शुक्रवार, 30 दिसंबर 2011

'मां, मातृभूमि और मायड़ भाषा के प्रति समर्पण जरूरी'

जोधपुर. जयनारायण व्यास विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ.भंवरसिंह राजपुरोहित ने कहा कि राजस्थानी भाषा, साहित्य एवं संस्कृति को बरकरार रखने के लिए हमारा अपनी मां, मातृभूमि एवं मायड़ भाषा के प्रति समर्पण जरूरी है। डॉ.राजपुरोहित गुरुवार को राजस्थानी भाषा शब्दकोष के निर्माता पद्मश्री डॉ.सीताराम लालस के 103 वें जन्म दिवस समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में बोल रहे थे।  
राजस्थानी भाषा, साहित्य एवं संस्कृति अकादमी, मेहरानगढ़ म्यूजियम ट्रस्ट एवं राजस्थान युवा साहित्यकार परिषद के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित समारोह में उन्होंने कहा कि राजस्थानी भाषा को संविधान की अनुसूची में शामिल करने के लिए गांधीवादी तरीके से जन आंदोलन करना होगा।

इस मौके पर राजस्थान संगीत नाटक अकादमी के अध्यक्ष डॉ.अर्जुनदेव चारण ने कहा कि 21वीं सदी में अपनी सभ्यता, संस्कृति एवं भाषा को बचाने के लिए रचनाकारों को सचेत होना पड़ेगा। कार्यक्रम में राजकीय महाविद्यालय जैसलमेर के हिंदी विभाग के अध्यक्ष डॉ आईदान सिंह भाटी ने कहा कि राजस्थानी भाषा, साहित्य लोकगीत एवं लोक संस्कृति को बचाने के लिए इससे नई पीढ़ी को जोड़ना होगा। इस अवसर पर राजस्थान युवा साहित्यकार परिषद के अध्यक्ष एजे खान ने डॉ.सीताराम लालस की जन्म शताब्दी से संबंधित कार्यक्रमों की जानकारी दी।

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें