शनिवार, 14 अप्रैल 2012

सोलर पॉवर प्लांट तैयार ही नहीं और हो गया बिजली उत्पादन!


सोलर पॉवर प्लांट तैयार ही नहीं और हो गया बिजली उत्पादन!

जैसलमेर पोकरण में सात सोलर पावर प्लांट शुरू हुए ही नहीं, लेकिन प्रोजेक्ट इंचार्ज और दो इंजीनियरों ने मिलकर सरकार को रिपोर्ट भेज प्लांट कमीशंड यानी व्यावसायिक उत्पादन होना दर्शा दिया। इस मामले में राजस्थान अक्षय ऊर्जा निगम के चेयरमैन ने प्रोजेक्ट इंचार्ज दिनेश कुमार छंगाणी और जोधपुर डिस्कॉम के सचिव (प्रशासन) असलम मेहर ने अधिशाषी अभियंता ललित सोनी व सहायक अभियंता एनके बरार को निलंबित कर दिया है। सोनी को जोनल मुख्य अभियंता जोधपुर जोन व बरार को बीकानेर जोन कार्यालय में उपस्थिति देने के आदेश दिए गए हैं।

राज्य सरकार को शिकायत मिली कि पोकरण में दस सोलर पावर प्लांट में पांच-पांच मेगावाट बिजली उत्पादन शुरू होने की रिपोर्ट भेजी गई, जबकि इन पावर प्लांट में सोलर पीवी प्लेट और कई मशीनरी व उपकरण लगे ही नहीं हैं।

प्रोजेक्ट इंचार्ज छंगाणी और एक्सईएन सोनी व कार्यवाहक एक्सईएन बरार ने सातों प्लांट में बिजली उत्पादन होना दर्शा दिया। इस पर जैसलमेर के चीफ इंजीनियर एनएम चौहान की अध्यक्षता में एक जांच कमेटी गठित की गई। कमेटी ने सभी दस पावर प्लांट में जाकर पड़ताल की तो सात पावर प्लांट में पूरी तरह मशीनरी व सोलर पीवी प्लेट आदि लगना नहीं पाया गया। उनमें पांच मेगावाट क्षमता से कम पैनल लगे पाए गए।

जांच में जैसलमेर के प्रोजेक्ट इंचार्ज छंगाणी और इंजीनियर सोनी व बरार द्वारा सोलर पावर प्लांट लगाने वाली कंपनियों को फायदा पहुंचाने के लिए गंभीर अनियमितता करना पाया गया। जांच कमेटी की रिपोर्ट के आधार पर निगम के चेयरमैन नरेशपाल गंगवार ने प्रोजेक्ट इंचार्ज छंगाणी को निलंबित कर दिया। साथ ही जोधपुर डिस्कॉम के एमडी एसएल माथुर को दोनों इंजीनियरों सोनी व बरार के खिलाफ सख्त अनुशासनात्मक कार्रवाई करने के निर्देश दिए। इस पर सचिव (प्रशासननिक) मेहर ने शुक्रवार को दोनों इंजीनियर को निलंबित कर दिया।


कंपनियों को पेनल्टी से बचाया

सोलर पावर प्लांट शुरू करने के लिए राजस्थान अक्षय ऊर्जा निगम ने प्लांट लगाने वाली कंपनियों के लिए समय अवधि तय की थी। समय पर बिजली उत्पादन शुरू नहीं करने वाली कंपनियों पर पेनल्टी का प्रावधान है, इसलिए इन सात कंपनियों ने मशीनरी व उपकरण पूरी तरह नहीं लग पाने की वजह से प्रोजेक्ट इंचार्ज व इंजीनियर्स से मिलकर सरकार को पावर प्लांट शुरू होने की गलत रिपोर्ट भिजवा दी। इससे कंपनियां तो भारी-भरकम पेनल्टी से बच गईं, लेकिन समय पर बिजली उत्पादन शुरू नहीं होने से सरकार को नुकसान पहुंचा।

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