मथुरा. मध्यप्रदेश के मुरैना में खनन माफिया का शिकार बने आईपीएस अफसर नरेंद्र कुमार के पिता केशव देव का साफ कहना है कि उनके बेटे की हत्या में राजनेताओं का हाथ है और पुलिस का रुख भी असहयोगात्मक है। उन्होंने भाजपा के एक विधायक पर भी अंगुली उठाई और कहा कि मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को सब पता है। उन्होंने आशंका जताई कि उनके द्वारा खुले आम यह सच कहने के बाद उनकी बहू को भी खतरा हो सकता है।
केशव का यह भी कहना है कि मौत से एक दिन पहले नरेंद्र ने उन्हें बताया था कि वह खनन माफिया के खिलाफ काम कर रहे हैं और उन पर ऐसा नहीं करने के लिए दबाव बनाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि मध्य प्रदेश के एक भाजपा विधायक ने उनकी पुत्रवधू पर गलत काम करने के लिए दबाव डाला था। इनकार करने पर उनका तबादला करवा दिया गया। 15 दिन तक तो भोपाल सचिवालय में संबद्ध रखा गया और कोई काम भी नहीं लिया गया। जब उनसे उस विधायक का नाम बताने के लिए कहा गया तो उन्होंने कहा कि यह सब मुख्यमंत्री के संज्ञान में है और नाम बताया तो उनकी बहू को खतरा हो सकता है। इन आरोपों के संबंध में चंबल रेंज के डीआईजी ने कहा कि तथ्यों की रोशनी में आरोपों की जांच की जाएगी।
मीडिया में आ रही खबरों के मुताबिक कुछ समय पहले आईएएस मधु की नरसिंगगढ़ के भाजपा विधायक मोहन शर्मा से कहासुनी हुई थी। उस समय मधु के पास राजगढ़ की कलेक्टर का चार्ज भी था। यह कहासुनी एक समीक्षा बैठक के दौरान हुई थी। इसके बाद विधायक गुस्से में बैठक से चले गए थे। बाद में उन्होंने और मधु ने इसकी शिकायत मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से की थी। इस घटना के बाद ही मधु का तबादला हुआ था। विधायक ने मधु के तबादले में अपना हाथ होने या उनसे झगड़ा होने की बात से इनकार किया है।
2009 बैच के आईपीएस अफसर नरेंद्र मुरैना के बामौर में एसडीपीओ के पद पर तैनात थे। गुरुवार को अवैध खनन की शिकायत मिलने के बाद वह कार्रवाई के लिए निकले। उन्होंने पत्थरों से लदे एक ट्रैक्टर को रुकने का इशारा किया, लेकिन ड्राइवर ने ट्रैक्टर नहीं रोका। उन्होंने ट्रैक्टर से लटक कर ड्राइवर तक पहुंचने की कोशिश की। इसी दौरान वह ट्रैक्टर से कुचले गए। मध्य प्रदेश के गृहमंत्री का दावा है कि ड्राइवर ने ट्रैक्टर भगाया तो नरेंद्र उसके नीचे दब गए। इसके बाद ग्वालियर ले जाते हुए उनकी मौत हो गई।
लेकिन पुलिस की बात मंत्री से अलग है। चंबल रेंज के डीआईजी देव प्रकाश गुप्ता के मुताबिक ड्राइवर ने उनके ऊपर ट्रैक्टर चढ़ा दिया था। उनका कहना है कि जिस व्यक्ति ने आईपीएस पर ट्रैक्टर चढ़ाया वो बामौर के पास के एक गांव का किसान है। पत्रकारों को संबोधित करते हुए देव प्रकाश ने कहा कि पत्थर कहां से खनन करके लाया जा रहा था इसकी जांच की जा रही है। प्रारंभिक जांच में पता चला है कि बामौर के रेलवे स्टेशन के पास से रास्ता जाता है वहां से ट्रैक्टर आ रहा था। देव प्रकाश के मुताबिक एसडीओपी नरेंद्र कुमार यह सूचना पाकर मिली चार लोगों की फोर्स लेकर मौके पर पहुंचे। एक बार पहले उन्होंने ट्रैक्टर को रोक लिया था लेकिन ट्रैक्टर का ड्राइवर पत्थर लेकर भागने लगा। नरेंद्र कुमार ने थाना बामौर को सूचना दी तो पुलिस ने रास्ते में रोड ब्लॉकर लगा दिए। यह देखकर ट्रैक्टर ड्राइवर ने तेज रफ्तार में यू टर्न लिया और एक कच्चे रास्ते पर ट्रैक्टर को मोड़ लिया था। एसडीओपी नरेंद्र कुमार उसका पीछा करते हुए आ रहे थे। उन्होंने ट्रैक्टर रोकने की कोशिश की तो मनोज ने उन्हीं पर ट्रैक्टर चढ़ा दिया।
नरेंद्र की मौत गुरुवार को हुई थी। मथुरा के लालपुर गांव में उनका अंतिम संस्कार कर दिया गया है। उनकी गर्भवती पत्नी ने उन्हें मुखाग्निदी। लालपुर लाने से पहले उनका शव गुरुवार रात करीब डेढ़ बजे अलीगढ़ ले जाया गया था। अलीगढ़ में उनकी ससुराल है। मधुरानी ग्वालियर में तैनात आईएएस अधिकारी हैं। वह मातृत्व अवकाश पर दिल्ली में थीं। पति की मौत की खबर सुनकर वो दिल्ली से सीधे अलीगढ़ पहुंचीं थीं।
