बुधवार, 28 मार्च 2012

हर धर्म कहता है, जीव हत्या अपराध फिर कन्या भू्रण हत्या क्यों जिला कलेक्टर


हर धर्म कहता है, जीव हत्या अपराध फिर कन्या भू्रण हत्या क्यों जिला कलेक्टर 


पीसीपीएनडीटी की जिलास्तरीय कार्यशाला का आयोजन, वक्ताओं ने रखे गंभीर विचार 

बाडमेर। सभी धर्मों में लिखा हुआ है कि जीव हत्या अपराध है और यह पाप नहीं करना चाहिए। फिर ऐसी क्या वजह है कि लोग बड़ी आसानी से कन्या भू्रण हत्या करते जा रहे हैं। आखिर क्या कारण है कि इस घिनौने कृत्य को अंजाम देते हुए लोगों के हाथ नहीं कांपते। ये गंभीर और अनसुलझे सवाल जिला कलेक्टर डॉ. वीणा प्रधान ने बुधवार को समाज के समझ रखे, जिसे सुनकर हर कोई चिंतन करने पर मजबूर था। डॉ. प्रधान जिला स्वास्थ्य भवन में स्वास्थ्य विभाग की ओर से आयोजित पीसीपीएनडीटी कार्यशाला में अपने विचार व्यक्त कर रही थी। कार्याला में मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. अजमल हुसैन, अतिरिक्त मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. जितेंद्रसिंह सहित आयुश चिकित्सक, आशा सहयोगिनी, मीडिया कर्मी एवं अन्य विभागीय कर्मचारीअधिकारी मौजूद थे। 
इस अवसर पर जिला कलेक्टर डॉ. प्रधान ने कहा कि हमें इन कुरीतियों और कुकृत्यों से उपर उठना होगा, हमारे समाज को इन बुराइयों से दूर करना होगा अन्यथा खामियाजा हम सभी को सामूहिक रूप से भुगतना होगा। उन्होंने कहा कि लड़की हर परिवार की खुशहाली होती है, बेशक यदि उसे बेहतर मौका दिया जाए तो वह भी अपने परिवार का नाम रोशन कर सकती है। पीसीपीएनडीटी पर चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि आमजन को उचित सुविधा उपलब्ध करवाने की दृश्टि से भाीघ्र ही फार्म एफ को हिंदी में तब्दील करवाया जाए। उन्होंने आमजन से भी अपील की कि कन्या भू्रण हत्या को केवल प्रशासन या कोई विभाग बंद नहीं करवा सकता, इसके लिए जरूरी है कि समाज का प्रत्येक वर्ग इसमें सहयोग करे। 
मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. अजमल हुसैन ने कहा कि यह बेहद संवेदनाील विशय है, जिस पर हमें बेहद सतर्कता से कार्य करने की जरूरत है। उन्होंने नवरात्रों की बात करते हुए कहा कि आज हर घर में देवी की पूजाअर्चना की जा रही है लेकिन विड़बंना है कि आज हमारे समाज की देवी, घर की देवी दुःख व दिक्कत में है। उसे उस सभ्य समाज से अस्तित्व के लिए लडना पड रहा है जो उसे पूजता है। हमारा समाज अपनी जननी को ही जड़ों से उखाड़ फेंकने पर आमादा है। दुःखद पहलू यह है कि बेटी के शोषण की शुरुआत हमारे घरों से होती हुई समाज में फैल रही है। मानवता के दरिंदे लडकी के जन्म से पहले ही उसकी हत्या करने से गुरेज नहीं कर रहे हैं। बच्चियों के खानपान से लेकर शिक्षा व कार्य में उनसे भेदभाव होना हमारे समाज की परंपरा बन गई है। जनगणना 2011 के आंकड़ों का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि राज्य में लिंगानुपात दर 926 रही, जो एक चिंता का विषय है। इससे भी गंभीर स्थिति 0 से छह वशर की आयु के लिंगानुपात दर में है। इस बार के आंकड़ों के अनुसार इस आयु वर्ग में यह दर 883 है, जिसे गंभीरता से लिए जाने की जरूरत है। इस अवसर पर एडिनल सीएमएचओ डॉ. जितेंद्रसिंह ने सभी स्वास्थ्य कर्मियों, आयुश चिकित्सकों एवं अन्य जनों से अपील करते हुए कहा कि वे इस संवेदनाील विशय को गंभीरता से लें और कन्या भू्रण हत्या रोकने में अपनी भागीदारी निभाएं। जिला पीसीपीएनडीटी समन्वयक विक्रमसिंह चम्पावत ने कार्यशाला के दौरान पीसीपीएनडीटी एक्ट एवं इसके तहत होने वाली समस्त गतिविधियों, कार्रवाई के बारे में विस्तार से जानकारी दी। उन्होंने बताया कि किस तरह आमजन इस कार्य में सहयोग दे सकते हैं और वे भी शिकायत कर सकते हैं। वक्ताओं में आयुश चिकित्सक डॉ. सुरेंद्रसिंह, डॉ. मदनसिंह, डॉ. नंदा ताई, सीसीडीयू के जिला समन्वयक अशोक राजपुरोहित सहित आशा सहयोगिनी अरूणा ने भी अपने विचार व्यक्त किए। 
सोनोग्राफी हजारों की जान बचाने के लिए न कि मारने के लिए 
सोनोग्राफी सेंटर संचालक डॉ. हरिश जांगिड़ ने कह कि सोनोग्राफी सेंटरों में लगी माीनों का उपयोग हजारों जिंदगियां बचाने के लिए किया जाना चाहिए, लेकिन इसे विड़बंना ही कहेंगे कि इसका दुरूपयोग किया जा रहा है। उन्होंने अपने अनुभव बताते हुए कहा कि लोग आते हैं और उन्हें हर संभव प्रयास कर लिंग की जांच करवाने का दबाव बनाते हैं लेकिन उन्होंने भापथ ली कि है कि वे कभी ऐसा कुकृत्य नहीं करेंगे। महिला को विोश रूप से पे्ररित करते हुए उन्होंने कहा कि यदि महिला चाहे तो किसी भी हालत में कन्या भू्रण हत्या नहीं हो सकती। इसी तरह सेंटर संचालक डॉ. स्नेहल कटूड़िया ने कहा कि सप्ताह में दो या तीन लोग उनके पास लिंग परीक्षण करवाने आते हैं, लेकिन वे परीक्षण नहीं करते। हालांकि उन्होंने स्वीकार किया कि ऐसे लोग अन्य राज्यों में जाकर लिंग परीक्षण करवा लेते हैं, जो एक विकट समस्या है। कार्यक्रम में जिला आयुश अधिकारी डॉ. अनिल झा, जिला आईईसी समन्वयक विनोद बिश्नोई, जिला आशा समन्वयक राकेश भाटी, डॉ. मुकेश गर्ग, डॉ. विशाल धिमान सहित अन्य अधिकारीगण मौजूद थे। 
आप बने सहभागी 
कन्या भू्रण हत्या बेहद चिंताजनक एवं गंभीर मामला है, जिसमें हर किसी की भागीदारी अहम हो सकती है। जिला आईईसी समन्वयक ने बताया कि जन भागीदारी के लिए ही हमारी बेटी डॉट कॉम वेबसाईट का संचालन सरकार द्वारा किया जा रहा है। इस वेबसाईट पर जाकर आप कभी भी किसी की भी सही शिकायत कर सकते हैं, ताकि कन्या भू्रण पर रोक लग सके। इसमें अपंजीकृत सोनोग्राफी सेंटरों एवं लिंग जांच करने वाले चिकित्सकों सहित इससे जुड़े अन्य विशयों पर शिकायत की जा सकती है। इसी तरह सरकार ने मुखबिर योजना भाुरू कर रखी है, जिसके तहत शिकायत करने वालों को 50 हजार रूपए तक का नगद पुरस्कार दिया जा रहा है। हालांकि हाल ही में घोशित बजट के तहत इसकी राशि एक लाख रूपए तक कर दी गई है। उक्त प्रकि्रयाओं में खास बात यह भी है कि शिकायत कर्ता की पहचान पूर्णतः गुप्त रखी जाती है। 

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