शनिवार, 14 जनवरी 2012

राजस्थानी भाषा आपणी ओळखाण मानवेन्द्रसिंह


अखिल भारतीय राजस्थानी भाषा मान्यता संघर्ष समिति, बाड़मेर 




राजस्थानी भाषा आपणी ओळखाण मानवेन्द्रसिंह 


बाड़मेर 14 जनवरी। अखिल भारतीय राजस्थानी भाषा मान्यता संघर्ष समिति बाड़मेर राजस्थानी महिला परिषद तथा राजस्थानी मोटियार परिषद के संयुक्त तत्वावधान में राजस्थानी भाषा को संवैधानिक मान्यता दिलाने के उद्देश्य से जय नारायण व्यास पोलोटेक्निक महाविद्यालय जालिपा में पूर्व सांसद मेजर मानवेन्द्र सिंह के मुख्य आतिथ्य में राजस्थानी भाषा रो हैलो जनजागरण कार्यक्रम का आयोजन किया गया। राजस्थानी रो हैलो जन जागरण कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए पूर्व सांसद मेजर मानवेन्द्र सिह ने कहा कि राजस्थानी भाषा समृद्व भाषा है जो हमारी संस्कृति और परम्परा का प्रतीक है। उन्होने कहा कि राजस्थान की ओलखाण राजस्थानी से है। हम अपनी मायड़ भाषा को दरकिनार कर अपनी पहचान खोते जा रहे है। उन्होने कहा कि राजस्थान के विकास में राजस्थान की संस्कृति इतिहास और परंपरा का अहम योगदान रहा है। सात समंदर पार से आने वाला पर्यटक राजस्थानी संस्कृति परंपरा और इतिहास को देखने आता है जब हम अपनी पहचान ही खो देंगे तो पर्यटक राजस्थान क्यों आएगा। उन्होने कहा कि घर की संस्कृति परंपरा को बरकरार रखना हमारा दायित्व हैं। हमें अपनी भाषा को मान्यता दिलाने का पुरजोर प्रयास करे। उन्होने कहा कि बाड़मेर जिले से राजस्थानी भाषा को मान्यता देने का जो प्रयास हो रहे है उन्हें राष्ट्रपति तक पहूंचाने की जिम्मेदारी मेरी है। उन्होने कहा कि बाड़मेर के राजस्थानी भाषा मान्यता संघर्ष समिति के प्रतिनिधि मंडल को राष्ट्रपति से मुलाकात के पूरे प्रयास कर जल्द मिलवाने तथा पुरजोर तरीके से मान्यता की मांग रखेंगे। उन्होने कहा कि अपनी घर की बोली हमारी धरोहर है। इस धरोहर को ध्वस्त ना होने दे। इस अवसर पर तेजदान चारण ने कहा कि वो इंसान ही क्या जिसे अपनी माँ, मातृभूमि तथा मायड़ भाषा से प्रेम ना हो। उन्होने कहा कि देश के अन्य प्रांतो की छोटीछोटी बोलियों को संवैधानिक भाषा का दर्जा दिया गया मगर राजस्थानी भाषा आज भी वंचित है जो कष्टदायी है। इस अवसर पर जिला पाटवी रिड़मलसिंह दांता ने कहा कि राजस्थानी भाषा को मान्यता मिलने तक आंदोलन तथा अभियान जारी रहेगा। उन्होने कहा कि पूरे जिले में समिति का नेटवर्क बन गया है। जनता का सीधा जुड़ाव अभियान से होना साबित करता है कि राजस्थानीयों के मन में मायड़ भाषा की हुक उठ चुकी है। जो संसद तक जाएगी। इस अवसर पर राजस्थानी महिला परिषद की जिला पाटवी देवी चौधरी ने कहा कि मायड़ भाषा का सम्मान है। जिसका हमे दिल से सम्मान करना होगा। देवी चौधरी ने कहा कि अभियान से मातृ शक्ति को जोड़ने का भी पूर्ण प्रयास होगा। उन्होने कहा कि पाश्चात्य संस्कृति के पीछे भागने की बजाए हमें अपनी संस्कृति और भाषा का निर्वहन करना चाहिए। इस अवसर पर जिला प्रवक्ता दीपसिंह रणधा ने कहा कि युवाओं का ऐसा दल तैयार हुआ जो निस्वार्थ भावना से अपनी मायड़ भाषा को मान्यता दिलाने का पुरजोर प्रयास कर रहा है। उन्होने कहा कि मायड़ भाषा के प्रति युवाओं में सकारात्मक सोच राजस्थानी भाषा को मान्यता दिलाने के लिए पर्याप्त है। इस अवसर पर जिला संयोजक चन्दनसिंह भाटी ने कहा कि बाड़मेर जिले में जो आवाज राजस्थानी भाषा को मान्यता की जुड़ी है वो पूरे राजस्थान में फैल चुकी है। उन्होने कहा कि हस्ताक्षर अभियान तथा पोस्टकार्ड अभियान में आमजन को भागीदारी ने मान्यता का रास्ता तय कर दिया है। 
समारोह में इसमें पूर्व मुख्य अतिथियों का लोक कलाकारों द्वारा लोकगीत पधारों म्हारे देस गाकर स्वागत किया गया। सभी अतिथियों को संस्थान प्रभारी अनिल सुखाणी ने साफा तथा मालाऐ पहनाकर जोरदार स्वागत किया गया। समारोह में महासचिव प्रकाश जोशी, एडवोकेट विजय कुमार, भाखरसिंह गोरडिया, दुर्जनसिंह गुडीसर, दुर्जनसिह भाटी, रहमान जायडू, हसन खां गागरिया, दुर्गसिंह राजपुरोहित, दिनेश बोहरा, सुरतानसिंह रेडाणा, भगवान आकोड़ा, लोक कलाकार फकीरा खां, इन्द्रप्रकाश पुरोहित, शंकरलाल गोली, डॉ. लक्ष्मीनारायण जोशी, ठाकराराम मेघवाल, नगर अध्यक्ष रमेश सिंह इन्द्रा, सहित गणमान्य नागरिकों तथा समिति पदाधिकारियों ने शिरकत की। महासचिव प्रकाश जोशी ने आभार व्यक्त किया तथा कार्यक्रम का संचालन चन्दनसिंह भाटी ने किया। 




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