नरेंद्र के पिता ने सोची समझी साजिश बताया है लेकिन मध्य प्रदेश के गृह मंत्री उमा शंकर गुप्ता ने कहा कि यह गलत है। उन्होंने कहा कि नरेंद्र की मौत के पीछे खनन माफिया का हाथ नहीं है। उनकी मौत के मामले में ड्राइवर को गिरफ्तार किया गया है।
नरेंद्र के पिता केशव देव का कहना है कि अवैध खनन को रोक रहे उनके बेटे को ईमानदारी की सजा मिली है। उनका कहना है कि स्थानीय पुलिस अगर मदद करती तो शायद ये घटना नहीं होती। उन्होंने कहा कि उन्हें घटना की जानकारी तक पुलिस विभाग की ओर से नहीं दी गई। जब वह ग्वालियर पहुंचे तब भी उन्हें कुछ बताने के बजाय सीधे बेटे का शव सौंप दिया गया। केशव देव ने मामले की जांच सीबीआई से कराने की मांग की है।
नरेंद्र ने मथुरा के अमरनाथ शिक्षण संस्थान स्कूल में पढाई की। इस स्कूल के शिक्षकों का भी कहना है कि नरेंद्र जितना ईमानदार और मेहनती था वैसे बच्चे कम ही होते हैं। मात्र 32 साल की उम्र में नरेंद्र की मौत से वे सब सन्न रह गए हैं और मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से पूछ रहे हैं कि क्या मध्य प्रदेश में माफिया राज कायम हो गया है?
नरेंद्र की मौत पर मध्य प्रदेश में राजनीति भी शुरु हो गई है। मध्य प्रदेश कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अजय सिंह ने कहा है कि मध्य प्रदेश में शिवराज सरकार के संरक्षण में माफिया अपनी समानांतर सरकार चला रहे हैं। राज्य में जो भी उनके हितों के रास्ते में आ रहा है वो बेखौफ होकर उसे रास्ते से हटा रहे हैं। यह घटना इस बात का प्रमाण है कि सरकार माफिया के सामने कितनी कमजोर हो गईहै। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह ने प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह पर अवैध खनन में शामिल होने का आरोप लगाते हुए कहा कि मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री समेत भाजपा केई कई नेता अवैध खनन के धंधे में शामिल हैं। जबकि गृह मंत्री उमा शंकर गुप्ता इसे आईपीएस की मौत का राजनीतिकरण करने की विपक्षी साजिश बता रहे हैं।
केशव का यह भी कहना है कि मौत से एक दिन पहले नरेंद्र ने उन्हें बताया था कि वह खनन माफिया के खिलाफ काम कर रहे हैं और उन पर ऐसा नहीं करने के लिए दबाव बनाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि मध्य प्रदेश के एक भाजपा विधायक ने उनकी पुत्रवधू पर गलत काम करने के लिए दबाव डाला था। इनकार करने पर उनका तबादला करवा दिया गया। 15 दिन तक तो भोपाल सचिवालय में संबद्ध रखा गया और कोई काम भी नहीं लिया गया। जब उनसे उस विधायक का नाम बताने के लिए कहा गया तो उन्होंने कहा कि यह सब मुख्यमंत्री के संज्ञान में है और नाम बताया तो उनकी बहू को खतरा हो सकता है। इन आरोपों के संबंध में चंबल रेंज के डीआईजी ने कहा कि तथ्यों की रोशनी में आरोपों की जांच की जाएगी।
मीडिया में आ रही खबरों के मुताबिक कुछ समय पहले आईएएस मधु की नरसिंगगढ़ के भाजपा विधायक मोहन शर्मा से कहासुनी हुई थी। उस समय मधु के पास राजगढ़ की कलेक्टर का चार्ज भी था। यह कहासुनी एक समीक्षा बैठक के दौरान हुई थी। इसके बाद विधायक गुस्से में बैठक से चले गए थे। बाद में उन्होंने और मधु ने इसकी शिकायत मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से की थी। इस घटना के बाद ही मधु का तबादला हुआ था। विधायक ने मधु के तबादले में अपना हाथ होने या उनसे झगड़ा होने की बात से इनकार किया है।
2009 बैच के आईपीएस अफसर नरेंद्र मुरैना के बामौर में एसडीपीओ के पद पर तैनात थे। गुरुवार को अवैध खनन की शिकायत मिलने के बाद वह कार्रवाई के लिए निकले। उन्होंने पत्थरों से लदे एक ट्रैक्टर को रुकने का इशारा किया, लेकिन ड्राइवर ने ट्रैक्टर नहीं रोका। उन्होंने ट्रैक्टर से लटक कर ड्राइवर तक पहुंचने की कोशिश की। इसी दौरान वह ट्रैक्टर से कुचले गए। मध्य प्रदेश के गृहमंत्री का दावा है कि ड्राइवर ने ट्रैक्टर भगाया तो नरेंद्र उसके नीचे दब गए। इसके बाद ग्वालियर ले जाते हुए उनकी मौत हो गई।
