के समान हो गया है।
बाड़मेर जिले के प्रतिबंधित थाना क्षेत्रों से जिला मुख्यालय तक आने-जाने तथा अन्य इलाकों से प्रतिबंधित क्षेत्र में जाने के लिए जिला प्रशासन से अनुमति लेने के लिए लंबी-चौड़ी खानापूर्ति करना हर किसी के बस की बात नहीं।
प्रतिबंधित थाना क्षेत्रों के लोगों को एक-दूसरे के यहाँ आने-जाने में भी काफी समस्याओं का सामना करना पड़ता है। बाखासर से बाड़मेर आने-वाले स्थानीय व्यक्ति को मुख्यालय तक आने के लिए सडेवा तथा चौहटन क्षेत्र को पार करने में कानून का उल्लंघन करना होगा। इसी तरह गडरारोड़ में रहने वाले को रामसर थाना क्षेत्र पार कर बाड़मेर आना होगा। गडरारोड़ बाखासर में बैठा व्यक्ति भी जिला मुख्यालय नहीं आ पाएगा।
जिला प्रशासन ने भी स्वीकार किया कि अब यह कानून कड़ाई से लागू किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि जिले के निवासियों को इस कानून में आवश्यक छूट देने के लिए सेक्टर-9 में संशोधन का प्रस्ताव राज्य सरकार के माध्यम से केन्द्र को भिजवाया गया है।
पुलिस सूत्रों ने बताया कानून के उल्लंघन के मामले जरिये अदालत इस्तगासे मुकदमे दर्ज होते हैं। पिछले एक वर्ष में 316 मामले दर्ज हो चुके हैं।
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