होली का त्योहार भारत सहित अन्य देशों में भी बड़े उत्साह व उमंग से मनाया जाता है। हिंदू महिलाएं होली का पूजन करती है तथा विभिन्न पूजन सामग्री होली को अर्पित करती है जैसे उंबी, गोबर से बने बड़बोलिए, श्रीफल व नाड़ा आदि। यह परंपरा सदियों पुरानी है। परंपरागत रूप से होली पर चढ़ाई जाने वाली सामग्री के पीछे भी कुछ भाव छिपे हैं, जो इस प्रकार हैं-
उंबी - यह नए धान्य का प्रतीक है। भारतीय परंपरा में इसे विधान के साथ उपभोग में लिया जाता है इसलिए अग्नि को भोग लगाते हैं और प्रसाद के रूप में अन्न उपयोग में लेते हैं।
गोबर के बड़बोलिया की माला- अग्नि और इंद्र वसंत की पूर्णिमा के देवता माने गए हैं। ये अग्नि को गहने पहनाने के प्रतीक रूप में चढ़ाए जाते हैं। इन्हें 10 दिन पहले बालिकाएं बनाती हैं।
नाड़ा- यह वस्त्र को प्रतीक है। होलिका को श्रृंगारित करने का भाव इसमें निहित है।
नारियल- यह श्रीफल माना गया है। फल के रूप में इसका अर्पण करते हैं। इसे चढ़ाकर वापस लाते हैं और प्रसाद रूप में ग्रहण करते हैं।
उंबी - यह नए धान्य का प्रतीक है। भारतीय परंपरा में इसे विधान के साथ उपभोग में लिया जाता है इसलिए अग्नि को भोग लगाते हैं और प्रसाद के रूप में अन्न उपयोग में लेते हैं।
गोबर के बड़बोलिया की माला- अग्नि और इंद्र वसंत की पूर्णिमा के देवता माने गए हैं। ये अग्नि को गहने पहनाने के प्रतीक रूप में चढ़ाए जाते हैं। इन्हें 10 दिन पहले बालिकाएं बनाती हैं।
नाड़ा- यह वस्त्र को प्रतीक है। होलिका को श्रृंगारित करने का भाव इसमें निहित है।
नारियल- यह श्रीफल माना गया है। फल के रूप में इसका अर्पण करते हैं। इसे चढ़ाकर वापस लाते हैं और प्रसाद रूप में ग्रहण करते हैं।
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