शुक्रवार, 4 मई 2012

सिंधियों को अल्पसंख्यक में शामिल करने की याचिका खारिज

कानून बनाने का काम न्यायपालिका का नहीं है बल्कि विधायिका का है 
जयपुर। हाईकोर्ट ने सिंधियों को अल्पसंख्यक वर्ग में शामिल करने की गुहार वाली याचिका को खारिज करते हुए कहा कि यह कानून बनाने का काम न्यायपालिका का नहीं है बल्कि विधायिका का है। प्रार्थी इस संबंध में सरकार को प्रतिवेदन देने के लिए स्वतंत्र हैं।
मुख्य न्यायाधीश अरुण मिश्रा व न्यायाधीश एन.के.जैन की खंडपीठ ने यह आदेश सिंधी समाज के प्रदेश महासचिव अशोक नेताई की याचिका को खारिज करते हुए दिया। याचिका में कहा कि सिंधी 1947 में देश विभाजन के दौरान सिंध से आए थे। लेकिन इन्हें सरकार ने अल्पसंख्यक वर्ग में शामिल नहीं किया। जबकि राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग एक्ट 1992 के तहत सिंधी मुस्लिम को अल्पसंख्यक में शामिल कर लिया है जबकि उन्हें दयनीय स्थिति होने के कारण भी अल्पसंख्यक वर्ग में शामिल नहीं किया गया। इसलिए उन्हें अल्पसंख्यक वर्ग में शामिल करने का निर्देश दिया जाए। लेकिन अदालत ने याचिका खारिज कर दी।

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