नई दिल्ली. दिल्ली पुलिस कमिश्नर बी. के. गुप्ता ने बाबा रामदेव और उनके समर्थकों पर लाठीचार्ज के मामले में सफाई देते हुए कहा, ' पुलिस को लाठीचार्ज का आदेश नहीं दिया गया था। दो-तीन पुलिस वालों ने लाठीचार्ज किया था। हम जांच करेंगे और रिपोर्ट पेश करेंगे। ' उन्होंने अपना पक्ष रखते हुए कहा कि हम लोग कोर्ट के फैसले का अध्ययन कर रहे हैं।
पिछले साल रामलीला मैदान में हुए लाठीचार्ज के मामले में सुप्रीम कोर्ट के गुरुवार के फैसले पर प्रतिक्रिया जाहिर करते हुए बाबा रामदेव ने कहा है कि सरकार कदम-कदम पर संविधान और कानून का उल्लंघन कर रही है। हर रोज सरकार लोकतंत्र और लोकतांत्रिक संस्थाओं को कमजोर कर रही है।
प्रेस कांफ्रेस में बाबा रामदेव के साथ ही मौजूद भारत स्वाभिमान ट्रस्ट की ओर से सुप्रीम कोर्ट में इस मामले की पैरवी करने वाले वकील राम जेठमलानी ने पी. चिदंबरम पर निशाना साधते हुए कहा, 'मैं जानना चाहता हूं कि इस नासमझ (स्टूपिड) गृह मंत्री को किसने यह अधिकार दे दिया कि वह तय करें कौन विरोध कर सकता है और कौन नहीं।' जेठमलानी ने कहा, 'मेरा सवाल यही है कि उस रात बवाल किसने शुरू किया था? तथ्य यही है कि 4 जून की उस रात जनता रामलीला मैदान में सो रही थी। जब उन पर हमला हुआ। मुझे आज इस बात की चिंता है कि इस मामले में गृह मंत्री की इस मामले में क्या भूमिका थी?'
देश के जाने माने वकील जेठमलानी ने तल्ख तेवर अपनाते हुए कहा, ‘स्टूपिड होम मिनिस्टर’ को यह ‘पॉवर’ किसने दिया कि रामदेव को प्रदर्शन और आमरण अनशन की इजाजत नहीं है और यदि वह ऐसा करते हैं तो उन्हें दिल्ली के बाहर उठा कर फेंक दिया जाए। देश का गृह मंत्री ही संविधान का दुश्मन है।’
जेठमलानी ने कहा, 'हम सुप्रीम कोर्ट नहीं गए थे। हमने देश की जनता के सामने अपनी बात रखी थी। सुप्रीम कोर्ट ने अपनी तरफ से नोटिस जारी किया था। मेरे हिसाब से बाबा रामदेव ने मुकदमा जीता है।'
जेठमलानी ने आगे कहा, 'सब लोग जानते हैं कि बाबा रामदेव काले धन के खिलाफ आवाज़ उठा रहे थे। सरकार और सीबीआई ने काले धन के मुद्दे पर कुछ नहीं किया। स्विस पत्रिका ने उन लोगों के नाम छापे थे, जिन पर काले धन रखने का आरोप है। मुझे इस बात पर शर्म आती है कि उसमें राजीव गांधी का भी नाम था। लेकिन कांग्रेस ने इस पत्रिका को चुनौती नहीं दी?' जेठमलानी ने कहा कि वे काले धन की लड़ाई में बाबा रामदेव का साथ देते रहेंगे।
सोते हुए लोगों पर क्रूरता
बाबा रामेदव ने अपनी तरफ से सफाई देते हुए कहा, 'केंद्र के आदेश पर सोते हुए लोगों पर क्रूरता की गई थी। ताकत का गलत तरीके से इस्तेमाल किया गया। मैंने शांति की अपील की थी।'
रामदेव ने कहा, ‘केंद्र के कहने पर पुलिस ने क्रूरता की। राजबाला की मौत पर सरकार के संवेदना के एक शब्द भी नहीं कहे। यदि आंदोलन या विरोध प्रदर्शन करना अपराध है तो गांधी, जेपी ने भी अपराध किया। उस वक्त कई लोग मारे गए लेकिन सरकार ने गांधी या जेपी को जिम्मेदार नहीं ठहराया गया। यह (मौजूदा केंद्र) सरकार तो ब्रिटिश सरकार से भी क्रूर है।
रामदेव ने केंद्र सरकार पर रामलीला मैदान की घटना की वीडियो फुटेज कांट छांट कर अदालत में पेश करने का आरोप लगाया। योग गुरु ने सुप्रीम कोर्ट में केंद्र सरकार के हलफनामे का जिक्र करते हुए कहा कि केंद्र सरकार हिंदुओं को आतंकवादी और मुसलमानों को राष्ट्रविरोधी मानती है। काले धन के खिलाफ दिल्ली में फिर से प्रदर्शन होगा। अगले आंदोलन की घोषणा जल्द होगी और इस बार आर पार की लड़ाई होगी।
राजबाला की पुत्रवधु की प्रतिक्रिया
रामलीला मैदान में पुलिसिया कार्रवाई के दौरान घायल होकर दम तोड़ने वाली राजबाला की पुत्रवधु भी रामदेव के साथ प्रेस काफ्रेंस में मौजूद थीं। उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले का हम सम्मान करते हैं। उन्होंने कहा, ‘हम मुआवजा के लिए सुप्रीम कोर्ट नहीं गए थे। हमारी मांग है कि एक निष्पक्ष जांच कमेटी बनाई जाए जो रामलीला मैदान में हुई घटना का सच सामने आए। दोषी को सजा दी जाए। स्वामी जी का निजी आंदोलन नहीं था बल्कि देश की जनता के लिए था।’
