शुक्रवार, 18 मई 2012

अब गांवों में ड्यूटी देंगे "एमबीबीएस"

अब गांवों में ड्यूटी देंगे "एमबीबीएस"
नई दिल्ली। ग्रामीण क्षेत्रों में डाक्टरों की भारी कमी को देखते हुए सरकार एमबीबीएस की डिग्री हासिल करने पर हर डाक्टर का एक वर्ष गांवों में काम करना अनिवार्य बनाएगी।

स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री गुलाम नबी आजाद ने शुक्रार को लोकसभा में प्रश्नकाल के दौरान कहा कि डाक्टर ग्रामीण क्षेत्रों में नहीं जाते हैं। उन्होंने कहा कि लगता है डाक्टरों ने ग्रामीण क्षेत्रों में नहीं जाने की ठान ली है। यह देखते हुए सरकार भारतीय चिकित्सा परिषद के साथ विचार विमर्श कर यह नीति बनाना चाहती है कि एमबीबीएस की डिग्री लेने पर एक वर्ष ग्रामीण क्षेत्र में जाना अनिवार्य हो।

उन्होंने बताया कि डाक्टरों को ग्रामीण क्षेत्रों में जाने के लिए प्रोत्साहित करने की खातिर एमसीआई ने 2009-10 में नियमों में कुछ परिवर्तन किए थे। सेवारत एमबीबीएस डाक्टरों के तीन वर्ष किसी ग्रामीण क्षेत्र में काम करने पर एमडी डिप्लोमा में 50 प्रतिशत सीटें आरक्षित की गई।

इसके अलावा नये एमबीबीएस डाक्टर के एक वर्ष ग्रामीण क्षेत्र में काम करने पर एमडी की राष्ट्रीय प्रवेश परीक्षा में दस प्रतिशत अंक, दो वर्ष काम करने पर 20 प्रतिशत तथा तीन वर्ष काम करने पर 30 प्रतिशत अंक जोड़ने का प्रावधान किया गया लेकिन इसके कोई खास परिणाम सामने नहीं आए हैं।

आजाद ने बताया कि इस समय ऎसे सही आंकडे नहीं है कि देश में कुल कितने डाक्टर प्रैक्टिस कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि एमसीआई की वार्षिक रिपोर्ट के अनुसार गत वर्ष 31 मार्च तक पंजीकृत मेडिकल प्रैक्टिशनर की कुल संख्या आठ लाख 40 हजार 130 थी। उन्होंने कहा कि कुछ डाक्टर तीन-तीन राज्यों में पंजीकरण करा देते हैं और इस तरह एमसीआई के पास जो आंकडे पहुंचते हैं उनमें संख्या वास्तविक संख्या से ज्यादा आती है।

इस समय किसी डाक्टर के प्रैक्टिस से हटने पर भी एमसीआई के रजिस्टर से उसका नाम बना रहता है। इसके कारण भी प्रैक्टिस कर रहे डाक्टरों की सही संख्या का पता नहीं चल सकता। आजाद ने कहा कि 1956 से ही ये कमियां चली आ रही हैं। अब एमसीआई के साथ विचार विमर्श कर इन्हें दूर करने का निर्णय लिया गया है और असली पंजीकरण कितने है यह एक-दो वर्ष में पता चल सकेगा।

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