रिश्वत लेने वाले बंगारू खाएंगे जेल की हवा
नई दिल्ली। रिश्वत लेने के 11 साल पुराने मामले में भाजपा के तत्कालीन अध्यक्ष बंगारू लक्ष्मण को शुक्रवार को सीबीआई की एक अदालत ने दोषी करार दिया। यह पहला मौका है जब किसी पार्टी के अध्यक्ष को ऎसे किसी मामले में दोषी ठहराया गया है। बंगारू लक्ष्मण को फर्जी हथियार डीलरों से कैमरे पर रिश्वत लेते दिखाया गया था। इस मामले में उन्हें सजा शनिवार को सुनाई जाएगी। दोषी करार दिए जाने के बाद सीबीआई ने बंगारू लक्ष्मण को हिरासत में ले लिया।
बंगारू लक्ष्मण को प्रिवेंशन ऑफ करप्शन एक्ट के तहत दोषी करार दिया गया। दोषी करार दिए जाने के समय बंगारू लक्ष्मण अपने परिवार के साथ कोर्ट में ही मौजूद थे। अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश कंवलजीत अरोड़ा ने भ्रष्टाचार के मामले में फैसले को तीन अप्रैल को सुरक्षित रख लिया था।
न्यूजपोर्टल तहलका डॉट कॉम द्वारा 2001 में कराए गए स्टिंग "ऑपरेशन वेस्टविंड" में बंगारू कैमरे पर धन लेते हुए पकड़े गए थे। पोर्टल ने 2001 में वीडियो सीडी जारी की थी जिसके बाद राजनीतिक तूफान उठ खड़ा हुआ था। इसके बाद बंगारू को भाजपा प्रमुख पद से इस्तीफा देना पड़ा था। पत्रकारों ने खुद को ब्रिटेन की फर्जी कंपनी वेस्ट एंड इंटरनेशनल का प्रतिनिधि बताया था और भारतीय सेना के लिए हाथ में रखे जाने वाले थर्मल इमेजर्स की आपूर्ति के लिए मंत्रालय से अनुशंसा करने की मांग की थी।
सीबीआई के आरोप पत्र के मुताबिक, तहलका के पत्रकारों ने 23 दिसंबर 2000 से सात जनवरी 2001 के बीच बंगारू के साथ आठ बैठकें की और खुद को रक्षा से संबंधित उत्पादों का आपूर्तिकर्ता बताया। सीबीआई ने आरोप लगाया था कि बंगारू ने कथित प्रतिष्ठान से प्रतिनिधियों से साल 2001 में एक लाख रूपए अपने कार्यालय में लिए थे।
नई दिल्ली। रिश्वत लेने के 11 साल पुराने मामले में भाजपा के तत्कालीन अध्यक्ष बंगारू लक्ष्मण को शुक्रवार को सीबीआई की एक अदालत ने दोषी करार दिया। यह पहला मौका है जब किसी पार्टी के अध्यक्ष को ऎसे किसी मामले में दोषी ठहराया गया है। बंगारू लक्ष्मण को फर्जी हथियार डीलरों से कैमरे पर रिश्वत लेते दिखाया गया था। इस मामले में उन्हें सजा शनिवार को सुनाई जाएगी। दोषी करार दिए जाने के बाद सीबीआई ने बंगारू लक्ष्मण को हिरासत में ले लिया।
बंगारू लक्ष्मण को प्रिवेंशन ऑफ करप्शन एक्ट के तहत दोषी करार दिया गया। दोषी करार दिए जाने के समय बंगारू लक्ष्मण अपने परिवार के साथ कोर्ट में ही मौजूद थे। अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश कंवलजीत अरोड़ा ने भ्रष्टाचार के मामले में फैसले को तीन अप्रैल को सुरक्षित रख लिया था।
न्यूजपोर्टल तहलका डॉट कॉम द्वारा 2001 में कराए गए स्टिंग "ऑपरेशन वेस्टविंड" में बंगारू कैमरे पर धन लेते हुए पकड़े गए थे। पोर्टल ने 2001 में वीडियो सीडी जारी की थी जिसके बाद राजनीतिक तूफान उठ खड़ा हुआ था। इसके बाद बंगारू को भाजपा प्रमुख पद से इस्तीफा देना पड़ा था। पत्रकारों ने खुद को ब्रिटेन की फर्जी कंपनी वेस्ट एंड इंटरनेशनल का प्रतिनिधि बताया था और भारतीय सेना के लिए हाथ में रखे जाने वाले थर्मल इमेजर्स की आपूर्ति के लिए मंत्रालय से अनुशंसा करने की मांग की थी।
सीबीआई के आरोप पत्र के मुताबिक, तहलका के पत्रकारों ने 23 दिसंबर 2000 से सात जनवरी 2001 के बीच बंगारू के साथ आठ बैठकें की और खुद को रक्षा से संबंधित उत्पादों का आपूर्तिकर्ता बताया। सीबीआई ने आरोप लगाया था कि बंगारू ने कथित प्रतिष्ठान से प्रतिनिधियों से साल 2001 में एक लाख रूपए अपने कार्यालय में लिए थे।
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