शनिवार, 28 जनवरी 2012

भारत से अरुणाचल लेने पर अड़ा चीन


 
नई दिल्ली. भारत और चीन के बीच तनाव बढ़ता जा रहा है। दोनों देशों के बीच सीमा विवाद पर मतभेद काफी बढ़ चुके हैं। इसी मुद्दे पर हाल ही में हुई 15 वें दौर की बातचीत के दौरान चीन ने भारत पर इतना दबाव बनाया कि बातचीत टूटने के कगार पर पहुंच गई थी। हालांकि, दो दिनों की वार्ता के बाद दोनों देशों ने इसे सकारात्मक बताते हुए कहा कहा था कि बातचीत काफी सौहार्दपूर्ण माहौल में हुई थी। लेकिन इस वार्ता से जुड़े सूत्रों के हवाले से मीडिया में आई खबरों के मुताबिक चीन ने सीमा विवाद पर बेहद आक्रामक रवैया अपनाया था।

चीन की ओर से इस बाचतीत में हिस्सा ले रहे डाई बिंगू ने भारत के पूर्व राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार शिवशंकर मेनन से कहा, 'भारत अरुणाचल प्रदेश का कितना हिस्सा चीन को देने के लिए तैयार है?' बिंगू ने राजनयिक शिष्टाचार के साथ-साथ बहुत आक्रामक ढंग से अपनी बात रखी, जिससे भारतीय प्रतिनिधिमंडल भौचक्का रह गया। चीनी प्रतिनिधि अरुणाचल प्रदेश पर अपने रुख को लेकर अड़े रहे। वे भारतीय प्रतिनिधिमंडल से जानना चाहते थे कि अरुणाचल प्रदेश के बंटवारे पर भारत की क्या पेशकश है और इस प्रदेश का कितना हिस्सा भारत चीन को देने को तैयार है।

इसके जवाब में मेनन ने चीन-भारत सीमा विवाद से जुड़ी बातचीत की अनुच्छेद 3 का हवाला देते हुए बताया कि सीमा विवाद को सुलझाने के लिए सभी सेक्टर (पूर्वी, पश्चिमी और मध्य) पर चर्चा करना जरूरी है ताकि एक व्यापक और समग्र समाधान निकाला जा सके। भारत ने चीन को 2005 में हुए उस समझौते की भी याद दिलाई, जिसमें तय किया गया था कि किसी भी हाल में सीमा के आसपास बसे लोगों को विस्थापित नहीं किया जाएगा। लेकिन इन बातों का चीन पर बहुत असर नहीं हुआ और वह अरुणाचल की ही रट लगाए रहा।



भारत और चीन के बीच सीमा विवाद काफी पुराना है। इस 'झगड़े' के केंद्र में है मैकमोहन रेखा, जिसे चीन मानने इनकार करता है। चीन सीमा क्षेत्र के 90 हजार वर्ग किलोमीटर इलाके पर अपना दावा करता है जबकि भारत 3,68,846 वर्ग किलोमीटर इलाके पर अड़ा हुआ है। इस विवाद को सुलझाने के लिए 2003 से दोनों देशों के बीच सीमा विवाद को सुलझाने के लिए बातचीत हो रही है। लेकिन आज तक इसका कोई हल नहीं निकल सका है। चीन के खतरनाक इरादों का पता इसी बात से चल जाता है कि बीते दो सालों में चीन की तरफ से 500 बार भारत की सीमा का अतिक्रमण किया गया है।

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