जयपुर। चिकित्सा राज्य मंत्री राजकुमार शर्मा को विधानसभा में गाली देने वाले विधायक हनुमान बेनीवाल को मंगलवार को विधानसभा से निलंबित किया गया है। उप मुख्य सचेतक रतन देवासी ने बेनीवाल को निलंबित करने का प्रस्ताव रखा। प्रस्ताव पारित होने के बाद विधानसभा उपाध्यक्ष रामनारायण मीणा ने बेनीवाल को निलंबित कर दिया। सोमवार को सदन में अनुदान मांगों पर बहस के दौरान बेनीवाल ने चिकित्सा राज्य मंत्री के खिलाफ गाली गलौच की थी। पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे सहित भाजपा के कई नेताओं के खिलाफ सार्वजनिक बयानबाजी के कारण बेनीवाल को भाजपा से भी निलंबित कर दिया गया था।
समिति ने पाया दोषी
विधानसभा उपाध्यक्ष ने मामले की जांच के लिए एक समिति गठित की थी। समिति ने विधानसभा की कार्यवाही की फुटेज देखने के बाद बेनीवाल को दोषी पाया। समिति में संसदीय कार्य मंत्री शांतिलाल धारीवाल, पर्यटन मंत्री बीना काक, कृषि मंत्री हरजीराम बुरडक, मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के अमराराम, भाजपा के घनश्याम तिवाड़ी, गुलाब चन्द कटारिया एवं दिगम्बर सिंह, विधायक रतन देवासी, रामहेत यादव, जीवाराम चौधरी तथा पेमाराम शामिल थे।
भाजपा ने किया बहिष्कार
बेनीवाल ने खुद को विधानसभा से निलंबित किए जाने के फैसले को एकतरफा कार्रवाई बताया है। उन्होंने कहा है कि प्रदेश सरकर को इस कार्रवाई के लिए गंभीर परिणाम भुगतने होंगे। भाजपा ने बेनीवाल के खिलाफ एकतरफा कार्रवाई का विरोध किया है। भाजपा ने एकतरफाई कार्रवाई के विरोध में सदन से बहिष्कार किया। पूर्व मंत्री गोलमा देवी और माकपा विधायकों ने बेनीवाल को निलंबित करने का विरोध करते हुए सदन से बहिष्कार किया।
चार बार हुई कार्रवाई स्थगित
विधानसभा में मंगलवार को बेनीवाल के मामले पर जमकर हंगामा हुआ। हंगामे के चलते न तो प्रश्न काल हुआ न ही शून्यकाल। हंगामे के कारण विधानसभा की कार्यवाही चार बार के लिए स्थगित हुई। हंगामे के दौरान तीन मंत्री और संसदीय सचिव वैल में आकर उपाध्यक्ष से व्यवस्था देने की मांग करने लगे। इस दौरान भाजपा विधायकों ने भी नारेबाजी की।
दूसरी बार कार्यवाही शुरू होते ही प्रतिपक्ष के उपनेता घनश्याम तिवाड़ी ने कहा कि सदन की गरिमा को तार-तार करने वाले सदस्य के खिलाफ कार्रवाई के बाद ही सदन को चलाया जाए। उन्होंने कहा कि दोष का निर्धारण होने तक ऎसे सदस्य का कार्यवाही में शामिल होना उचित नहीं है। संसदीय कार्यमंत्री शांति धारीवाल ने कहा कि सोमवार को जो घटनाक्रम हुआ वह निंदनीय है।
उन्होंने कहा कि जनता के लिए कानून बनाने वाले ही कानून की धज्जियां उड़ाए,यह न्याय की दृष्टि से अनुचित है। तिवाड़ी ने कहा कि प्रतिपक्ष सरकार का पूर्ण सहयोग करने को तैयार है लेकिन सदन की कार्यवाही फिर से शुरू करने से पहले फुटेज दिखा कर निर्णय कर लिया जाए। धारीवाल ने कहा कि
हमारी गंभीरता पर शक नहीं करना चाहिए।
