शनिवार, 5 मई 2012

कलयुग के अधिपति नायक देवता न्यायाधीश के पद पर विराजित शनि 19 मई,2012 (शनिवार ) से राशि बदलकर तुला से कन्या में आएगा।

कलयुग के अधिपति नायक देवता न्यायाधीश के पद पर विराजित शनि 19 मई,2012 (शनिवार ) से राशि बदलकर तुला से कन्या में आएगा।

स्वामी विशाल चैतन्य

वैसे तो शनि करीब ढाई साल तक एक ही राशि में रुकता है लेकिन अभी शनि
वक्री है और इसी वजह से यह पीछे की ओर राशि बदलकर कन्या में जाएगा।
ज्योतिष एवमं वास्तु विशेषज्ञ पंडित दयानंद शास्त्री के अनुसार 19 मई 2012 की दोपहर 2
बजकर 30 मिनट से वक्री शनि कन्या राशि में वापस प्रवेश करेगा। जो 26 जून
2012 की सुबह 5 बजकर 40 मिनट से मार्गी होकर 1 अगस्त 2012 को वापस उच्च का
होकर तुला राशि में लौट आएगा।
ज्योतिष एवमं वास्तु विशेषज्ञ पंडित दयानंद शास्त्री के अनुसार शनि का वक्री होने का प्रभाव सभी राशियों पर
पड़ेगा। विशेषकर 19 मई से 1 अगस्त 2012 के मध्य में वक्री शनि का प्रभाव
ज्यादा दिखाई देगा। इसके अलावा यह केवल प्राकृतिक आपदा का कारक बन सकता है।
शनि का तुला राशि में वक्री होने से तूफान, चक्रवात, भूकंपन, बाढ़ आदि की
संभावनाएं बन रही हैं। लोगों को मंहगाई का सामना कर पड़ सकता है। इसके
अलावा व्यक्तिगत जीवन में यह किसी को परेशान नहीं करेगा। जिस राशियों में
शनि का ढैय्या या साढ़ेसाती चल रही है उन्हें भी कुछ समय के लिए राहत होगी।
अभी कन्या, तुला और वृश्चिक राशि पर साढ़ेसाती है। मीन तथा कर्क राशि पर
ढैय्या चल रही है।
अब 19 मई से एक अगस्त तक शनि कन्या राशि में रहेगा। इसकारण सिंह, कन्या,
तुला राशि पर साढेसाती हो जाएगी।
मिथुन एवं कुंभ राशि पर पुन: ढैय्या का
प्रभाव रहेगा। वृश्चिक, कर्क एवं मीन राशि शनि के सीधे प्रभाव से मुक्त हो
जाएगी।
ज्योतिष एवमं वास्तु विशेषज्ञ पंडित दयानंद शास्त्री अनुसार इन पांच राशियों पर शनि का सीधा असर रहेगा-
सिंह राशि के लिए ----यह स्थिति लाभकारी रहेगी।
कन्या राशि के लिए---इस राशी के लोगों को इस दौरान मिश्रित फल प्राप्त होंगे।
तुला राशि के लिए---इस राशी के लोगों को परिश्रम से लाभ प्राप्त होगा।
मिथुन राशि के लिए---इस राशी वालों को सम्मान मिलेगा और यात्राएं करवाएगा।
कुंभ राशि के लिए---इस राशी वालों को धन प्राप्ति तथा जमीन से लाभ प्राप्त होगा।

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