पिछले साल रामलीला मैदान में हुए लाठीचार्ज के मामले में सुप्रीम कोर्ट के गुरुवार के फैसले पर प्रतिक्रिया जाहिर करते हुए बाबा रामदेव ने कहा है कि सरकार कदम-कदम पर संविधान और कानून का उल्लंघन कर रही है। हर रोज सरकार लोकतंत्र और लोकतांत्रिक संस्थाओं को कमजोर कर रही है।
प्रेस कांफ्रेस में बाबा रामदेव के साथ ही मौजूद भारत स्वाभिमान ट्रस्ट की ओर से सुप्रीम कोर्ट में इस मामले की पैरवी करने वाले वकील राम जेठमलानी ने पी. चिदंबरम पर निशाना साधते हुए कहा, 'मैं जानना चाहता हूं कि इस नासमझ (स्टूपिड) गृह मंत्री को किसने यह अधिकार दे दिया कि वह तय करें कौन विरोध कर सकता है और कौन नहीं।' जेठमलानी ने कहा, 'मेरा सवाल यही है कि उस रात बवाल किसने शुरू किया था? तथ्य यही है कि 4 जून की उस रात जनता रामलीला मैदान में सो रही थी। जब उन पर हमला हुआ। मुझे आज इस बात की चिंता है कि इस मामले में गृह मंत्री की इस मामले में क्या भूमिका थी?'
देश के जाने माने वकील जेठमलानी ने तल्ख तेवर अपनाते हुए कहा, ‘स्टूपिड होम मिनिस्टर’ को यह ‘पॉवर’ किसने दिया कि रामदेव को प्रदर्शन और आमरण अनशन की इजाजत नहीं है और यदि वह ऐसा करते हैं तो उन्हें दिल्ली के बाहर उठा कर फेंक दिया जाए। देश का गृह मंत्री ही संविधान का दुश्मन है।’
जेठमलानी ने कहा, 'हम सुप्रीम कोर्ट नहीं गए थे। हमने देश की जनता के सामने अपनी बात रखी थी। सुप्रीम कोर्ट ने अपनी तरफ से नोटिस जारी किया था। मेरे हिसाब से बाबा रामदेव ने मुकदमा जीता है।'
जेठमलानी ने आगे कहा, 'सब लोग जानते हैं कि बाबा रामदेव काले धन के खिलाफ आवाज़ उठा रहे थे। सरकार और सीबीआई ने काले धन के मुद्दे पर कुछ नहीं किया। स्विस पत्रिका ने उन लोगों के नाम छापे थे, जिन पर काले धन रखने का आरोप है। मुझे इस बात पर शर्म आती है कि उसमें राजीव गांधी का भी नाम था। लेकिन कांग्रेस ने इस पत्रिका को चुनौती नहीं दी?' जेठमलानी ने कहा कि वे काले धन की लड़ाई में बाबा रामदेव का साथ देते रहेंगे।
सोते हुए लोगों पर क्रूरता
बाबा रामेदव ने अपनी तरफ से सफाई देते हुए कहा, 'केंद्र के आदेश पर सोते हुए लोगों पर क्रूरता की गई थी। ताकत का गलत तरीके से इस्तेमाल किया गया। मैंने शांति की अपील की थी।'
रामदेव ने कहा, ‘केंद्र के कहने पर पुलिस ने क्रूरता की। राजबाला की मौत पर सरकार के संवेदना के एक शब्द भी नहीं कहे। यदि आंदोलन या विरोध प्रदर्शन करना अपराध है तो गांधी, जेपी ने भी अपराध किया। उस वक्त कई लोग मारे गए लेकिन सरकार ने गांधी या जेपी को जिम्मेदार नहीं ठहराया गया। यह (मौजूदा केंद्र) सरकार तो ब्रिटिश सरकार से भी क्रूर है।
रामदेव ने केंद्र सरकार पर रामलीला मैदान की घटना की वीडियो फुटेज कांट छांट कर अदालत में पेश करने का आरोप लगाया। योग गुरु ने सुप्रीम कोर्ट में केंद्र सरकार के हलफनामे का जिक्र करते हुए कहा कि केंद्र सरकार हिंदुओं को आतंकवादी और मुसलमानों को राष्ट्रविरोधी मानती है। काले धन के खिलाफ दिल्ली में फिर से प्रदर्शन होगा। अगले आंदोलन की घोषणा जल्द होगी और इस बार आर पार की लड़ाई होगी।
राजबाला की पुत्रवधु की प्रतिक्रिया
रामलीला मैदान में पुलिसिया कार्रवाई के दौरान घायल होकर दम तोड़ने वाली राजबाला की पुत्रवधु भी रामदेव के साथ प्रेस काफ्रेंस में मौजूद थीं। उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के फैसले का हम सम्मान करते हैं। उन्होंने कहा, ‘हम मुआवजा के लिए सुप्रीम कोर्ट नहीं गए थे। हमारी मांग है कि एक निष्पक्ष जांच कमेटी बनाई जाए जो रामलीला मैदान में हुई घटना का सच सामने आए। दोषी को सजा दी जाए। स्वामी जी का निजी आंदोलन नहीं था बल्कि देश की जनता के लिए था।’
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