शनिवार, 21 जनवरी 2012

राजस्थानी भाषा में जो मिठास है वो अन्य भाषा में नहीं


राजस्थानी बोली में मिठास, अन्य भाषा में नहीं

म्हारी जुबान रो खोलो तालो पोस्टकार्ड अभियान



बाड़मेरअखिल भारतीय राजस्थानी भाषा मान्यता संघर्ष समिति तथा राजस्थानी मोटियार परिषद के तत्वावधान में रामावि अंतरी देवी में शुक्रवार को म्हारी जुबान रो खोलो तालों पोस्टकार्ड अभियान के तहत राजस्थानी रो हैलो कार्यक्रम का आयोजन हुआ।

कार्यक्रम को संबोधित करते हुए डॉ. लक्ष्मी नारायण जोशी ने कहा कि राजस्थानी भाषा में जो मिठास है वो अन्य भाषा में नहीं। उन्होंने कहा राजस्थानी भाषा को मान्यता मिलना चाहिए। उन्होंने कहा संविधान में छोटी-मोटी भाषा को मान्यता मिली, लेकिन वृहद स्तर पर बोली जाने वाली मायड़ भाषा राजस्थानी को अभी तक संवैधानिक मान्यता नहीं मिलना दुर्भाग्यपूर्ण है। समारोह को संबोधित करते हुए इन्द्रप्रकाश पुरोहित ने कहा बाड़मेर से जो आवाज राजस्थानी भाषा को मान्यता के लिए उठी है वो संसद तक पहुंच चुकी है। उन्होंने कहा कि राजस्थानी भाषा को मान्यता मिलने से आम राजस्थानी को फायदा होगा।

एडवोकेट रमेश गौड़ ने कहा राजस्थानी भाषा को सब जगह सम्मान की दृष्टि से देखा जाता है। राजस्थानी भाषा में लिखे ग्रंथ आज भी पढ़े जा रहे हैं। जिला पाटवी रिड़मलसिंह दांता ने कहा कि मायड़ भाषा मां के समान है इसे संवैधानिक सम्मान दिलाना होगा। समिति संयोजक चैनसिंह भाटी ने संघर्ष समिति की ओर से चलाए जा रहे अभियान के बारे में जानकारी दी। समिति के संयोजक एडवोकेट विजय कुमार ने कहा कि राजस्थानी राखिए देसी राजस्थानी, हमें अपनी मायड़ भाषा के प्रति सम्मान रखना होगा। पाश्चात्य सभ्यता फेर में पडऩे की बजाए राजस्थानी भाषा को अपनाना होगा।

प्राचार्य राजेश्वरी वैरवा ने कहा कि राजस्थानी भाषा को मान्यता के लिए चलाए जा रहे अभियान को सहयोग दिया जाएगा। मोटियार परिषद के पाटवी रघुवीरसिंह तामलोर, भूतपूर्व सरपंच गागरिया जीवाराम, नगर अध्यक्ष रमेश सिंह इंदा ने भी विचार व्यक्त किए। विद्यालय की छात्राओं ने राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री तथा सांसद के नाम पोस्टकार्ड लिख राजस्थानी भाषा को मान्यता देने की मांग की। संचालन रघुवीर सिंह तामलोर ने किया।

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