बहा लोक संगीत का दरिया
जैसलमेर। रेत के मखमली व लहरदार धोरो के बीच धरती से मिलन को आतुर सूरज के अस्तांचल पर पहुंचने से ज्योही आसमान मे क्षितिज पटल पर लालिमा छाई, त्यो ही रेतीले सागर मे धवल चांदनी बिखेरकर शशि ने अपनी उपस्थिति का अहसास कराया। माघ शुक्ल पूर्णिमा को प्रकृति के इस अनूठे नजारे के बीच वाद्य यंत्रो की संगत पर लोक कलाकारो ने ऎसा समां बांधा की यह सर्द शाम वहां मौजूद हजारो लोगो के दिलो की गहराइयो में उतरकर मन को तरंगित करने लगी।
इस दौरान सर्द शाम मे दूर-दूर तक पसरी हुई रेत के धोरे से टकराकर लोक संस्कृति के रंगों व रसों के दरिया उफनते रहे। देश ही नहीं बल्कि सात समंदर पार से आए सैलानियो के हुजूम के बीच धोरे रंगीन हो उठे और फिजाओ में लोक संस्कृति की अनूठी गंध फैल गई। तीन दिवसीय मरू महोत्सव के आकर्षित कार्यक्रमों ने चारों ओर लोक मंगल का जबरदस्त उत्साह व उल्लास बिखेरा और लगा जैसे माघ पूनम की सांझ को समूची दुनिया सम का आनन्द लेने में मस्त हो।
कार्यक्रम के दौरान जोधपुर की पार्टी ने कालबेलिया नृत्य, गाजी खां बरना ने डेजर्ट सिम्फनी, उत्तर मध्य क्षेत्र सांस्कृतिक क्षेत्र इलाहाबाद के कलाकारो के समूह नृत्य, मध्यप्रदेश के कलाकारो की ओर से पेश किए गए मयूर नृत्य, आनंदसिंह के राजस्थानी नृत्य, रामावतार के भवई नृत्य, हरियाणा के राजेश गांगुली ने फाग, अनवर खां ने राजस्थानी कार्यक्रम, मध्यप्रदेश के अरविंद यादव ने नृत्य, रामप्रसाद निवाई ने अलगोजा व उत्तरप्रदेश के कलाकारो ने गायन की प्रस्तुतियां देकर हर किसी का मन मोह लिया। कार्यक्रम मे जिला कलक्टर एमपी स्वामी, पुलिस अधीक्षक ममता विश्नोई, यूआईटी अध्यक्ष उम्मेदसिंह तंवर, पोकरण विधायक शाले मोहम्मद सहित कई गणमान्य लोग मौजूद थे।
उद्घोषको ने किया सुधार
मरू महोत्सव के दौरान सम मे आयोजित कार्यक्रम मे उद्घोषको की ओर से हिन्दी व अंग्रेजी की उद्घोषणा करने से सैलानियो को समझने मे आसानी रही। गौरतलब है कि राजस्थान पत्रिका ने 7 फरवरी के अंक मे उद्घोषक की ओर से मारवाड़ी अंदाज मे भाषा का प्रयुक्त करने से सैलानियो हो रही समस्याओ को लेकर परिचर्चा का प्रकाशन किया था। इस पर प्रशासन ने सबक लेते हुए इस भूल को सही किया।
आकर्षक ऊंट दौड़
शाम को जहां ऊंटों की दौड़ खासी आकर्षक रही। ऊंट दौड़ मे जगमाल खां प्रथम, पीरू खां द्वितीय व पीरू खां तृतीय रहे। सूर्यास्त के समय सैलानी समुदाय धोरो से होकर अस्त होते सूरज को देखने और सनसेट के नजारों में मग्न होता रहा। धोरों पर आसमान में उड़ने वाले पंतगों ने बेहद आनंद लिया। आसमान मे ताजमहल की प्रतिकृति की पतंग लोगो के लिए आकर्षण का केन्द्र रही।
धोरों पर लगा मेला
मरूमहोत्सव के अन्तिम दिन सम के धोरों पर मेला लगा रहा और पूरे क्षेत्र में देश-विदेश सैलानियों का भारी जमघट सर्द हवाओं के बावजूद धोरों के आंगन में मस्ती लूटता रहा। सैलानियों ने ऊंट गाडियों व ऊटों पर बैठकर रेत के समुन्दर में भ्रमण का आनंद लिया। देशी -विदेशी सैलानियों ने सम के धोरों की यादगार को अपने कैमरे में कैद किया और फोटो खिंचवाए व बच्चों ने मखमली धोरों पर जमकर उछलकूद का आनन्द लिया। रंग बिरगें परिधानों में हजारों संख्या में उमड़ें सैलानियों की वजह से सम के धोरे दूर से रंगीन दिखाई दिए। कई सैलानियों ने केमल सफारी का आनंद लिया।
हर जगह वाहन
जैसलमेर से सम तक पूरा रास्ता विभिन्न प्रकारों के वाहनों की श्ृंखला से अटा रहा और दोपहर बाद सम की ओर पहुंचने का दौर निरन्तर जारी रहा। महोत्सव के तीसरे दिन मंगलवार को पुलिस ने सुरक्षा व्यवस्था के मजबूत बनाने के लिए इंतजाम किए।
उठाया लुत्फ
सम के धोरों पर देशी- विदेशी सैलानियों ने रेगिस्तानी जहाज की सवारी करते हुए गजब का आनन्द लिया और डेजर्ट सफारी ने रोमंाच भर दिया। सम के धोरे दूर- दूर से आए सैलानी ताजगी और उर्जा का अहसास दिलाते रहे और सर्द हवाओं के आनन्द के महासागर में गोते लगाते रहे।
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