गुरुवार, 19 अप्रैल 2012

देश में राजनीतिक और प्रशासनिक भ्रष्‍टाचार की धुरी



भारत राष्‍ट्रीय परिवार


देश में राजनीतिक और प्रशासनिक भ्रष्‍टाचार की धुरी को गतिशील करने में हमारी चुनाव प्रणाली की प्रमुख भूमिका है। हमारी चुनाव प्रणाली में खामियों के चलते देश का वातावरण पूरी तरह दूषित हो चुका है। जनसेवा के बजाय आपसी मनमुटाव और भ्रष्‍टाचार का जहर घोलकर जनप्रतिनिधि लोकतंत्र का मज़ाक बना रहे हैं। जनता नेताओं के हाथ की कठपुतली मात्र रह गयी है। समाज को खेमे में बांटकर भ्रष्‍ट राजनीति अपना चोखा रंग दिखा रही है और राजनीतिक पार्टियां वोटों के व्‍यापार में लगी हैं।

भारतीय संविधान में पश्चिमी देशों की राजनीतिक परिपाटियों का अनुकरण है। ‘संसदीय प्रणाली’ जिसकी बापू ने अपनी पुस्‍तक ‘हिन्‍द स्‍वराज्‍य’ में खरी आलोचना की है, हमारे देश में लागू है।

जरूरत ऐसी चुनाव प्रणाली की है जिसमें जनता के हाथ में सत्‍ता की सीधी बागडोर हो। अपने चुने प्रतिनिधि को वापस बुलाने की शक्ति मतदाता के हाथ में हो। ऐसी चुनाव प्रणाली जो बहुत खर्चीली न हो और लोकतंत्र को भीड़तंत्र अथवा अराजकतंत्र में बदलने से रोक सके आज कारगर साबित होगी। ‘भारत राष्‍ट्रीय परिवार’ ऐसे सहज राजनीतिक वातावरण हेतु पहल कर रहा है जो भारत की बहुरंगी संस्‍कृति को पुन: एक माला में गूँथ सके जिससे भारत विश्‍व का सिरमौर बनने की अपनी पूरी सम्‍भावना में विकसित हो सके। उक्‍त उद्देश्‍य की पूर्ति हेतु 'चुनाव प्रणाली की रूपरेखा' प्रतिपादित की जा रही है।

इस प्रणाली में ‘संसदीय प्रणाली’ के स्‍थान पर राष्‍ट्रीय जनसभा का चुनाव क्रमश: ग्रामजनसभा, जनपदजनसभा एवं राज्‍यजनसभा की निर्वाचन प्रक्रिया से गुजरते हुए कराने का एक सुझाव है। कार्यपालिका की जगह क्रमश: राष्‍ट्रीय/ राज्‍यस्‍तरीय/ जनपदस्‍तरीय/ ग्रामस्‍तरीय नियोजनसभायें होंगी जिनका गठन निर्वाचित राष्‍ट्रीय जनसभा करेगी।

विभिन्‍न स्‍तर पर जनसभाओं के गठन हेतु चुनाव प्रक्रिया

1. इस चुनाव प्रणाली में परिवार लघुतम इकाई होगी जो इकाई ‘मतशक्ति’ से वरीयताक्रम में दस प्रत्‍याशियों को चुनेगी।

2. ग्रामस्‍तर पर मतगणना के बाद वरीयता क्रम में दस निर्वाचित ग्राम जनप्रतिनिधियों की सूची प्रकाशित की जायेगी जिसके सामने प्रत्‍येक की ‘मतशक्ति’ अंकित होगी। वरीयता क्रमांक एक पर अंकित प्रतिनिधि जनपदजनसभा के निर्वाचन एवं कार्यवाहियों में भाग लेगा,शेष नौ प्रतिनिधियों से ग्रामजनसभा प्रतिनिधियों की कार्यकारिणी गठित होगी।

