हर लाडली की होगी ढूंढ़’
कन्या ढूंढ़’ महोत्सव में 150 से अधिक कन्याओं की हुई ढूंढ़’
बाडमेर। कन्याओं के प्रति नकारात्मक सोच के इस माहौल में कन्या ूंढ महोत्सव की पहल बेहद सराहनीय कदम है। ऐसे में हमें इस आगाज को सामूहिक प्रयासों के जरिए अंजाम तक पहुंचाना होगा। ये उद्दगार मंगलवार को जिला कलेक्टर डॉ. वीणा प्रधान ने व्यक्त किए, जो स्वास्थ्य विभाग की ओर से जिला स्वास्थ्य भवन में आयोजित कन्या ूंढ महोत्सव में मुख्य अतिथि के रूप में मौजूद थीं। इस अवसर पर उन्होंने घोशणा की कि नवजन्मी सभी बच्चियों की प्रत्येक स्वास्थ्य केंद्र पर ूंढ की जाएगी। इसके लिए भाीघ्र ही आंगनबाड़ी केंद्रों व स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं को निर्दोित किया जाएगा। पीसीपीएनडीटी प्रकोश्ठ, स्वास्थ्य विभाग व जिला प्रासन की ओर से मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. अजमल हुसैन की अध्यक्षता में हुए इस कार्यक्रम में विश्ट अतिथि के तौर पर नगर पालिका अध्यक्ष उशा जैन, चौहटन पंचायत समिति प्रधान भाम्मा बानो व कैयर्न एनर्जी के वरिश्ठ प्रबंधक महो अयर सहित बड़ी संख्या में बच्चियां व उनके परिजन मौजूद थे।
मुख्य अतिथि जिला कलेक्टर डॉ. प्रधान ने कहा कि मैं भी बेटी हूं और आज जिला कलेक्टर के रूप में आपके समक्ष हूं, आप भी यदि अपनी बेटियों को मौका दोगे तो वे भी इस मंच पर पहुंच सकेंगी। उन्होंने कहा कि महिलाएं पुरूशों से कम नहीं है, लेकिन लिंगानुपात को लेकर जो स्थिति है वह बेहद चिंताजनक है। निचत ही यह स्थिति सामाजिक, धार्मिक व अन्य कारणों से है, जिसे बदलना होगा। इसे विडंबना ही कहेंगे कि बेटी को मायके में पराई कहा जाता है और ससुराल में पराई जाई बताया जाता है, यानी बेटी को कहीं भी तवज्जो नहीं दी जाती। जबकि बेटी मायके व ससुराल दोनों को अपना मानती है और किसी तरह का भेदभाव नहीं करती। ऐसी व्यवस्थाएं भगवान ने नहीं की है, इसी समाज ने ही खड़ी की है और समाज को ही एकजुट होकर संयमित तरीके से इन कुप्रथाओं पर प्रहार करना होगा। महोत्सव की सराहना करते हुए जिला कलेक्टर डॉ. वीणा प्रधान ने ऐसे आयोजनों की भविश्य में भी आवयकता बताई। चौहटन पंचायत समिति प्रधान भाम्मा बानो ने उपस्थिति जनसमूह को प्रण दिलाते हुए कहा कि वे बेटियों को हर हालात में तालीम दिलवाएं। उन्होंने कहा कि ऐसे आयोजनों के जरिए ही जागरूकता पैदा की जा सकती है, इसलिए हर जिले, हर ब्लॉक में ऐसे कार्यक्रमों की जरूरत है। नगर पालिका अध्यक्ष उशा जैन ने कहा कि मंचासीन तीनों अतिथि हम महिलाएं हैं, तो क्यों बेटियों को कमतर आंका जा रहा है। क्या बेटियां बेटों से कम हैं, क्या वे वां चलाने में सक्षम नहीं हैं। उन्होंने बेटियों की अहमियत बताते हुए कहा कि बेटी आज अनेक घरों में बेटों से बेहतर बनकर समाज में