सालम सिंह की हवेली छह मंजिली इमारत है जो नीचे से संकरी और ऊपर से निकलती-सी स्थापत्य कला की प्रतीक है। जहाजनुमा इस विशाल भवन में आकर्षक खिड़कियां, झरोखे एवं द्वार। नक्काशी यहां के शिल्पियों की लोकप्रियता का खुला प्रदर्शन है। इस हवेली का निर्माण दीवान सालमसिंह द्वारा करवाया गया, जो प्रभावशाली थे और उनका राज्य की अर्थव्यवस्था पर पूर्ण नियंत्रण था। वे इस हवेली से दुर्ग तक सेतु बनवाने के इच्छुक थे, किन्तु तत्कालीन शासक ने ऐसा नहीं होने दिया।
जैसलमेर में दीवान मेहता नथमल की हवेली का भी कोई जवाब नहीं है। उन्नसवीं शताब्दी के मध्य इसका निर्माण हुआ। हवेली सूक्ष्म खुदाई, मेहराबों से युक्त खिड़कियां और घुमावदार खिड़कियों की वास्तुकला दर्शक दृष्टियां बांधती हैं। हवेली का निर्माण दो मुसलमान शिल्पकार भाइयों ने किया था और दोनों ने अलग-अलग भागों का कार्य एक साथ निर्धारित अवधि में पूर्ण किया। हवेली का कार्य ऐसा संतुलित एवं समता लिए हुए है कि लगता नहीं दो शिल्पकार रहे हों। एक चट्ïटान को काटकर भवन का निचला हिस्सा बनाया गया है और सभी भागों के पत्थर बखूबी उत्तीर्ण किए हैं।
शहर की चार बातें ज्यादा प्रसिद्ध रही हैं— ‘गढ़, झरोखा, गोठवां चौथी सुंदर नार।’ नगर की आधी आबादी का निवास गढ़ में है और गढ़ भी ऐसा कि जैसे पत्थरों की गढ़ाई करके उन्हें एक पर एक रूप में रख दिया गया हो। गढ़ के नीचे शहरी ओर की बसावट के एक कक्षीय मकान में रात कुछ परिजनों के बीच हुई बातों के टुकड़ों में कई तथ्य और उभर कर सामने आये। नगर में जवाहर विलास, बाल विलास, नथमल की हवेली, सालमसिंह की विशाल इमारत एवं पटवों की हवेलियों के अतिरिक्त ऐसी और भी इमारतें हैं, जिनकी कला अभी तक अजूबी है। यह भी कि प्राय: सभी हवेलियों की छतें कैर की लकड़ी से बनी हैं, जिन्हें दीमक नहीं लगती है और वे पानी एवं तापमान से प्रभावित नहीं होती। लोकभाषा में ऐसी छत को ‘चियाल’ कहा जाता है। नगर के बाज़ारों से गुजरते समय शिमला के बाज़ार याद आते हैं जहां पर्यटकों का पहुंचना निरंतर बना है। इस नगर में राजस्थान की पश्चिमी संस्कृति मुखरित है, बोलती है और स्नेह निमंत्रण देती हवेलियों, ‘झाला’ देती खिड़कियों तथा कुशलक्षेम पूछते झरोखों या विदा करते द्वारों की व्यावहारिकता के पीछे सांस्कृतिक धरोहर ही है।







NICE BHATI SAHAB......
जवाब देंहटाएंJAI MATA JI HUKAM....