3. जनपदजनसभा के सदस्‍य अर्जित ‘मतशक्ति’ हस्‍तांतरित करते हुए जनपदजनसभा की कार्यकारिणी के गठन और राज्‍यजनसभा में सदस्‍य भेजने हेतु वरीयता क्रम में प्रत्‍याशी चुनेंगे। राज्‍यजनसभा की कार्यकारिणी का गठन और राष्‍ट्रजनसभा सदस्‍य भी इसी तरह‘मतशक्ति’ अर्जित करते हुए निर्वाचित होंगे। राष्‍ट्रजनसभा सदस्‍य अंत में एक राष्‍ट्राध्‍यक्ष का निर्वाचन करेंगे। इस प्रकार राष्‍ट्रध्‍यक्ष से लेकर नीचे ग्रामजनसभा कार्यकारिणी तक सबके पास अपनी निश्चित ‘मतशक्ति’ होगी जो उनकी लोकप्रियता का सूचकांक होगी।

4. इस प्रणाली में प्रदत्‍त ‘मतशक्ति’ को वापस लेने का अधिकार हर स्‍तर पर होगा जिसकी अवधि ग्रामस्‍तरीय, जनपदस्‍तरीय, राज्‍यस्‍तरीय एवं राष्‍ट्रस्‍तरीय निर्वाचकसभाओं के मामले में क्रमश: सात दिन, दस दिन, तीस दिन एवं नब्‍बे दिन होगी। ‘मतशक्ति’ को वापस लेने की घोषणा करने और पुन: प्रयोग करने के बीच में तीन दिन का विराम होगा जिसमें यथास्थिति बनी रहेगी।

5. निकटतम प्रतिस्‍पर्द्धी से ‘बढ़त’ का, 'समूह की कुल निर्वाचक शक्ति' से प्रतिशत निकालकर ‘मतशक्ति’ की गणना की जायेगी जो सम्‍बन्धित निर्वाचित प्रतिनिधि का‘लोकप्रियता सूचकांक’ होगी।

स्‍पष्‍ट है कि उपर्युक्‍त पद्धति से चुनी गयी सरकार सही अर्थों में एक लोकतांत्रिक सरकार होगी जिसकी बागडोर सदैव जनता के हा‍थों में रहेगी और वह सरकार ‘संख्‍या’ के आधार पर नहीं अपितु ‘लोकप्रियता’ के आधार पर गठित होगी। ‘सर्वोत्‍तम प्रतिदान के सिद्धान्‍त’ अर्थात् श्रेष्‍ठतम वस्‍तु को श्रेष्‍ठतर सत्‍ता को अर्पित करने की भावना से युक्‍त होकर यह प्रणाली अपरिग्रह के आदर्श की पोषक होगी। परिवार की लघुतम इकाई में व्‍यक्‍त संतोष को समग्र राष्‍ट्रीय संतोष के साथ जोड़ने में यह प्रणाली एक सेतु का कार्य करेगी।

उपर्युक्‍त लक्ष्‍य को प्राप्‍त करने हेतु हमें भारत राष्‍ट्रीय परिवार द्वारा ‘अपरिग्रह क्रान्ति’ का बीड़ा उठाया गया है। पहले चरण में सामाजिक कार्यकर्ता छवि पहचान शिविर का आयोजन भारत के प्रत्‍येक ग्राम में किया जा रहा है। इस देशव्‍यापी मंथन में आप स्‍वेच्‍छा से सहभागी होकर वर्तमान भारत के गर्भ में से पुन: नए भारत के सृजन की दिशा में आगे कदम बढ़ायें।
मत कोई 'दाननहीं है जिसे वापस न लिया जा सके। हमें अपने निर्वाचित प्रतिनिधि को वापस बुलाने का अधिकार होना चाहिए। ऐसी व्‍यवस्‍था होनी चाहिए कि हम अपने प्रतिनिधि की सजग होकर निगरानी कर सकें। आवश्‍यकता पड़ने पर अपना मत वापस लेकर प्रतिस्‍पर्द्धी को अवसर प्रदान कर सकें। इसके लिए चुनाव प्रक्रिया में आमूलचूल परिवर्तन की आवश्‍यकता होगी।
 
 

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