लेकिन पुलिस की बात मंत्री से अलग है। चंबल रेंज के डीआईजी देव प्रकाश गुप्ता के मुताबिक ड्राइवर ने उनके ऊपर ट्रैक्टर चढ़ा दिया था। उनका कहना है कि जिस व्यक्ति ने आईपीएस पर ट्रैक्टर चढ़ाया वो बामौर के पास के एक गांव का किसान है। पत्रकारों को संबोधित करते हुए देव प्रकाश ने कहा कि पत्थर कहां से खनन करके लाया जा रहा था इसकी जांच की जा रही है। प्रारंभिक जांच में पता चला है कि बामौर के रेलवे स्टेशन के पास से रास्ता जाता है वहां से ट्रैक्टर आ रहा था। देव प्रकाश के मुताबिक एसडीओपी नरेंद्र कुमार यह सूचना पाकर मिली चार लोगों की फोर्स लेकर मौके पर पहुंचे। एक बार पहले उन्होंने ट्रैक्टर को रोक लिया था लेकिन ट्रैक्टर का ड्राइवर पत्थर लेकर भागने लगा। नरेंद्र कुमार ने थाना बामौर को सूचना दी तो पुलिस ने रास्ते में रोड ब्लॉकर लगा दिए। यह देखकर ट्रैक्टर ड्राइवर ने तेज रफ्तार में यू टर्न लिया और एक कच्चे रास्ते पर ट्रैक्टर को मोड़ लिया था। एसडीओपी नरेंद्र कुमार उसका पीछा करते हुए आ रहे थे। उन्होंने ट्रैक्टर रोकने की कोशिश की तो मनोज ने उन्हीं पर ट्रैक्टर चढ़ा दिया।
नरेंद्र की मौत गुरुवार को हुई थी। मथुरा के लालपुर गांव में उनका अंतिम संस्कार कर दिया गया है। उनकी गर्भवती पत्नी ने उन्हें मुखाग्निदी। लालपुर लाने से पहले उनका शव गुरुवार रात करीब डेढ़ बजे अलीगढ़ ले जाया गया था। अलीगढ़ में उनकी ससुराल है। मधुरानी ग्वालियर में तैनात आईएएस अधिकारी हैं। वह मातृत्व अवकाश पर दिल्ली में थीं। पति की मौत की खबर सुनकर वो दिल्ली से सीधे अलीगढ़ पहुंचीं थीं।
नरेंद्र के पिता ने सोची समझी साजिश बताया है लेकिन मध्य प्रदेश के गृह मंत्री उमा शंकर गुप्ता ने कहा कि यह गलत है। उन्होंने कहा कि नरेंद्र की मौत के पीछे खनन माफिया का हाथ नहीं है। उनकी मौत के मामले में ड्राइवर को गिरफ्तार किया गया है।
नरेंद्र के पिता केशव देव का कहना है कि अवैध खनन को रोक रहे उनके बेटे को ईमानदारी की सजा मिली है। उनका कहना है कि स्थानीय पुलिस अगर मदद करती तो शायद ये घटना नहीं होती। उन्होंने कहा कि उन्हें घटना की जानकारी तक पुलिस विभाग की ओर से नहीं दी गई। जब वह ग्वालियर पहुंचे तब भी उन्हें कुछ बताने के बजाय सीधे बेटे का शव सौंप दिया गया। केशव देव ने मामले की जांच सीबीआई से कराने की मांग की है।
नरेंद्र ने मथुरा के अमरनाथ शिक्षण संस्थान स्कूल में पढाई की। इस स्कूल के शिक्षकों का भी कहना है कि नरेंद्र जितना ईमानदार और मेहनती था वैसे बच्चे कम ही होते हैं। मात्र 32 साल की उम्र में नरेंद्र की मौत से वे सब सन्न रह गए हैं और मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान से पूछ रहे हैं कि क्या मध्य प्रदेश में माफिया राज कायम हो गया है?
नरेंद्र की मौत पर मध्य प्रदेश में राजनीति भी शुरु हो गई है। मध्य प्रदेश कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अजय सिंह ने कहा है कि मध्य प्रदेश में शिवराज सरकार के संरक्षण में माफिया अपनी समानांतर सरकार चला रहे हैं। राज्य में जो भी उनके हितों के रास्ते में आ रहा है वो बेखौफ होकर उसे रास्ते से हटा रहे हैं। यह घटना इस बात का प्रमाण है कि सरकार माफिया के सामने कितनी कमजोर हो गईहै। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह ने प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह पर अवैध खनन में शामिल होने का आरोप लगाते हुए कहा कि मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री समेत भाजपा केई कई नेता अवैध खनन के धंधे में शामिल हैं। जबकि गृह मंत्री उमा शंकर गुप्ता इसे आईपीएस की मौत का राजनीतिकरण करने की विपक्षी साजिश बता रहे हैं।
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