"सेक्सी कहने पर बुरा न मानें लड़कियां"
जयपुर। लड़कों के सेक्सी जैसे कमेंट्स करने पर लड़कियों को बुरा नहीं मानने की सलाह देकर राष्ट्रीय महिला आयोग अध्यक्ष ममता शर्मा ने शनिवार को एक नए विवाद को जन्म दे दिया। उनके इस बयान से शहर के विभिन्न वर्गो के लोग व महिला संगठनों ने ऎतराज जताया।
इस बयान पर हुआ बवाल
अखिल भारतीय तेरापंथ महिला मंडल की दिशाबोध सेमिनार में "सेक्सी" शब्द की नई व्याख्या करते हुए ममता शर्मा ने कहा कि इसका मतलब है ब्यूटी फॉर चार्मिग एक्साइटेड, मतलब ऎसी सुंदरता जो आकर्षित करे, उत्तेजित करे। उन्होंने इसे लड़कियों को सकारात्मक रूप में लेते हुए आत्मविश्वास बनाने व खुद पर गर्व करने की सलाह भी दे डाली। इस मौके पर उन्होंने यह भी कहा कि अखबारों या टीवी पर महिलाओं को अश्लील दिखाने वाले विज्ञापनों पर रोक लगनी चाहिए।
राष्ट्रीय अध्यक्ष की इस परिभाषा से मैं सहमत नहीं हूं। 13 अगस्त 1997 को सुप्रीम कोर्ट ने विशाखा जजमेंट मामले में यौन शोषण को परिभाषित किया था, ये बयान उस निर्णय का भी उल्लंघन है।
प्रो. लाडकुमारी जैन, अध्यक्ष, राज्य महिला आयोग
अध्यक्ष लड़कियों को पाश्चात्य संस्कृति की ओर ले जाना चाहती हैं। वे यह न भूलें कि पाश्चात्य देशों में खुलेपन से डिप्रेशन फैल रहा है। हम भारतीय हैं, तो हमें यही रहने दें।
सरोज कुमारी प्रदेशाध्यक्ष, भाजपा महिला मोर्चा
महिला आयोग अध्यक्ष को इतने उच्च पद पर पहुंच ऎसी भाषा प्रयोग नहीं करनी चाहिए।
विजयलक्ष्मी विश्नोई, प्रदेशाध्यक्ष, महिला कांग्रेस
ममता शर्मा का यह बयान राष्ट्रीय महिला आयोग के अध्यक्ष पद की अवमानना है। उन्हें लोगों से माफी मांगनी चाहिए।
डॉ. ज्योति किरण, प्रवक्ता, प्रदेश भाजपा
जयपुर। लड़कों के सेक्सी जैसे कमेंट्स करने पर लड़कियों को बुरा नहीं मानने की सलाह देकर राष्ट्रीय महिला आयोग अध्यक्ष ममता शर्मा ने शनिवार को एक नए विवाद को जन्म दे दिया। उनके इस बयान से शहर के विभिन्न वर्गो के लोग व महिला संगठनों ने ऎतराज जताया।
इस बयान पर हुआ बवाल
अखिल भारतीय तेरापंथ महिला मंडल की दिशाबोध सेमिनार में "सेक्सी" शब्द की नई व्याख्या करते हुए ममता शर्मा ने कहा कि इसका मतलब है ब्यूटी फॉर चार्मिग एक्साइटेड, मतलब ऎसी सुंदरता जो आकर्षित करे, उत्तेजित करे। उन्होंने इसे लड़कियों को सकारात्मक रूप में लेते हुए आत्मविश्वास बनाने व खुद पर गर्व करने की सलाह भी दे डाली। इस मौके पर उन्होंने यह भी कहा कि अखबारों या टीवी पर महिलाओं को अश्लील दिखाने वाले विज्ञापनों पर रोक लगनी चाहिए।
राष्ट्रीय अध्यक्ष की इस परिभाषा से मैं सहमत नहीं हूं। 13 अगस्त 1997 को सुप्रीम कोर्ट ने विशाखा जजमेंट मामले में यौन शोषण को परिभाषित किया था, ये बयान उस निर्णय का भी उल्लंघन है।
प्रो. लाडकुमारी जैन, अध्यक्ष, राज्य महिला आयोग
अध्यक्ष लड़कियों को पाश्चात्य संस्कृति की ओर ले जाना चाहती हैं। वे यह न भूलें कि पाश्चात्य देशों में खुलेपन से डिप्रेशन फैल रहा है। हम भारतीय हैं, तो हमें यही रहने दें।
सरोज कुमारी प्रदेशाध्यक्ष, भाजपा महिला मोर्चा
महिला आयोग अध्यक्ष को इतने उच्च पद पर पहुंच ऎसी भाषा प्रयोग नहीं करनी चाहिए।
विजयलक्ष्मी विश्नोई, प्रदेशाध्यक्ष, महिला कांग्रेस
ममता शर्मा का यह बयान राष्ट्रीय महिला आयोग के अध्यक्ष पद की अवमानना है। उन्हें लोगों से माफी मांगनी चाहिए।
डॉ. ज्योति किरण, प्रवक्ता, प्रदेश भाजपा
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें