रूस में अपराधी को बना देंगे "नपुंसक"
मास्को। रूस की संसद के ऊपरी सदन फेडेरल काउंसिल ने बच्चों के साथ यौन अपराध करने वाले अपराधियों को नपुंसक(बंध्याकरण) बना देने के प्रावधान वाले विधेयक पारित कर दिया है।
यह विधेयक निचले सदन डयूमा में पहले ही पारित किया जा चुका है। इस विधेयक में बच्चों के साथ यौन अपराध करने वालों के लिए बंध्याकरण और आजीवन कारावास जैसी सख्त सजा का प्रावधान किया गया है।
रूस में पहली बार बना ऎसा कानून
इस विधेयक के प्रस्ताव को अक्टूबर में मंजूरी दी गयी थी। उसके बाद से ही इस मुद्दे पर राष्ट्रव्यापी चर्चा छिड़ गई थी। इसमें कई बदलाव किए गए। देश में इसतरह का कानून पहली बार बनाया गया है। इस अपराध के लिए सजा पाने वालों का रासायनिक बंध्याकरण किया जाएगा।
भारत में भी अदालत ने दी सलाह
बाल यौन दुराचारियों को सजा के लिए जो प्रावधान रूस में बनाए गए हैं, भारत में भी बनाए जाने पर बहस छिड़ चुकी है। इसी सप्ताह के शुरू में राजधानी की एक अदालत ने बच्ची से दुष्कर्म के मामले में शुRवार को कड़ा रूख अपनाते हुए कहा कि बच्चों से यौन शोषण के दोषियों को नपुंसक बना देने से अधिक उपयुक्त सजा नहीं हो सकती।
अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश (एएसजे) कामिनी लाउ ने एक बच्ची से दुष्कर्म के मामले में शुRवार को दोषी को सजा सुनाते हुए कहा, बच्चों से यौन शोषण करने वालों का वंध्यकरण करना ही सबसे उपयुक्त सजा है लेकिन कोर्ट के हाथ बंधे हैं क्योंकि कानून इसकी इजाजत नहीं देता। उन्होंने विधायिका से इस पर विचार करने की अपील की।
एएसजे ने छह साल की अपनी रिश्तेदार से दुष्कर्म करने के दोषी एक व्यक्ति को उम्रकैद की सजा सुनाई। साथ ही कोर्ट ने दिल्ली सरकार को पीडित बच्ची को दो लाख रूपए का मुआवजा देने का भी आदेश दिया। कोर्ट ने अपहरण, बलात्कार और अप्राकृतिक सैक्स का दोषी पाए जाने पर 30 वर्षीय नंदन को यह सजा सुनाई। कोर्ट ने दोषी को लाइव सैक्स बम बताते हुए कहा कि समाज लाइव सैक्स बमों को बर्दाश्त नहीं कर सकता जो महिलाओं व बच्चों के लिए खतरा हैं।
उल्लेखनीय है कि नंदन गत वर्ष अप्रेल में अपनी छह साल की रिश्तेदार बच्ची को आईसRीम देने के बहाने अपने घर ले गया था। नंदन ने वहां बच्ची के साथ दुष्कर्म किया। अभियोजन के अनुसार नंदन इससे पहले अपने परिवार की एक महिला के साथ भी ऎसी कोशिश कर चुका था लेकिन तब परिवार के सम्मान की खातिर इस मामले को दबा दिया गया। कोर्ट ने कहा कि बच्ची को दोषी के चंगुल से उसकी मां व आंटी ने छुड़ाया जो उसको ढ़ूढंते हुए वहां गई थीं। उन्होंने बच्ची को वहां रोते हुए पाया जबकि नंदन अपराध करने के बाद सो रहा था।
मास्को। रूस की संसद के ऊपरी सदन फेडेरल काउंसिल ने बच्चों के साथ यौन अपराध करने वाले अपराधियों को नपुंसक(बंध्याकरण) बना देने के प्रावधान वाले विधेयक पारित कर दिया है।
यह विधेयक निचले सदन डयूमा में पहले ही पारित किया जा चुका है। इस विधेयक में बच्चों के साथ यौन अपराध करने वालों के लिए बंध्याकरण और आजीवन कारावास जैसी सख्त सजा का प्रावधान किया गया है।
रूस में पहली बार बना ऎसा कानून
इस विधेयक के प्रस्ताव को अक्टूबर में मंजूरी दी गयी थी। उसके बाद से ही इस मुद्दे पर राष्ट्रव्यापी चर्चा छिड़ गई थी। इसमें कई बदलाव किए गए। देश में इसतरह का कानून पहली बार बनाया गया है। इस अपराध के लिए सजा पाने वालों का रासायनिक बंध्याकरण किया जाएगा।
भारत में भी अदालत ने दी सलाह
बाल यौन दुराचारियों को सजा के लिए जो प्रावधान रूस में बनाए गए हैं, भारत में भी बनाए जाने पर बहस छिड़ चुकी है। इसी सप्ताह के शुरू में राजधानी की एक अदालत ने बच्ची से दुष्कर्म के मामले में शुRवार को कड़ा रूख अपनाते हुए कहा कि बच्चों से यौन शोषण के दोषियों को नपुंसक बना देने से अधिक उपयुक्त सजा नहीं हो सकती।
अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश (एएसजे) कामिनी लाउ ने एक बच्ची से दुष्कर्म के मामले में शुRवार को दोषी को सजा सुनाते हुए कहा, बच्चों से यौन शोषण करने वालों का वंध्यकरण करना ही सबसे उपयुक्त सजा है लेकिन कोर्ट के हाथ बंधे हैं क्योंकि कानून इसकी इजाजत नहीं देता। उन्होंने विधायिका से इस पर विचार करने की अपील की।
एएसजे ने छह साल की अपनी रिश्तेदार से दुष्कर्म करने के दोषी एक व्यक्ति को उम्रकैद की सजा सुनाई। साथ ही कोर्ट ने दिल्ली सरकार को पीडित बच्ची को दो लाख रूपए का मुआवजा देने का भी आदेश दिया। कोर्ट ने अपहरण, बलात्कार और अप्राकृतिक सैक्स का दोषी पाए जाने पर 30 वर्षीय नंदन को यह सजा सुनाई। कोर्ट ने दोषी को लाइव सैक्स बम बताते हुए कहा कि समाज लाइव सैक्स बमों को बर्दाश्त नहीं कर सकता जो महिलाओं व बच्चों के लिए खतरा हैं।
उल्लेखनीय है कि नंदन गत वर्ष अप्रेल में अपनी छह साल की रिश्तेदार बच्ची को आईसRीम देने के बहाने अपने घर ले गया था। नंदन ने वहां बच्ची के साथ दुष्कर्म किया। अभियोजन के अनुसार नंदन इससे पहले अपने परिवार की एक महिला के साथ भी ऎसी कोशिश कर चुका था लेकिन तब परिवार के सम्मान की खातिर इस मामले को दबा दिया गया। कोर्ट ने कहा कि बच्ची को दोषी के चंगुल से उसकी मां व आंटी ने छुड़ाया जो उसको ढ़ूढंते हुए वहां गई थीं। उन्होंने बच्ची को वहां रोते हुए पाया जबकि नंदन अपराध करने के बाद सो रहा था।
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