नई दिल्ली. लोकपाल विधेयक की राह नाटकीय घटनाक्रमों के बीच राज्यसभा में रुक गई। सरकार ने पौने बारह बजे संशोधनों के बहाने विधेयक पर मतदान टालने की अपनी मंशा जाहिर कर दी। सरकार ने तर्क दिया कि सदन तीन दिनों के लिए था और गुरुवार रात 12 बजे के बाद इसे नहीं चलाया जा सकता। इसके साथ ही साफ हो गया कि लोकपाल एक बार फिर से ठंडे बस्ते में चला गया। सरकार के टालू रवैए पर पूरा विपक्ष बिफर गया।
राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष अरुण जेटली ने कहा, ‘अगर कोई सरकार संसद में वोट कराने से भागती है, तो उस सरकार को एक मिनट भी देश में राज करने का हक नहीं है।’ शोरगुल व हंगामे के बीच असहाय नजर आ रहे सभापति हामिद अंसारी ने कहा, ‘अप्रत्याशित स्थिति पैदा हो गई है। ऐसी स्थिति में सदन नहीं चल सकता बेहतर है हम सभी घर जाएं।’
जिस स्थिति में सभापति ने अचानक राष्ट्रगान के लिए सांसदों को खड़ा कर दिया, उससे लोगों को भरोसा नहीं हुआ। इसके साथ ही उन्होंने सदन अनिश्चितकाल के लिए स्थगित करने की घोषणा कर दी। संसदीय इतिहास के स्तब्ध कर देने वाले दृश्य के बीच सदन में मौजूद प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और वित्तमंत्री प्रणब मुखर्जी शांत बैठे रहे। विपक्ष के सभी नेताओं ने इसे लोकतंत्र के लिए काला दिन करार दिया। टीम अन्ना ने भी सरकार के रवैए पर घोर निराशा जाहिर की।
बाद में संसदीय कार्य राज्यमंत्री अश्वनी कुमार ने सरकार के कदम का बचाव किया और कहा कि लोकपाल बिल पर अगले सत्र में चर्चा होगी।
सुबह से अपने पक्ष में संख्या बल एकत्र करने में नाकामयाब रही सरकार की ओर से मतदान टालने और सियासी ड्रामे की रणनीतिक पटकथा शायद पहले ही लिख गई थी। जब रात साढ़े 11 बजे 15 मिनट के लिए सदन की कार्यवाही रुकी तो साफ हो गया कि विधेयक का लटकना तय है। बस घोषणा बाकी है।
राजद सांसद ने फाड़ी बिल की कॉपी
सरकारी पक्ष और विपक्ष के हंगामे की वजह से 11 बजकर 28 मिनट पर सभापति ने 15 मिनट के लिए कार्यवाही स्थगित की। राजद के सांसद राजनीति प्रसाद ने केंद्रीय मंत्री वी. नारायण सामी के हाथ से बिल की प्रति छीनकर फाड़ दी। वामदल, बसपा, सपा और अन्य दल आरक्षण के प्रावधानों को स्पष्ट करने की मांग कर रहे थे। विपक्ष ने आरोप लगाया कि सरकार के इशारे पर ही राजद सांसद ने लोकपाल बिल की कॉपी फाड़ी और हंगामा मचाया।
12 बजे की कहानी
मतदान टालने की रणनीति पर सस्पेंस और बढ़ा तो विपक्ष की ओर से चेयर से रूलिंग की मांग होने लगी कि 12 बजे के बाद क्या होगा। करीब साढ़े ग्यारह बजे वित्तमंत्री प्रणब मुखर्जी और प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह उठे तो विपक्ष की ओर से हंगामा शुरू हुआ। सभापति ने अचानक 15 मिनट के लिए सदन स्थगित करने की घोषणा कर दी तो सभी भौचक रह गए।
सदन स्थगित होने के बाद विपक्ष के सांसद गुस्से में सरकार के खिलाफ नारेबाजी करते हुए बाहर निकले। संसद परिसर में विपक्षी सांसदों ने धरना शुरू कर दिया और सरकार से इस्तीफे की मांग की जाने लगी।
किसने क्या कहा?
