महाराणा प्रताप विश्व के आदर्श
बाड़मेर। स्वतंत्रता के पूजारी और हिन्दवा सूरज महाराणा प्रताप की 473वीं जयंती राणीगांव में चल रहे क्षत्रिय युवक संघ के उच्च प्रशिक्षण शिविर में संघ प्रमुख भगवानसिंह रोलसाहबसर के सान्निध्य में मनाई गई जिसमें समाज के सैकड़ों लोगो ने शिरकत कर महाराणा प्रताप को याद किया। संघ के नगर प्रमुख दीपसिंह राणधा ने बताया कि समारोह का आगाज जोधपुर प्रांत प्रमुख प्रेमसिंह रणधा ने मातृ वंदना के साथ किया। भगवानसिंह रोलसाहबसर ने प्रताप के चित्र पर पुष्प अर्पित कर श्रद्धांजलि दी।
समारोह में उपस्थित पुरूषों व महिलाओं ने भी प्रताप को श्रद्धासुमन अर्पित किए। संभाग प्रमुख रामसिंह माडपुरा ने सहगान प्रस्तुत किए। संघ संस्थापक पूज्य तनसिंह द्वारा रचित लेख चेतक की समाधि से का सस्वर वाचन विस्तार प्रमुख लक्ष्मणसिह वेण्यां का वास ने किया। शिक्षाविद कमलसिंह चूली, समाजसेवी प्रेमसिंह लखा, स्वरूपसिंह खारा, एडवोकेट स्वरूपसिंह चाडी, वरिष्ठ नेता आदूराम मेघवाल, मयुर नोबल्स एकेडमी के प्रबंध रेवंतसिंह राणासर, सरस्वती विद्यामंदिर के प्रबंधक बालसिंह मारूड़ी, कोटड़ा सरपंच ईश्वरसिंह, सरपंच उगमसिंह राणीगांव, सहकारी समिति अध्यक्ष भूरसिंह राणीगांव, शिक्षक नेता शेरसिंह भुरटिया, युवा नेता लीलसिंह उण्डखा ने भी प्रताप को याद कर पुष्प अर्पित किए।
संचालन लक्ष्मणसिंह वेण्यां का वास ने किया। भगवानसिंह रोलसाहबसर ने कहा कि महाराणा प्रताप क्षत्रिय समाज व देश के ही नहीं विश्व इतिहास में एक आदर्श है, जो आजीवन भोग, ऎश्वर्य और महलों के वैभव तथा अकबर के प्रलोभन को ठोकर मारकर स्वतंत्रता के लिए लड़े। उन्होंने कहा कि तनसिंह द्वारा सृजित प्रताप के मार्ग पर चलते हुए क्षत्रिय युवक संघ के संस्कार शिविरों के माध्यम से कष्ट सहिष्णुता का अभ्यास कर रहे है। उन्होंने इस अवसर मातृशक्ति को आगे बढ़ने के अवसर देने की बात भी कही।
बाड़मेर। स्वतंत्रता के पूजारी और हिन्दवा सूरज महाराणा प्रताप की 473वीं जयंती राणीगांव में चल रहे क्षत्रिय युवक संघ के उच्च प्रशिक्षण शिविर में संघ प्रमुख भगवानसिंह रोलसाहबसर के सान्निध्य में मनाई गई जिसमें समाज के सैकड़ों लोगो ने शिरकत कर महाराणा प्रताप को याद किया। संघ के नगर प्रमुख दीपसिंह राणधा ने बताया कि समारोह का आगाज जोधपुर प्रांत प्रमुख प्रेमसिंह रणधा ने मातृ वंदना के साथ किया। भगवानसिंह रोलसाहबसर ने प्रताप के चित्र पर पुष्प अर्पित कर श्रद्धांजलि दी।
समारोह में उपस्थित पुरूषों व महिलाओं ने भी प्रताप को श्रद्धासुमन अर्पित किए। संभाग प्रमुख रामसिंह माडपुरा ने सहगान प्रस्तुत किए। संघ संस्थापक पूज्य तनसिंह द्वारा रचित लेख चेतक की समाधि से का सस्वर वाचन विस्तार प्रमुख लक्ष्मणसिह वेण्यां का वास ने किया। शिक्षाविद कमलसिंह चूली, समाजसेवी प्रेमसिंह लखा, स्वरूपसिंह खारा, एडवोकेट स्वरूपसिंह चाडी, वरिष्ठ नेता आदूराम मेघवाल, मयुर नोबल्स एकेडमी के प्रबंध रेवंतसिंह राणासर, सरस्वती विद्यामंदिर के प्रबंधक बालसिंह मारूड़ी, कोटड़ा सरपंच ईश्वरसिंह, सरपंच उगमसिंह राणीगांव, सहकारी समिति अध्यक्ष भूरसिंह राणीगांव, शिक्षक नेता शेरसिंह भुरटिया, युवा नेता लीलसिंह उण्डखा ने भी प्रताप को याद कर पुष्प अर्पित किए।
संचालन लक्ष्मणसिंह वेण्यां का वास ने किया। भगवानसिंह रोलसाहबसर ने कहा कि महाराणा प्रताप क्षत्रिय समाज व देश के ही नहीं विश्व इतिहास में एक आदर्श है, जो आजीवन भोग, ऎश्वर्य और महलों के वैभव तथा अकबर के प्रलोभन को ठोकर मारकर स्वतंत्रता के लिए लड़े। उन्होंने कहा कि तनसिंह द्वारा सृजित प्रताप के मार्ग पर चलते हुए क्षत्रिय युवक संघ के संस्कार शिविरों के माध्यम से कष्ट सहिष्णुता का अभ्यास कर रहे है। उन्होंने इस अवसर मातृशक्ति को आगे बढ़ने के अवसर देने की बात भी कही।
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