केसरियामय हुओ आपणौ जैसाणौ जैसलमेर यूरोप के इतिहासकार एल्फिस्टन ने लिखा है कि राजपूत लोहे से कटने वाले नहीं है, वे कटना व मरना नहीं जानते हैं। संत धर्मबंधु महाराज ने कहा कि राजपूत जब सभ्यता से विमुख हो रहे थे तब तनसिंहजी ने उन्हें मार्गदर्शन दिया। धर्मबंधु महाराज राजपूत छात्रावास में आयोजित तनसिंह जयंती समारोह को संबोधित कर रहे थे। क्षत्रिय युवक संघ की ओर से बुधवार को भव्य समारोह आयोजित किया गया। समारोह में आसपास के जिलों व गांवों से 20 हजार से अधिक लोगों ने हिस्सा लिया।तनसिंहजी के बताए मार्ग पर चलने के लिए अतिथियों ने उपस्थित हजारों लोगों से आह्वान किया। कार्यक्रम में संत धर्मबंधु जी महाराज मुख्य वक्ता के रूप में उपस्थित थे। मंचासीन अतिथियों में संघ प्रमुख भगवानसिंह व पूर्व महाराव बृजराज सिंह भी शामिल थे।धर्मबंधु महाराज ने कहा कि प्राचीन ग्रंथ ऋगवेद है और प्राचीन भाषा संस्कृत। जिसे विश्व के कई ग्रंथों ने माना है। ढाई अरब लोग बाइबिल को मानते हैं जिसमें भी यही लिखा है कि एक जाति है, एक भाषा है और एक ही समाज है। इतिहासकार मैक्स मूलर ने लिखा है कि दुनिया मानती है कि भारतीय संस्कृति प्राचीन है। महिलाओं की भी रही भागीदारी: तनसिंह जयंती समारोह के दौरान बड़ी संख्या में महिलाएं भी उपस्थित रहीं। दोपहर करीब एक बजे शुरू हुए समारोह में कार्यक्रम के संयोजक सवाईसिंह देवड़ा ने स्वागत उद्बोधन दिया। इस दौरान आसरी मठ के महंत भी उपस्थित थे। मौजिज व गणमान्य लोग रहे उपस्थित: तनसिंह जयंती समारोह में पूर्व सांसद मेजर मानवेन्द्रसिंह, विधायक छोटूसिंह भाटी, पूर्व विधायक सांगसिंह भाटी व किशनसिंह भाटी, वरिष्ठ नेता शैतानसिंह राठौड़, सुनीता भाटी, प्रधान लक्ष्मी कंवर, प्राप्ति राठौड़, पूर्व प्रधान करूणा कंवर सहित अनेक गणमान्य लोग मौजूद थे। 20 हजार से अधिक लोग पहुंचे : कार्यक्रम के संयोजक सवाईसिंह देवड़ा ने बताया कि पिछले कई दिनों से क्षत्रिय युवक संघ के कार्यकर्ता इस आयोजन को सफल बनाने के लिए दौड़ भाग कर रहे थे। बुधवार को आयोजित कार्यक्रम में हजारों लोगों की उपस्थिति ने कार्यकर्ताओं की मेहनत को सफल कर दिया। कार्यक्रम पूरी तरह से अनुशासित रहा और गांव गांव से लोग जिला मुख्यालय पर कार्यक्रम में शरीक होने पहुंचे। कोलंबो से कोलंबस तक एक कर सकते हैं राजपूत : धर्मबंधु महाराज ने कहा कि राजपूतों में वह शक्ति है कि वे कोलंबो से कोलंबस तक एक कर सकते हैं। उन्होंने यहूदियों का उदाहरण देते हुए बताया कि 1600 वर्षों बाद यहूदी उठ खड़े हुए। छोटा इजरायल देश आज जगत गुरु के बराबर है। वहां 2 फीसदी लोग हिब्रू भाषा बोलते थे फिर भी उसे राष्ट्र भाषा घोषित कर दिया गया। |
गुरुवार, 26 जनवरी 2012
केसरियामय हुओ आपणौ जैसाणौ
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