नेता प्रतिपक्ष अरुण जेटली ने कहा कि जब से भारत की संसद बनी है जब से आज तक संसद के साथ इतना बड़ा धोखा नहीं हुआ है। अगर कोई सरकार संसद में वोट करवाने से दूर भागती है तो उस सरकार को एक मिनट भी सत्ता में बने रहने का अधिकार नहीं है।
संसदीय कार्यमंत्री पवन कुमार बंसल ने विपक्ष पर आरोप लगाया कि लोकसभा में विधेयक को तुरंत पास करा दिया था। अब इतने संशोधन पेश कर दिए गए कि सरकार को इस पर रुख तय करने में वक्त लगेगा।
सीपीएम नेता सीताराम येचुरी ने कहा कि आप बताएं कि आपका क्या प्लान है? आप कब इस विधेयक को लाएंगे कब तक अध्ययन कर लेंगे। जरूरत पड़ी तो कल भी बैठेंगे लेकिन विधेयक पारित करके जाएंगे।
राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष अरुण जेटली ने कहा, ‘अगर कोई सरकार संसद में वोट कराने से भागती है, तो उस सरकार को एक मिनट भी देश में राज करने का हक नहीं है।’ शोरगुल व हंगामे के बीच असहाय नजर आ रहे सभापति हामिद अंसारी ने कहा, ‘अप्रत्याशित स्थिति पैदा हो गई है। ऐसी स्थिति में सदन नहीं चल सकता बेहतर है हम सभी घर जाएं।’
जिस स्थिति में सभापति ने अचानक राष्ट्रगान के लिए सांसदों को खड़ा कर दिया, उससे लोगों को भरोसा नहीं हुआ। इसके साथ ही उन्होंने सदन अनिश्चितकाल के लिए स्थगित करने की घोषणा कर दी। संसदीय इतिहास के स्तब्ध कर देने वाले दृश्य के बीच सदन में मौजूद प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह और वित्तमंत्री प्रणब मुखर्जी शांत बैठे रहे। विपक्ष के सभी नेताओं ने इसे लोकतंत्र के लिए काला दिन करार दिया। टीम अन्ना ने भी सरकार के रवैए पर घोर निराशा जाहिर की।
बाद में संसदीय कार्य राज्यमंत्री अश्वनी कुमार ने सरकार के कदम का बचाव किया और कहा कि लोकपाल बिल पर अगले सत्र में चर्चा होगी।
सुबह से अपने पक्ष में संख्या बल एकत्र करने में नाकामयाब रही सरकार की ओर से मतदान टालने और सियासी ड्रामे की रणनीतिक पटकथा शायद पहले ही लिख गई थी। जब रात साढ़े 11 बजे 15 मिनट के लिए सदन की कार्यवाही रुकी तो साफ हो गया कि विधेयक का लटकना तय है। बस घोषणा बाकी है।
राजद सांसद ने फाड़ी बिल की कॉपी
सरकारी पक्ष और विपक्ष के हंगामे की वजह से 11 बजकर 28 मिनट पर सभापति ने 15 मिनट के लिए कार्यवाही स्थगित की। राजद के सांसद राजनीति प्रसाद ने केंद्रीय मंत्री वी. नारायण सामी के हाथ से बिल की प्रति छीनकर फाड़ दी। वामदल, बसपा, सपा और अन्य दल आरक्षण के प्रावधानों को स्पष्ट करने की मांग कर रहे थे। विपक्ष ने आरोप लगाया कि सरकार के इशारे पर ही राजद सांसद ने लोकपाल बिल की कॉपी फाड़ी और हंगामा मचाया।
12 बजे की कहानी
मतदान टालने की रणनीति पर सस्पेंस और बढ़ा तो विपक्ष की ओर से चेयर से रूलिंग की मांग होने लगी कि 12 बजे के बाद क्या होगा। करीब साढ़े ग्यारह बजे वित्तमंत्री प्रणब मुखर्जी और प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह उठे तो विपक्ष की ओर से हंगामा शुरू हुआ। सभापति ने अचानक 15 मिनट के लिए सदन स्थगित करने की घोषणा कर दी तो सभी भौचक रह गए।
सदन स्थगित होने के बाद विपक्ष के सांसद गुस्से में सरकार के खिलाफ नारेबाजी करते हुए बाहर निकले। संसद परिसर में विपक्षी सांसदों ने धरना शुरू कर दिया और सरकार से इस्तीफे की मांग की जाने लगी।
किसने क्या कहा?
नेता प्रतिपक्ष अरुण जेटली ने कहा कि जब से भारत की संसद बनी है जब से आज तक संसद के साथ इतना बड़ा धोखा नहीं हुआ है। अगर कोई सरकार संसद में वोट करवाने से दूर भागती है तो उस सरकार को एक मिनट भी सत्ता में बने रहने का अधिकार नहीं है।
संसदीय कार्यमंत्री पवन कुमार बंसल ने विपक्ष पर आरोप लगाया कि लोकसभा में विधेयक को तुरंत पास करा दिया था। अब इतने संशोधन पेश कर दिए गए कि सरकार को इस पर रुख तय करने में वक्त लगेगा।
सीपीएम नेता सीताराम येचुरी ने कहा कि आप बताएं कि आपका क्या प्लान है? आप कब इस विधेयक को लाएंगे कब तक अध्ययन कर लेंगे। जरूरत पड़ी तो कल भी बैठेंगे लेकिन विधेयक पारित करके जाएंगे।
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