दब गया 20 किलो अफीम का मामला!
बाड़मेर। करीब तीन वर्ष पहले भारत-पाक बॉर्डर बरामद बीस किलो अफीम का मामला दबकर रह गया। यह सवाल आज भी अनुत्तरित है कि अफीम कहां से आई, उस समय जिन दो जनों के नाम इस मामले में उजागर किए गए, उनके खिलाफ कार्रवाई क्यों नहीं हुई?
नारकोटिक्स कण्ट्रोल ब्यूरो की टीम ने 30 जुलाई 2008 की रात मुनाबाव बॉर्डर पर मराठा हिल सीमा चौकी के पास कथित तौर पर अफगानिस्तान निर्मित बीस किलो अफीम बरामद की। सीजर करने वाले नारकोटिक्स के अधिकारियों ने दावा किया था कि तीस जुलाई की रात करीब ढाई बजे सीमा पार से दो जने जीरो लाइन पार कर भारतीय सीमा में प्रवेश कर तारबंदी तक आ पहुंचे।
घुसपैठियों ने तारबंदी पर चढ़कर एक कट्टा था, इस पार (भारत की ओर) फैंक दिया। कट्टे में बीस किलो अफीम थी। तारबंदी के पास दो जनों ने इस डिलीवरी को रिसीव किया। नारकोटिक्स के अनुसार दोनों की पहचान कर ली गई, लेकिन वे अफीम फैंककर भागने में सफल रहे। उस समय बीएसएफ ने सीमा पार से घुसपैठ होने से इनकार किया। बीएसएफ व नारकोटिक्स कण्ट्रोल ब्यूरो की रिपोर्ट में विरोधाभास रहा और पूरा मामला संदेह के दायरे में आ गया, लेकिन अफीम की बरामदगी को लेकर कोई संदेह नहीं रहा।
गृहमंत्री को भेजा ज्ञापन
खलीफे की बावड़ी निवासी खुदा दोस्त उर्फ कालाखां ने केन्द्रीय गृहमंत्री, डीआईजी पुलिस जोधपुर, क्षेत्रीय निदेशक नारकोटिक्स कण्ट्रोल ब्यूरो को ज्ञापन भेजकर बताया कि नारे का पार मराठा हिल सीमा चौकी के पास जिन दो जनों ने बीस किलो अफीम की डिलीवरी ली थी, उन्हें नारकोटिक्स ब्यूरो ने नोटिस भेजे थे, जो कई महीनों तक आते रहे, लेकिन बाद में नोटिस आना बंद हो गए। प्रार्थी ने आरोप लगाया कि मामले को दबा दिया गया। वर्तमान में दोनों खुले आम घूम रहे हैं और राष्ट्रविरोधी गतिविधियों में लिप्त हैं, लेकिन किन्हीं कारणों से बचे हुए हैं। ज्ञापन में प्रार्थी ने इस मामले में प्रभावी कार्रवाई की मांग की है।
जांच जारी है
यह मामला 2008 का है। 20 किलो अफीम बरामद होने के मामले में जांच जारी है।
विशन नायक क्षेत्रीय निदेशक, नारकोटिक केन्ट्रोल ब्यूरो, जोधपुर
नोटिस की जानकारी नहीं
वर्ष 2008 में अफीम बरामदगी का मामला तो हुआ था, लेकिन नारकोटिक्स ने किसी को नोटिस दिया, इसकी जानकारी पुलिस के पास के नहीं है। पुलिस थाने में कोई मामला दर्ज नहीं हुआ।
हुकमाराम थानाधिकारी, पुलिस थाना गडरारोड
बाड़मेर। करीब तीन वर्ष पहले भारत-पाक बॉर्डर बरामद बीस किलो अफीम का मामला दबकर रह गया। यह सवाल आज भी अनुत्तरित है कि अफीम कहां से आई, उस समय जिन दो जनों के नाम इस मामले में उजागर किए गए, उनके खिलाफ कार्रवाई क्यों नहीं हुई?
नारकोटिक्स कण्ट्रोल ब्यूरो की टीम ने 30 जुलाई 2008 की रात मुनाबाव बॉर्डर पर मराठा हिल सीमा चौकी के पास कथित तौर पर अफगानिस्तान निर्मित बीस किलो अफीम बरामद की। सीजर करने वाले नारकोटिक्स के अधिकारियों ने दावा किया था कि तीस जुलाई की रात करीब ढाई बजे सीमा पार से दो जने जीरो लाइन पार कर भारतीय सीमा में प्रवेश कर तारबंदी तक आ पहुंचे।
घुसपैठियों ने तारबंदी पर चढ़कर एक कट्टा था, इस पार (भारत की ओर) फैंक दिया। कट्टे में बीस किलो अफीम थी। तारबंदी के पास दो जनों ने इस डिलीवरी को रिसीव किया। नारकोटिक्स के अनुसार दोनों की पहचान कर ली गई, लेकिन वे अफीम फैंककर भागने में सफल रहे। उस समय बीएसएफ ने सीमा पार से घुसपैठ होने से इनकार किया। बीएसएफ व नारकोटिक्स कण्ट्रोल ब्यूरो की रिपोर्ट में विरोधाभास रहा और पूरा मामला संदेह के दायरे में आ गया, लेकिन अफीम की बरामदगी को लेकर कोई संदेह नहीं रहा।
गृहमंत्री को भेजा ज्ञापन
खलीफे की बावड़ी निवासी खुदा दोस्त उर्फ कालाखां ने केन्द्रीय गृहमंत्री, डीआईजी पुलिस जोधपुर, क्षेत्रीय निदेशक नारकोटिक्स कण्ट्रोल ब्यूरो को ज्ञापन भेजकर बताया कि नारे का पार मराठा हिल सीमा चौकी के पास जिन दो जनों ने बीस किलो अफीम की डिलीवरी ली थी, उन्हें नारकोटिक्स ब्यूरो ने नोटिस भेजे थे, जो कई महीनों तक आते रहे, लेकिन बाद में नोटिस आना बंद हो गए। प्रार्थी ने आरोप लगाया कि मामले को दबा दिया गया। वर्तमान में दोनों खुले आम घूम रहे हैं और राष्ट्रविरोधी गतिविधियों में लिप्त हैं, लेकिन किन्हीं कारणों से बचे हुए हैं। ज्ञापन में प्रार्थी ने इस मामले में प्रभावी कार्रवाई की मांग की है।
जांच जारी है
यह मामला 2008 का है। 20 किलो अफीम बरामद होने के मामले में जांच जारी है।
विशन नायक क्षेत्रीय निदेशक, नारकोटिक केन्ट्रोल ब्यूरो, जोधपुर
नोटिस की जानकारी नहीं
वर्ष 2008 में अफीम बरामदगी का मामला तो हुआ था, लेकिन नारकोटिक्स ने किसी को नोटिस दिया, इसकी जानकारी पुलिस के पास के नहीं है। पुलिस थाने में कोई मामला दर्ज नहीं हुआ।
हुकमाराम थानाधिकारी, पुलिस थाना गडरारोड
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