शुक्रवार, 13 जनवरी 2012

मकर संक्रांति पर्व पर पतंग

मकर संक्रांति की याद आते ही लोगों के मन में सहज ही पतंग उड़ाने की याद ताजा हो जाती है। वैसे मकर संक्रांति मुख्य रूप से भगवान सूर्य की उपासना तथा स्नान, दान का पर्व है लेकिन इस त्योहार के साथ पतंगबाजी की परंपरा भी जुड़ गई है। लोग दिन भर अपनी छतों पर पतंग उड़ाकर इस उत्सव का मजा लेते हैं। अनेक स्थानों पर विशेष रूप से पतंग उड़ाने की प्रतियोगिताएं भी आयोजित की जाती हैं।

मकर संक्रांति पर्व पर पतंग उड़ाने के पीछे कोई धार्मिक कारण नहीं अपितु मनोवैज्ञानिक पक्ष है। पौष मास की सर्दी के कारण हमारा शरीर कई बीमारियों से ग्रसित हो जाता है जिसका हमें पता ही नहीं चलता। इस मौसम में त्वचा भी रुखी हो जाती है। जब सूर्य उत्तरायण होता है तब इसकी किरणें हमारे शरीर के लिए औषधि का काम करती है। पतंग उड़ाते समय हमारा शरीर सीधे सूर्य की किरणों के संपर्क में आ जाता है जिससे अनेक शारीरिक रोग स्वत: ही नष्ट हो जाते हैं।

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