बुधवार, 11 जनवरी 2012

पाक में सरकार और सेना आमने-सामने,टकराव बढ़ा,रक्षा सचिव बर्खास्त


 
इस्लामाबाद. पाकिस्तान में सरकार के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद देश में मचे राजनीतिक बवाल के बीच आज सरकार और सेना खुलकर आमने-सामने आ गई है जिससे न्यायपालिका,विधायिका और सेना तीनों के बीच गंभीर टकराव पैदा हो गया है।

सेना प्रमुख जनरल अशफाक परवेज कयानी ने मेमोगेट कांड पर उनके बयान को गैर कानूनी बताने सम्बन्धी प्रधानमंत्नी युसुफ रजा गिलानी के उस बयान पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए धमकी दी कि इसके गंभीर नतीजे हो सकते हैं। उनकी इस धमकी के जवाब में गिलानी ने रक्षा सचिव खालिद नईम लोधी को बर्खास्त कर दिया।

शासन तंत्न के विभिन्न स्तंभों के बीच टकराव की स्थिति पर विचार करने के लिए कल सरकार ने जहां संसद का आपात सत्न बुलाया गया है वहीं सेना प्रमुख ने कोर कमांडरों की आपात बैठक बुलाई है। इन गंभीर परिस्थतियों के बीच गिलानी ने आज रात राष्ट्र को संबोधित करेंगे।

सुप्रीम कोर्ट ने मेमोगेट कांड मे पहले से ही फंसे राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी के खिलाफ भ्रष्टाचार के मामले दोबारा शुरू करने के उसके आदेश के उल्लंघन पर कल गिलानी के खिलाफ सख्त टिप्पणी करते हुए कहा था कि उन्हें बर्खास्त किया जा सकता है क्योंकि उन्होनें न्यायालय का आदेश लागू न करके असंवैधानिक काम किया है।

उधर गिलानी ने कहा था कि मेमोगेट मामले पर जनरल कयानी और खुफिया प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल अहमद शुजा पाशा ने इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में जो बयान दिया है वह गैरकानूनी है क्योंकि दोनों ने इसके लिए सक्षम प्राधिकरण से पूर्व अनुमति नही ली थी।
जनरल कयानी ने गिलानी के इस बयान पर कड़ी टिप्पणी करते हुए चेतावनी दी कि इसके गंभीर परिणाम हो सकते हैं। उन्होने एक बयान जारी करके कहा कि गिलानी ने उनके और खुफिया एजेंसी आईएसआई प्रमुख जनरल शुजात अहमद पाशा जो आरोप लगाए हैं उससे गंभीर आरोप और कुछ नहीं हो सकता। उन्होने दोनों पर देश के संविधान के उल्लंघन का आरोप लगाया है जो निहायत ही
दुर्भाग्यपूर्ण है।


प्रधानमंत्नी ने बयान जारी करके कहा कि लोधी को इसलिए बर्खास्त किया गया है क्योंकि उन्होने गंभीर कदाचार और गैरकानूनी काम किया है जिससे देश की संस्थाओं के बीच गलतफहमी पैदा हो गई है। लेफ्टिनेंट जनरल(सेवानिवृत्त)लोधी को जनरल कयानी का करीबी माना जाता है।


इससे पहले केंद्रीय कैबिनेट की आज हुई बैठक में गिलानी और जरदारी के नेतृत्व के प्रति पूरी आस्था व्यक्त की गई। गिलानी की अध्यक्षता में हुई इस बैठक में कुछ मंत्नियो ने राष्ट्रीय सौहाद्र्र्र अध्यादेश पर न्यायालय का आदेश लागू करने की सलाह दी तो अन्य ने कहा कि देश में संसद ही सर्वोच्च है।



इस बीच जरदारी ने इन खबरों का खंडन किया कि वह इस्तीफा देने को तैयार हैं।


ग़ौरतलब है कि रक्षा सचिव लैफ्टीनेंट जनरल नईम ख़ालिद ने 15 दिसंबर 2011 को सुप्रीम कोर्ट में कथित मेमो विवाद के मामले की सुनवाई के दौरान बताया था कि उनके मंत्रालय का पाकिस्तानी सेना और ख़ुफ़िया एजेंसी आईएसआई पर कोई नियंत्रण नहीं है।
नईम ख़ालिद लोधी के बयान की सरकार से कड़ी प्रतिक्रिया की थी और प्रधानमंत्री यूसुफ़ रज़ा गिलानी ने संसद को संबोधित करते हुए कहा था कि उनकी सरकार और सेना के बीच कोई मतभेद नहीं हैं।
इस विवाद की वजह से अमरीका में पाकिस्तान के राजदूत हुसैन हक़्क़ानी को इस्तीफ़ा देना पड़ा था।

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