उन्होंने कहा कि सदन में कल जैसे अमर्यादित आचरण को देख कर लगता है कि सदन भिण्डी बाजार बन जाएगा। उन्होंने सदस्यों को आश्वस्त किया कि फुटेज देख कर फैसला कर लिया जाएगा। भाजपा के देवी सिंह भाटी ने कहा कि सदन की कार्यवाही गरिमामय वातावरण में चलाने के लिए विपक्ष के उपनेता की राय को मान लिया जाए। उन्होंने कहा कि इसमें आसन की ओर से ढिलाई बरती गई तो उचित नहीं होगा। इस बीच गृह रक्षा एवं नागरिक सुरक्षा राज्यमंत्री राजेन्द्र सिंह गुढा ने कहा कि इस मुद्दे पर वोटिंग करा लेनी चाहिए।
समिति ने पाया दोषी
विधानसभा उपाध्यक्ष ने मामले की जांच के लिए एक समिति गठित की थी। समिति ने विधानसभा की कार्यवाही की फुटेज देखने के बाद बेनीवाल को दोषी पाया। समिति में संसदीय कार्य मंत्री शांतिलाल धारीवाल, पर्यटन मंत्री बीना काक, कृषि मंत्री हरजीराम बुरडक, मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के अमराराम, भाजपा के घनश्याम तिवाड़ी, गुलाब चन्द कटारिया एवं दिगम्बर सिंह, विधायक रतन देवासी, रामहेत यादव, जीवाराम चौधरी तथा पेमाराम शामिल थे।
भाजपा ने किया बहिष्कार
बेनीवाल ने खुद को विधानसभा से निलंबित किए जाने के फैसले को एकतरफा कार्रवाई बताया है। उन्होंने कहा है कि प्रदेश सरकर को इस कार्रवाई के लिए गंभीर परिणाम भुगतने होंगे। भाजपा ने बेनीवाल के खिलाफ एकतरफा कार्रवाई का विरोध किया है। भाजपा ने एकतरफाई कार्रवाई के विरोध में सदन से बहिष्कार किया। पूर्व मंत्री गोलमा देवी और माकपा विधायकों ने बेनीवाल को निलंबित करने का विरोध करते हुए सदन से बहिष्कार किया।
चार बार हुई कार्रवाई स्थगित
विधानसभा में मंगलवार को बेनीवाल के मामले पर जमकर हंगामा हुआ। हंगामे के चलते न तो प्रश्न काल हुआ न ही शून्यकाल। हंगामे के कारण विधानसभा की कार्यवाही चार बार के लिए स्थगित हुई। हंगामे के दौरान तीन मंत्री और संसदीय सचिव वैल में आकर उपाध्यक्ष से व्यवस्था देने की मांग करने लगे। इस दौरान भाजपा विधायकों ने भी नारेबाजी की।
दूसरी बार कार्यवाही शुरू होते ही प्रतिपक्ष के उपनेता घनश्याम तिवाड़ी ने कहा कि सदन की गरिमा को तार-तार करने वाले सदस्य के खिलाफ कार्रवाई के बाद ही सदन को चलाया जाए। उन्होंने कहा कि दोष का निर्धारण होने तक ऎसे सदस्य का कार्यवाही में शामिल होना उचित नहीं है। संसदीय कार्यमंत्री शांति धारीवाल ने कहा कि सोमवार को जो घटनाक्रम हुआ वह निंदनीय है।
उन्होंने कहा कि जनता के लिए कानून बनाने वाले ही कानून की धज्जियां उड़ाए,यह न्याय की दृष्टि से अनुचित है। तिवाड़ी ने कहा कि प्रतिपक्ष सरकार का पूर्ण सहयोग करने को तैयार है लेकिन सदन की कार्यवाही फिर से शुरू करने से पहले फुटेज दिखा कर निर्णय कर लिया जाए। धारीवाल ने कहा कि
हमारी गंभीरता पर शक नहीं करना चाहिए।
उन्होंने कहा कि सदन में कल जैसे अमर्यादित आचरण को देख कर लगता है कि सदन भिण्डी बाजार बन जाएगा। उन्होंने सदस्यों को आश्वस्त किया कि फुटेज देख कर फैसला कर लिया जाएगा। भाजपा के देवी सिंह भाटी ने कहा कि सदन की कार्यवाही गरिमामय वातावरण में चलाने के लिए विपक्ष के उपनेता की राय को मान लिया जाए। उन्होंने कहा कि इसमें आसन की ओर से ढिलाई बरती गई तो उचित नहीं होगा। इस बीच गृह रक्षा एवं नागरिक सुरक्षा राज्यमंत्री राजेन्द्र सिंह गुढा ने कहा कि इस मुद्दे पर वोटिंग करा लेनी चाहिए।
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