शुक्रवार, 11 मई 2012

हिरोशिमा की तरह मक्का-मदीना को बर्बाद करेगा अमेरिका?



वॉशिंगटन. दुनिया भर को 'धार्मिक सहिष्णुता' और 'आज़ादी' की नसीहत देने वाले अमेरिका के सैनिकों को इस्लाम के खिलाफ जंग के लिए तैयार किए जाने का मामला सामने आया है। अमेरिकी सैन्य अधिकारियों के लिए तैयार कोर्स में यह पढ़ाया जा रहा था कि अमेरिका मुस्लिमों के खिलाफ जंग लड़ रहा है। कोर्स में इस्लाम को 'दुश्मन' करार दिया गया है। विवादास्पद पाठ्यक्रम के मुताबिक द्वितीय विश्व युद्ध में हिरोशिमा की तर्ज पर अमेरिका को अंत में जाकर मक्का और मदीना जैसे पवित्र इस्लामिक शहरों के वजूद को मिटाना पड़ सकता है।
 
दूसरे विश्व युद्ध में हिरोशिमा और नागासकी पर अमेरिका ने परमाणु हमले कर इन्हें तबाह कर दिया था। पाकिस्तान अखबार डॉन में छपी खबर में कहा गया है कि यह पाठ्यक्रम अमेरिकी अधिकारियों के उस रुख से बिल्कुल उलट है, जिसमें बीते एक दशक से वे कहते रहे हैं कि अमेरिका की लड़ाई उन आतंकवादियों के खिलाफ है जो इस्लाम के संदेशों के उलट काम कर रहे हैं और यह लड़ाई इस्लाम धर्म के खिलाफ नहीं है।

हालांकि, अमेरिकी रक्षा विभाग ने ज़्वॉइंट स्टाफ कॉलेज में पढ़ाए जा रहे इस भड़काऊ पाठ्यक्रम पर पिछले महीने ही रोक लगा दी थी। लेकिन इस पाठ्यक्रम में क्या पढ़ाया जा रहा था, इसका खुलासा अब हुआ है। अमेरिका के ज़्वॉइंट चीफ्स ऑफ स्टाफ के अध्यक्ष जनरल मार्टिन डेंप्से ने पाठ्यक्रम को आपत्तिजनक, गैरजिम्मेदाराना और धार्मिक आज़ादी के अमेरिकी मूल्यों के खिलाफ करार दिया है। गौरतलब है कि अमेरिकी सेना ही नही बल्कि जांच एजेंसी एफबीआई ने भी अपने एजेंटों की वह ट्रेनिंग रोक दी थी, जिसे इस्लाम के खिलाफ बताया गया था।



अमेरिकी सेना के अफसर लेफ्टिनेंट कर्नल मैथ्यू डूले ने बतौर इंस्ट्रक्टर अमेरिकी सैन्य अफसरों को यह विवादित पाठ्यक्रम पढ़ाया था। डूले ने जो विवादित प्रेजेंटेशन दिया था, उसकी कॉपी Wired.com के डैंजर रूम ब्लॉग ने इंटरनेट पर डाल दिया है। पेंटागन के प्रवक्ता ने इंटरनेट पर उपलब्ध कोर्स की पुष्टि की है। डूले वर्जीनिया के नॉरफॉक में मौजूद ज्वॉइंट स्टाफ कॉलेज में पढ़ा चुके हैं। डूले विवाद के सामने आने के बावजूद कॉलेज से जुड़े हुए हैं, लेकिन वह पढ़ा नहीं रहे हैं।

 
 

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें