लूट की नियत से किये गये ब्लाईन्ड मर्डर का पर्दाफाश, हत्यारे पुलिस की गिरफ्त में
जैसलमेर ज्ञात रहे की दिनांक 12.03.12 को वक्त 08.00 एएम पर श्री गिरधरसिंह सउनि मय कानि0 कलदान नं0 177 ने सरहद छोड़ से सूचना दी कि दौराने गस्त सरहद छोड़ एन.एच. 15 के पास पूर्व दिशा में बबूल की झाड़ियों के पास एक व्यक्ति की लाश पड़ी दिखाई दी जिसकी उम्र करीब 22 साल, हाथ पैर तोलिये की लिरी से बंधे हुए तथा तौलिया की लिरी से गला घोंटा हुआ था व सिर व चैहरे पर गंभीर चोट लगी हुई पाई। जिससे हालातों को देखते हुए मृतक कोई ट्रक ड्राईवर या खलासी होना प्रतीत होने व अन्य सहयोगीयों द्वारा हत्या कर सबूत नष्ट करने की गरज से शव को सडक के किनारे झाड़ियों के पिछे डाल दिया गया। घटनास्थल का मौका मुआयना करने पर ंमामला हत्या का पाया जाने पर पुलिस थाना सांगड में हत्या का मुकदमा दर्ज कर हत्या करने वाले अज्ञात हत्यारो का पता लगाने हेतु पुलिस अधीक्षक ममता बिश्नोई द्वारा टिमो का गठन किया गया जिसमें गणपतलाल अति0 पुलिस अधीक्षक जैसलमेर, बंशीलाल वृताधिकारी, वृत जैसलमेर, सुनिल पंवार प्रोबे आरपीएस, ओमप्रकाश गोदारा थानाधिकारी पुलिस थाना सांगड, चिमनाराम उनि पुलिस थाना कोतवाली, शोभसिंह सउनि, गिरधरसिंह सउनि हैड कानि0 किशनाराम, मय कानि0 मुकेश बीरा, बालेन्द्रसिंह, गणपतसिंह, शोभसिंह, माधोसिंह, इन्द्राराम, जोरावरसिंह, उगमसिंह,, दिलीप, रायमलराम, रामसिंह शामिल थे। उक्त टीम द्वारा अति0 पुलिस अधीक्षक के नेतृत्व में सबसे पहले लाश की शिनाख्त करवाने हेतु के समस्त पुलिस थाना राजस्थान/पंजाब/हरियाणा के जिलो में मैसेज दिये गये एवं समस्त अखबरो में मृत्क का हुलिया बताते हुऐ शिनाख्त हेतु प्रकाशन करवाया गया। मृतक की शिनाख्त दिनांक 13.03.2012 को उसके भाई चन्दनसिंह अपने भाई नरपतसिंह पुत्र मलसिंह जाति राजपूत नि0 देवा के रूप में की। शिनाख्त होने के बाद पुलिस अधीक्षक द्वारा मामले को गम्भीरत से लेते हुए पुलिस टीमो हत्या का पर्दाफाश करने हेतु सख्त निर्देश दिये। जिस पर पुलिस टीमो ने गहन अनुसंधान करते मृतक के मोबाईल नम्बरो की कॉल डिटेल निकलवाकर हत्या करने वाले हत्यारे महेन्द्र कुमार पुत्र राणाराम उम्र 27 साल जाति माली निवासी देवा पुलिस थाना मोहनग व हत्या के सडयंत्र में शामील स्वरूपाराम पुत्र शंकरलाल माली उम्र 24 साल निवासी देवा पुलिस थाना मोहनग को दस्तयाब कर गहन पुछताछ करने पर हत्या का राज खुला। महेन्द्र होली से पहले पोकरण से नरपतसिंह की गाडी में उसके साथ बैठक मोगा (पंजाब) गया था। जहॉ मक्की का ट्रक खाली करवाने के बाद डबवाली (पंजाब) से ट्रक में एफसीआई की गेहू भरकर जैसलमेर के लिए रवाना हुऐ। दिनांक 10.03.2012 को महेन्द्र नेहडाई फाटा उतर कर अपने गॉव देवा चला गया तथा नरपतसिंह अपने जीजा तेजसिंह के घर नेहडाई रूक गया। दिनांक 11.03.2012 को मृतक नरपतसिंह गेहू से भरा हुआ ट्रक ले गॉव देवा आया जहॉ होटल पर नरपतसिंह ने चाय पी जहॉ महेन्द्र एवं स्वरूपाराम भी मिले। उसके बाद नरपतसिंह अपनी ाणी होते हुए ट्रक यूनियन चौराहा जैसलमेर आ गया तथा नरपतसिंह अपने जीजा व अपनी मॉ से 16 हजार रूपये गाडी में टायर डलवाने के लिए साथ लेकर आया तथा उक्त बात का पता महेन्द्र को भी था। महेन्द्र