सोमवार, 30 अप्रैल 2012

बेवफा पत्नी थी रामकली, प्रेमी राजेश ने की थी हत्या

महम. रामकली हत्याकांड से पूरी तरह पर्दा उठ गया है। रामकली राजेश के साथ नाम व पहचान बदल कर रहती थी। पहले से शादीशुदा थी। दो साल से राजेश के साथ रह रही थी। उसका असली नाम गुम्मी था। वह मध्यप्रदेश की थी। रविवार को उसका पूर्व पति बल्लू पीजीआई पहुंचा। पुलिस ने पोस्टमार्टम के बाद उसका शव बल्लू के हवाले कर दिया।

शुक्रवार की सुबह खरकड़ा के पास उसकी लाश मिली थी। लाश के पास ही उसका लगभग चार वर्षीय बेटा उमेश भी था। उमेश को भी मारने का प्रयास किया गया था, वह बच गया। रामकली की हत्या का आरोप उसके दूसरे पति राजेश पर है। राजेश अभी फरार है। इधर गुम्मी उर्फ रामकली का रविवार की शाम को रोहतक में ही दाह संस्कार कर दिया गया है। उमेश अभी बालआश्रम में है। उसे मंगलवार को अदालत में पेश किया जाएगा।

एसएचओ रामकिशन दहिया ने बताया कि बल्लू उमेश को अपने साथ ले जाना चाहता है। इधर आरोपी राजेश की गिरफ्तारी के प्रयास तेज कर दिए गए हैं। एसएचओ का कहना है कि उसे शीघ्र ही गिरफ्तार कर लिया जाएगा।

दो साल पहले हुई थी मुलाकात

मध्यप्रदेश के जिला इक्कागढ़ के गांव बलदेवगढ़ निवासी बल्लू पुत्र सोना दो साल पहले गांव सीसर में मजदूरी के लिए आया था। यहीं पर गांव चांग का राजेश मिस्त्री का काम करता था। बल्लू के साथ उसकी पत्नी गुम्मी के अतिरिक्त एक बेटी व एक छोटा बेटा भी था। गुम्मी व राजेश में प्यार हो गया। राजेश गुम्मी को लेकर फरार हो गया।

गुम्मी अपने साथ दो साल के बेटे उमेश को भी ले गई। बेचारा बल्लू अपनी पत्नी व बेटे को खोकर वापिस अपने प्रदेश चला गया। राजेश व गुम्मी कुछ समय तो भिवानी रहे। फिर महम में किराए का मकान लेकर रहने लगे।

ये हो सकता है हत्या का कारण

पुलिस का मानना है कि गुम्मी से रामकली बनी महिला अब राजेश के लिए परेशानी बन गई थी।राजेश की पहली पत्नी चांग में रहती है। उससे बच्चे भी हैं। बड़ा बेटा लगभग 20 वर्ष का है। ऐसे में गुम्मी को रखना उसके लिए परेशानी का कारण बनने लगा होगा। यही कारण है कि उसने गुम्मी उर्फ रामकली को ठिकाने लगाने की योजना बना ली। उसे ठिकाने लगा भी दिया।

योजना के अनुसार उमेश भी मर जाता तो हो सकता है राजेश कुछ समय के लिए नाटक करता कि उसकी रामकली को किसी ने मार दिया। संभव यह आरोप बल्लू पर लगाया जाता। खैर अब सब साफ हो गया है।

..छ़ुपा रखी थी अपनी पहचान

गुम्मी राजेश के साथ रामकली बन कर रहती थी। किसी को शक ना हो इसलिए अपने को सोनीपत का बताती थी। उमेश को भी राजेश का बेटा ही बताया जाता था। उमेश भी राजेश को ही अपना पिता समझने लगा था।

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