राजपथ पर बिखरे राजस्थानी रंग
जयपुर। नई दिल्ली में राजपथ पर आयोजित गणतंत्र दिवस परेड में राजस्थान की बहुरंगी छटा देखने को मिली। परेड में निकली केन्द्र एवं राज्यों की 23 झांकियों में राजस्थान की ऎतिहासिक आमेर किले की झांकी ने राज्य का प्रतिनिधित्व किया। इस झांकी के माध्यम से राजस्थान की ऎतिहासिक एवं सांस्कृतिक वैभव की छवि प्रदर्शित की गई। गुलाबी रंग से सजी इस झांकी की परिकल्पना यूनिस्को द्वारा विश्व धरोहर संरक्षित सूची में आमरे किले को शामिल करने के प्रस्ताव के संदर्भ में की गई है।
परेड में चटख राजस्थानी रंगों से सजे धजे और गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकार्डस में स्थान बनाने वाले दुनिया के एक मात्र कैमल बैंड की छटा देखते ही बनी। वर्ष 1986-87 में स्थापित हुआ यह ऊंट बैंड दस्ता सीमा सुरक्षा बल (बी.एस.एफ.) के जवानों से सुसज्जित था। कैमल बंैड की ओर से राजपथ पर छोड़ी जाने वाले राष्ट्रभक्ति की धुनों ने सभी को मंत्रमुग्ध कर दिया।
परेड में शामिल हुआ राजस्थान का बहादुर
गणतंत्र दिवस परेड में राष्ट्रीय वीरता पुरस्कार से सम्मानित देश के 24 बहादुर बच्चे शामिल हुए। इनमें सबसे कम उम्र का जैसलमेर जिले के सिंह की ढाणी (ग्राम प्रतापगढ़)निवासी सात वर्षीय बहादुर बालक मास्टर डूंगर सिंह भी शामिल हुआ।
जयपुर। नई दिल्ली में राजपथ पर आयोजित गणतंत्र दिवस परेड में राजस्थान की बहुरंगी छटा देखने को मिली। परेड में निकली केन्द्र एवं राज्यों की 23 झांकियों में राजस्थान की ऎतिहासिक आमेर किले की झांकी ने राज्य का प्रतिनिधित्व किया। इस झांकी के माध्यम से राजस्थान की ऎतिहासिक एवं सांस्कृतिक वैभव की छवि प्रदर्शित की गई। गुलाबी रंग से सजी इस झांकी की परिकल्पना यूनिस्को द्वारा विश्व धरोहर संरक्षित सूची में आमरे किले को शामिल करने के प्रस्ताव के संदर्भ में की गई है।
परेड में चटख राजस्थानी रंगों से सजे धजे और गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकार्डस में स्थान बनाने वाले दुनिया के एक मात्र कैमल बैंड की छटा देखते ही बनी। वर्ष 1986-87 में स्थापित हुआ यह ऊंट बैंड दस्ता सीमा सुरक्षा बल (बी.एस.एफ.) के जवानों से सुसज्जित था। कैमल बंैड की ओर से राजपथ पर छोड़ी जाने वाले राष्ट्रभक्ति की धुनों ने सभी को मंत्रमुग्ध कर दिया।
परेड में शामिल हुआ राजस्थान का बहादुर
गणतंत्र दिवस परेड में राष्ट्रीय वीरता पुरस्कार से सम्मानित देश के 24 बहादुर बच्चे शामिल हुए। इनमें सबसे कम उम्र का जैसलमेर जिले के सिंह की ढाणी (ग्राम प्रतापगढ़)निवासी सात वर्षीय बहादुर बालक मास्टर डूंगर सिंह भी शामिल हुआ।
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