मधेपुरा।। बिहार के पूर्वोत्तर भाग में स्थित मधेपुरा जिले में एक विचित्र गांव है जहां के हैंडपम्पों से पांच दशक से भी अधिक समय से गरम पानी निकलता है।
जिले के पुरैनी इलाके के करीब ढाई हजार की आबादी वाले बालाटोला गांव में हैंडपम्पों से पूरे साल गरम पानी निकलना स्थानीय लोगों के लिए अचरज की बात नहीं है लेकिन बाहर से आने वाले लोग यह नजारा देख दांतों तले उंगली दबा लेते हैं।
अधिकारियों ने इस गांव के नीचे भूगर्भ में गंधक होने की संभावना जताई है। लेकिन, बसावट वाला इलाका होने के कारण अंग्रेजों के समय भी स्थानीय लोगों ने यहां पर जांच कार्य नहीं होने दिया था। स्थानीय विधायक सह मंत्री नरेंद्र नारायण यादव के भाई और गांव के बुजुर्ग गजेंद्र यादव कहते हैं कि जमीन के भीतर से गरम पानी निकलने की जानकारी के बाद अंग्रेज भी यहां आए थे। स्थानीय लोगों को भय था कि जमीन का कब्जा हो सकता है इसलिए यहां जमीन की जांच और खुदाई नहीं होने दी गई।
वैसे गांव से कुछ ही दूर पर स्थित कुओं और वहां के हैंडपम्पों से बिल्कुल सामान्य पानी निकलता है। जिलाधिकारी मिनहाज आलम कहते हैं कि उन्हें इस बारे में इसकी जानकारी है। गरम पानी के स्रोत का रहस्य का पता लगाने के लिए खनन विभाग और पेयजल एवं स्वच्छता विभाग को पत्र लिखा गया है।
गांव की पहली महिला मुखिया शिवतारिणी देवी बताती हैं कि सर्दी हो या गरमी बारह महीने हैंडपम्प और कुंओं से गरम पानी निकलता है। इस गांव में वर्ष 1952 में ब्याह के बाद आई शिवतारिणी के अनुसार गांव में बुनियादी सुविधाओं का घोर अभाव है यहां न स्कूल है और न ठीक-ठाक स्वास्थ्य केंद्र।
बारहमासी गरम पानी के लिए प्रसिद्ध इस गांव में बारहमासी सड़कें भी नहीं है जबकि आलमनगर के विधायक नरेंद्र नारायण यादव का यही पैतृक गांव है। 70 साल के बुजुर्ग जोंगेंद्र यादव के अनुसार कुछ हैंडपम्पों का पानी सुबह-सुबह इतना गरम होता है कि स्नान भी नहीं किया जा सकता। यादव यहां से प्रमुख और मुखिया भी चुने जा चुके हैं। इसके अलावा विधायक के रूप में क्षेत्र का बीते 20 वर्ष से प्रतिनिधित्व कर रहे हैं।
जिले के पुरैनी इलाके के करीब ढाई हजार की आबादी वाले बालाटोला गांव में हैंडपम्पों से पूरे साल गरम पानी निकलना स्थानीय लोगों के लिए अचरज की बात नहीं है लेकिन बाहर से आने वाले लोग यह नजारा देख दांतों तले उंगली दबा लेते हैं।
अधिकारियों ने इस गांव के नीचे भूगर्भ में गंधक होने की संभावना जताई है। लेकिन, बसावट वाला इलाका होने के कारण अंग्रेजों के समय भी स्थानीय लोगों ने यहां पर जांच कार्य नहीं होने दिया था। स्थानीय विधायक सह मंत्री नरेंद्र नारायण यादव के भाई और गांव के बुजुर्ग गजेंद्र यादव कहते हैं कि जमीन के भीतर से गरम पानी निकलने की जानकारी के बाद अंग्रेज भी यहां आए थे। स्थानीय लोगों को भय था कि जमीन का कब्जा हो सकता है इसलिए यहां जमीन की जांच और खुदाई नहीं होने दी गई।
वैसे गांव से कुछ ही दूर पर स्थित कुओं और वहां के हैंडपम्पों से बिल्कुल सामान्य पानी निकलता है। जिलाधिकारी मिनहाज आलम कहते हैं कि उन्हें इस बारे में इसकी जानकारी है। गरम पानी के स्रोत का रहस्य का पता लगाने के लिए खनन विभाग और पेयजल एवं स्वच्छता विभाग को पत्र लिखा गया है।
गांव की पहली महिला मुखिया शिवतारिणी देवी बताती हैं कि सर्दी हो या गरमी बारह महीने हैंडपम्प और कुंओं से गरम पानी निकलता है। इस गांव में वर्ष 1952 में ब्याह के बाद आई शिवतारिणी के अनुसार गांव में बुनियादी सुविधाओं का घोर अभाव है यहां न स्कूल है और न ठीक-ठाक स्वास्थ्य केंद्र।
बारहमासी गरम पानी के लिए प्रसिद्ध इस गांव में बारहमासी सड़कें भी नहीं है जबकि आलमनगर के विधायक नरेंद्र नारायण यादव का यही पैतृक गांव है। 70 साल के बुजुर्ग जोंगेंद्र यादव के अनुसार कुछ हैंडपम्पों का पानी सुबह-सुबह इतना गरम होता है कि स्नान भी नहीं किया जा सकता। यादव यहां से प्रमुख और मुखिया भी चुने जा चुके हैं। इसके अलावा विधायक के रूप में क्षेत्र का बीते 20 वर्ष से प्रतिनिधित्व कर रहे हैं।
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