"अगले विश्वकप तक खेलने की गारंटी नहीं" नई दिल्ली। टीम इंडिया को नई ऊंचाइयों पर ले जाने वाले कप्तान महेन्द्र सिंह धोनी ने कहा है कि उनके अगले विश्वकप में खेलने की कोई गारंटी नहीं है और वह वनडे में अपने भविष्य के बारे में वर्ष 2013 में फैसला करेंगे। धोनी ने एक न्यू चैनल से बातचीत के दौरान कहा कि अगले विश्वकप में अभी साढे तीन वर्ष बाकी हैं। मुझे पता नहीं कि तब टीम में मेरी क्या स्थिति होगी। अगर सबकुछ सही चलता रहा तो वर्ष 2013 के अंत में मैं देखूंगा कि क्या मैं विश्वकप के लिए उपलब्ध रहूंगा या नहीं। 30 वर्षीय धोनी तीनों क्रिकेट के तीनों प्रारूपों में टीम इंडिया के कप्तान हैं और साथ ही वह विकेटकीपर की भी भूमिका निभा रहे हैं। उन्होंने कहा कि विश्वकप के लिए आपको ऎसा विकेटकीपर चाहिए जिसने करीब 100 मैच खेले हों। इसलिए हमें इस पहलू को देखना पडेगा। अगर सबकुछ सही रहता है तो वर्ष 2013 के अंत में जाकर इस पर विचार करेंगे कि क्या किया जा सकता है। हाल के वर्षो में भारत का व्यस्त कार्यक्रम रहा है और इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) ने टीम इंडिया के खिलाडियों की व्यस्तता और बढ़ा दी है। यही वजह है कि अब धोनी अपनी प्राथमिकता तय कर रहे हैं और अहम दौरों से पहले आराम ले रहे हैं। आस्ट्रेलिया दौरे से पहले उन्होंने वेस्टइंडीज के खिलाफ वनडे सीरीज से आराम लिया था। धोनी की कप्तानी में टीम इंडिया ने नई ऊंचाइयां हासिल की हैं। उनकी कप्तानी में भारत ने वर्ष 2007 में टवंटी-20 विश्वकप और इस वर्ष की शुरूआत में वनडे विश्वकप जीता था। साथ ही टीम पहली बार टेस्ट रैंकिंग में नंबर एक पर भी पहुंची। उन्होंने आईपीएल में अपनी टीम चेन्नई सुपरकिंग्स को दो बार चैंपियन बनाया जबकि वर्ष 2010 में उनकी टीम ने चैंपियंस लीग का खिताब भी अपनी झोली में डाला। कैप्टन कूल के नाम से मशहूर धोनी ने हालांकि माना कि विश्वकप जीतने के बाद वह भी जोश में आ गए थे। धोनी ने कहा कि विश्वकप जीतने के बाद में जोश में आ गया था और जोर से चिल्लाया था। लेकिन मीडिया के बाद उसकी फुटेज नहीं है। ऎसे मौकों पर अपनी भावनाओं पर काबू रखना मुश्किल हो जाता है। मैंने अपनी भावनाओं को दबा रखा था और मैं जल्दी से जल्दी ड्रेसिंग रूम पहुंचना चाहता था। उन्होंने कहा कि जैसे ही मैं ड्रेसिंग रूम में पहुंचा दो खिलाडियों ने खुशी से मुझे दबोच लिया। मैं भी जोश में आकर चिल्लाने लगा। जब मैंने ऊपर देखा तो मेरे आसपास खिलाडियों का हुजूम लगा था। धोनी ने कहा कि हमारे लिए विश्वकप जीतना सबसे बड़ी उपलब्धि थी। हमने 28 वर्ष बाद जाकर विश्वकप जीता था। हम सभी विश्वकप जीतना चाहते थे और जैसे ही हमारा यह सपना पूरा हुआ हम अपनी भावनाओं को नहीं रोक सके। अगर आप फाइनल के बाद का प्रजेंटेशन कार्यक्रम देखेंगे तो पता चला कि टीम का हर खिलाड़ी खुशी से झूम रहा है। अपनी बल्लेबाजी शैली खासकर हेलीकाप्टर शाट के बारे में धोनी ने कहा कि झारखंड में टेनिस बाल से खेलते हुए उन्होंने यह शाट लगाना सीखा था। उन्होंने कहा कि हम 16-18 गज की विकेट पर टेनिस बाल से खेलते थे और अधिकांश समय गेंदबाज यार्कर डालने की कोशिश करते थे। धोनी ने कहा कि ऎसी गेंदों पर छक्का मारने के लिए आपको गेंद को बल्ले के बीचोंबीच खेलने की जरूरत नहीं है। आप बल्ले के निचले हिस्से से खेलकर इसे सीमारेखा के पार पहुंच सकते हैं। अगर आपका शाट सही है तो निश्चित रूप से गेंद छक्के के लिए जाएगी। कप्तान ने कहा कि मैंने कभी इस शाट का अभ्यास नहीं किया लेकिन समय गुजरने के साथ इसमें सुधार आया है। मैंने देखा है कि कई और बल्लेबाज भी इस शाट को खेलने की कोशिश में लगे हैं। |
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