व स्वरूपाराम ने अपनो कर्ज उतरने व अडाने रखे गहनो को छूडवाने के लिए नरपतसिंह की हत्या कर उसके ट्रक में 430 कट्टे गेहू के जिसकी किमत करिबन 3 लाख है, को लूटकर बेचने का षंडयंत्र गॉव देवा में ही रचा। जिसकी परिनिती में महेन्द्र ट्रक के पिछे जैसलमेर आया तथा ट्रक यूनियन चौराहा पर नरपतसिंह से मिला व शराब की बोतल खरीद कर नरपतसिंह को ट्रक में लेकर ट्रोसपोर्ट नगर आ गये जहॉ पर ट्रक में ही नरपतसिंह को विश्वास में लेते हुए अत्यधित शराब पिलाई एवं होटल पर खाना खिलाकर ट्रक में वापिस सुला दिया। नरपतसिंह के सोने के बाद ट्रक को चलाकर बाडमेर रोड पर ले गया। रास्ता में नरपतसिंह के नशे की मदहोशी का फायदा उठाते हुए उसके हाथ पैर बांध कर लाठी से मारपीट की एवं गल्ले में कपडे का फंदा लगाकर गला घोट कर नरपतसिंह की हत्या कर दी तथा हत्या करने की बात मोबाईल से स्वरूपाराम को बताई एवं ट्रक को बाडमेर रोड पर आगे ले जाकर शरहद छोड में सडक के किनारे झाडियो के पिछे लाश को छिपाने के लिए डाल दिया एवं गेहूओ से भरा ट्रक को सांकडा की तरफ ले गया तथा ट्रक में भरा गेहू बेचने का प्रयास किया। जब गेहू बेचने का सोदा नहीं हो पाया तो ट्रक को पूनः ट्रक यूनियन चौराहा पर छोड दिया एवं मृतक नरपतसिंह की जेब से मिले 16 हजार रूपये लूट कर ले गया। उक्त पुछताछ के हत्यारे महेन्द्र एव सडयंत्र में शामिल स्वरूपाराम को गिरफतार किया गया। अनुसंधान जारी है।
26. पुछताछ पर पुर्व अपराधों का विवरण कि अपराध कहां कहां किये व अपराध में व
शरिक रहे अपराधियों का पुर्ण विवरण :... वर्ष 2010 में अपनी भाई भूराराम की पत्नी की हत्या के आरोप में पुलिस थाना मोहनग़ में प्रकरण सं0 03 दिनांक 06.01.10 धारा 498ए,304बी,201 भादस दर्ज होकर चालान पेश अदालत हुआ हैं।
27. अन्य विवरण : मेरा जन्म देवा गांव का हैं मैं कक्षा 05 वीं तक पॄा लिखा हूं। पॄाई छोड़ने के बाद अपने भाई लीलाराम के साथ उनके स्वयं के 6 छक्का ट्रक पर ड्राईवरिंग सिखने हेतु चला गया। मैं अपने भाई के साथ 03 साल तक खलासी चला, उसके बाद स्वयं ट्रक सिख गया तथा सौभाग्यमल खत्री के ट्रक पर तीन साल तक ड्राईवरिंग की । इसी दरम्यान मेरे भाई भाई भूराराम की पत्नी की संदिग्धावस्था में मृत्यु होने पर भूराराम के ससुराल वालों ने हमारे पर दहेज हत्या का कैश दर्ज करवा दिया। जिसमें मैं 27 दिन तक जैल में न्यायिक अभिरक्षा में रहा। उसके बाद जिला सैशन न्यायालय जैसलमेर से जमानत हो गई। कैस अभी न्यायालय में विचाराधीन हैं। आज से करीब 08 माह पूर्व मैंने स्वयं का दस छका ट्रक नं0 त्श्र 19 ळ। 1253 छोगाराम विश्नोई नि0 कापरड़ा जिला जोधपुर से सवा नव लाख रूपये में खरीदा जो ट्रक मैं राजस्थान में जैसलमेर से पत्थर के ब्लॉक भरकर सप्लाई करता। आज से करीब 03 माह पूर्व मैंने अपना ट्रोला बेच दिया। मेरा चचेरा भाई महेन्द्र पुत्र श्री शिवदानराम माली नि0 देवा जिसके स्वयं का ट्रक ळश्र 9 र 8292 हैं जो स्वयं महेन्द्र ही चलाता हैं, महेन्द्र अपना ट्रक हमारे गांव नरपतसिंह पुत्र मलसिंह जाति राजपूत नि0 देवा जो जोधपुर की किसी पार्टी के ट्रक त्श्र 19 ळठ 5385 पर ड्राईवरिंग करता हैं महेन्द्र व नरपतसिंह दोनों साथ ही अपने ट्रक चलाते हैं। दिनांक याद नहीं होली से