मांबाप का नाम रोान कर रही हैं। उन्होंने बेटियों को पर्याप्त मौका देने और बुरी परिपाटियों की त्यागने की अपील की। अतिथियों एवं कन्याओं के परिजनों का स्वागत करते हुए मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. अजमल हुसैन ने कहा कि बिगड़ता लिंगानुपात समाज के लिए अभिप साबित हो रहा है और हमें हर संभव प्रयास कर इस कुप्रथा से निजात पाना होगा। उन्होंने कहा कि यह सब प्रत्येक वर्ग, प्रत्येक धर्म व प्रत्येक व्यक्ति द्वारा अपना योगदान देने से ही संभव होगा, लिहाजा जागरूकता पैदा करने की कड़ी में ही कन्या ूंढ महोत्सव का आयोजन किया गया है। सीएमएचओ डॉ. हुसैन ने कहा कि भविश्य में भी इस तरह के आयोजन किए जाते रहेंगे और कन्याओं के प्रति सकारात्मक सोच के लिए व्यापक प्रचारप्रसार भी किया जाएगा।
बेटियों की हुई ूंढ
कार्यक्रम में करीब 150 से अधिक बच्चियों की ूंढ की गई। जिला पीसीपीएनडीटी समन्वयक विक्रमसिंह चम्पावत ने बताया कि बच्चियों को जिला कलेक्टर, चौहटन पंचायत समिति प्रधान, नगर पालिका अध्यक्ष, केयर्न के वरिश्ठ प्रबंधक व सीएमएचओ की ओर से सम्मान किया गया। सभी अतिथियों की ओर से परिजनों की भी सराहना की गई। सांस्कृतिक प्रस्तुती देते हुए अनवर खां एण्ड पार्टी ने समां बांधी। बेच्चियों को कार्यक्रम में भागीदार बनाने में आाओं एवं अन्य महिला स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं को मुख्य भूमिका रही।
लाडलियों के लिए केयर्न का रहा सहयोग
जिला आईईसी समन्वयक विनोद बिनोई ने बताया कि सामाजिक सरोकारिता में अपनी भागीदारी निभाती आ रही केयर्न की टीम ने कन्या ूंढ महोत्सव में अपना अहम योगदान दिया। केयर्न की तरफ से कन्याओं के लिए विोश उपहार दिए गए। वहीं इस मौके पर केयर्न की ओर से जिले के कस्तूरबा गांधी कन्या छात्रावास के लिए पांच लाख 70 हजार रूपए देने की घोशणा की। कार्यक्रम में जिला पीसीपीएनडीटी विक्रमसिंह चम्पावत, जिला आयुश अधिकारी डॉ. अनिल झा एव ंकेयर्न के उमा बिहारी द्विवेदी सहित अधिकारियोंकर्मचारियों का विोश सहयोग रहा।
तकनीक बचाने के लिए, न की मारने के लिए
कार्यक्रम में सोनोग्राफी सेंटर संचालक हरि जांगिड़ ने कहा कि उनके पास यदि कोई लिंग जांच करवाने पहुंचता है, तो वे इस पाप में भागीदार नहीं बनते। क्योंकि वैज्ञानिक तकनीकें मनुश्य को बचाने के लिए बनी हैं, न कि मारने के लिए। उन्होंने कहा कि यदि चिकित्सक और लैब संचालक सामूहिक निर्णय कर कन्या भू्रण हत्या जैसे कुकृत्य से किनारा कर लें तो बेटियों को बचाने से कोई नहीं रोक सकता। उन्होंने इस कार्य को घृणित बताते हुए कहा कि निचत ही इन कर्मों का फल इसी जन्म में भुगतना होगा, इसलिए सभी को सामूहिक निर्णय लेकर इस कुप्रथा से दूर होना होगा।
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