शनिवार, 31 मार्च 2012

जंक फूड्स पर बड़ी कंपनियों के झूठे दावे


नई दिल्ली।। सेंटर फॉर साइंस ऐंड इन्वायरनमेंट (सीएसई) ने कहा है कि बड़े ब्रैंड्स खाने-पीने की चीजों के बारे में गलत जानकारी देते हैं। सीएसई ने बताया कि कई नामी ब्रैंड्स अपने प्रॉडक्ट्स को ज़ीरो ट्रांस-फैट बताते हैं, जबकि टेस्ट के मुताबिक इनमें काफी मात्रा में फैट होता है।
 
एनजीओ सीएसई ने कहा, ' पॉप्युलर जंक फूड में बहुत मात्रा में ट्रांस-फैट्स, नमक और चीनी होती है, इससे मोटापा और डायबीटीज़ जैसी बीमारी हो सकती है। ' सीएसई ने 16 बड़े ब्रैंड्स को टेस्ट किया। इनमें मैगी, टॉप रैमन नूडल्स, मैकडॉनल्ड्स के प्रॉडक्ट, केएफसी फ्राइड चिकन और हल्दीराम की आलू भुजिया शामिल हैं।

एफएसएसएआई (फूड सेफ्टी ऐंड स्टैंडर्ड अथॉरिटी ऑफ इंडिया) के मुताबिक कोई प्रॉडक्ट तभी ट्रांस-फैट फ्री कहा जा सकता है, जब उसमें 0.2 फीसदी से कम ट्रांस-फैट हो। सीएसई ने कई ब्रैंड्स में ट्रांस-फैट इससे ज्यादा पाया।

ट्रांस-फैट धमनियों में रुकावट पैदा करता है और ज्यादा मात्रा में नमक ब्लड प्रेशर बढ़ाता है। इन दोनों की वजह से हार्ट पर ज्यादा प्रेशर पड़ता है। सीएसई के मुताबिक कई प्रॉडक्ट्स में ट्रांस-फैट, नमक और चीनी इतनी ज्यादा मात्रा में हैं कि इनकी वजह से युवाओं को भी बीमारी हो सकती है। सीएसई ने आरोप लगाया कि कंपनियां साफ तौर पर यह नहीं बतातीं कि उन्होंने अपने प्रॉडक्ट्स बनाने में किन चीजों का इस्तेमाल किया है।

सीएसई ने कहा, ' नैशनल इंस्टिट्यूट ऑफ न्यूट्रिशन (एनआईएन) के मुताबिक किसी आदमी को एक दिन में ज्यादा से ज्यादा 6 ग्राम नमक लेना चाहिए। वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन (डब्ल्यूएचओ) के मुताबिक यह मात्रा 5 ग्राम है। मैगी के 80 ग्राम वाले पैकेट में 3.5 ग्राम नमक होता है, यानी कि दिन भर में लिए जाने वाले नमक का 60 फीसदी। '

डब्ल्यूएचओ के मुताबिक, कुल एनर्जी का अधिकतम 1 फीसदी ट्रांस-फैट से लिया जा सकता है। इस तरह हर दिन एक आदमी 2.6 ग्राम, महिला 2.1 ग्राम और बच्चे 2.3 ग्राम ट्रांस-फैट ले सकते हैं। सीएसई ने जांच के दौरान पाया कि टॉप रैमन सुपर नूडल्स (मसाला) 100 ग्राम में 0.7 फीसदी ट्रांस-फैट होता है, जबकि कंपनी इसे ट्रांस-फैट फ्री बताती है। हल्दीराम अपनी आलू भुजिया को भी ट्रांस-फैट फ्री बताता है, जबकि हर 100 ग्राम भुजिया में 2.5 ग्राम ट्रांस-फैट मिला। पेप्सीको के लेज़ चिप्स (स्नैक स्मार्ट) को फरवरी 2012 तक ट्रांस-फैट फ्री बताया जाता रहा लेकिन इसमें 100 ग्राम चिप्स में 3.7 ग्राम ट्रांस-फैट मिला।

हालांकि कंपनियां इस रिपोर्ट को नकारती हैं। पेप्सीको कहती है, ' भारत में हमारे सभी प्रॉडक्ट्स मानकों के आधार पर ही हैं। ' इनके मुताबिक लेज़, अंकल चिप्स, कुरकुरे और चीतोज़ ब्रैंड्स के प्रॉडक्ट ट्रांस-फैट फ्री हैं। नेस्ले ने कहा,' हम सीएसई के काम का सम्मान करते हैं। लेकिन मैगी एक लाइट मील है और डायवर्सिफाइड बैलंस्ड डायट के एक हिस्से के तौर पर कन्ज्यूम किया जा सकता है। '

मैक्डॉनल्ड ने कहा, ' हम आरबीडी पामोलिन ऑइल इस्तेमाल करते हैं, जो कि ट्रांस-फैट फ्री होता है। ' सीएसई के मुताबिक अगर कोई बच्चा मैकडॉनल्ड का हैपी मील खाता है तो रोज लिए जाने वाले ट्रांस-फैट का 90 फीसदी ले चुका होता है। जबकि इसके पैकेट पर इतने ज्यादा ट्रांस-फैट का कोई जिक्र नहीं है।

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