तीन चार दिन पूर्व मैं अपने गांव से अपने भाई लीलाराम जो अपनी गाड़ी बंधाने जोधपुर गया हुआ था उससे मिलने जोधपुर चला गया। जहां मैं एक रात रहा उसके बाद दुसरे दिन मेरे पास मेरे चचेरे भाई महेन्द्र पुत्र शिवदानराम माली का फोन आया व मुझे कहा कि तुम कहां हो तब मैंने जोधपुर होना बताया तो उसने कहा कि मैं व नरपतसिंह दोनों आंध्रप्रदेश से मक्की भरकर लाये है जो माल पंजाब में मोगा खाली करने जाना हैं हम अभी बाड़मेर पहुंचे हैं हम पंजाब के रस्ते के बारे में जानकार नहीं हैं तुम साथ चल सकते हो तो पोकरण आ जाओ तब मैं साथ जाने के लिये शाम को पोकरण पहुंच गया। मैं उनके साथ बैठ गया। हम लोग पोकरण से रवाना होकर बीकानेर होते हुए मौगा पहुंच गये होली की वजह से गाड़ीयां खाली नहीं हुई होली के दुसरे दिन गाड़ीयां खाली कर डबाली पहुंच कर एफ.सी.आई. का गेहूं दोनों गाड़ीयों में भरा। नरपतसिंह ने जैसलमेर के लिये व महेन्द्र पुत्र शिवदान ने बाड़मेर एफ.सी.आई. के लिये गेहूं भर रवाना हो गये। बीरदवाल हैड से महेन्द्र बीकानेर होते हुए बाड़मेर के लिये व नरपतसिंह व मैं नहर के किनारे किनारे जैसलमेर के लिये अलग अलग रवाना हो गये। मोहनग़ में नरपतसिंह का जीजा तेजसिंह मिल गया। वहां से हम तीनों नेहड़ाई फांटा पहुंचे मैं वहां उतर कर बस से अपने घर देवा पहुंच गया। नरपतसिंह अपने जीजा के घर नेहड़ाई चला गया। दुसरे दिन सुबह देवा में नखताराम माली के चाय होटल पर नरपतसिंह व उसका भाई चन्दनसिंह गाड़ी लेकर आये वहां पर चाय पीकर अपनी ़ाणी चले गये। उसके बाद मैंने व स्वरूपाराम दोनों ने नरपतसिंह के हत्या करने व गाड़ी में भरे 430 कट्टे गेहूं के बेचने के बारे में चर्चा कर योजना बनाई ताकि गेहूं बेचकर उन रूपयों से अपने अडाणे रखे हुए गहने छुड़ायेगें व पप्पू पत्नी गजाराम निवासी चौमू से उधार लिये रूपये लौटायेगें। उसके बाद मैं बस द्वारा शाम को 6.307.00 बजे जैसलमेर युनियन चौराहे पर पहुंच गया वहां मुझे नरपतसिंह गाड़ी में बैठा मिला, हम दोनों गड़ीसर चौराहा शराब ठैका से एक शराब की बोतल लेकर आये फिर ट्रक लेकर ट्रांसपोर्ट नगर चले गये। वहां मैंने नरपतसिंह को करीब पोन बोतल शराब पिलाई, उसके बाद श्रीराम भोजनालय पर दोनों ने खाना खाया नरपतसिंह नश्ो में धूत हो गया था। गाड़ी में आते ही सो गया। मैं गाड़ी चलाकर बाड़मेर रोड पर ले गया रास्ते में मैंने नरपतसिंह के हाथ व पैर बांध दिये लाठी से सिर में मारी व उसका तोलिये से गला घोंट कर मार दिया। छोड़ के नजदीक सड़क के किनारे गाड़ी रोककर लाश को नीचे फैंक दिया उसके बाद मैं गेहूं को बेचने के लिये देवीकोट होते हुए सांकड़ा पहुंचा वहां रेंवतसिंह से गेहूं बेचने के लिये पहले बात हो रखी थी उसको बुलाया तो उसने 430 कट्टे गेहूं खरीदने से मना कर दिया। उसके बाद मैंने स्वरूपाराम से फोन पर गेहूं नहीं बिकने के बारे में बात की तो उसने कहा अब फंस जायेगें गाड़ी वापिस लाकर युनियन चौराहे धर्मकांटा के पास छोड़ दे ताकि किसी को शक नहीं होगा। उसके बाद मैंने गाड़ी युनियन चौराहा लाकर खड़ी कर दी। मैं घबरा गया था सुबह वाली बस से गांव चला गया। दुसरे दिन अखबार में आने के बाद मैं इधर उधर छिपता रहा।
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