पश्चिम बंगाल के एक गांव में भुखमरी का आलम यह है कि पेट की भूख मिटाने के लिए लोग पेट के अंग ही बेच रहे हैं।
उत्तर दीनाजपुर इलाके के बिंदोल गांव को किडनी गांव भी कहा जाने लगा है। भुखमरी ने इस गांव में हर दूसरे घर के पुरुष को किडनी बेचकर परिवार का भरण पोषण करने के लिए मजबूर कर दिया। द टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक इस गांव के हालात अब और भी बदतर हो गए हैं। किडनी बेचने वाले कई पुरुष कुछ सालों के भीतर ही काल के गाल में समा गए। कई परिवारों में अब महिलाएं भी किडनी बेचने के लिए मजबूर हैं।
बिंदोल गांव रायगंज जिला मुख्यालय से मात्र 35 किलोमीटर दूर है। गांव की तरफ बढ़ते हुए दीनाजपुर की हरियाली शुष्की में बदल जाती है। खेतों में जहां-तहां मक्का तो दिखती है लेकिन धान या गेंहू का कोई नामो निशान यहां के खेतों में नहीं है। ज्यादातर ग्रामीण भी नशे देशी दारू के नशे में टुल्ल पड़े रहते हैं।
वेश्या के कोठे पर जिस तरह जिस्म के दलाल मिलते हैं उसी तरह बिंदोल में आपको किडनी के दलाल मिल जाएंगे। दलाल एक किडनी के लिए किडनी बेचने वाले से 60 हजार से एक लाख रुपए में सौदा करता है और जरूरतमंद से तीन से चार लाख रुपए की मांग करता है।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें