महंगा पड़ेगा बिना लाइसेंस व रजिस्ट्रेशन के व्यापार करना
दोषी के खिलाफ होगा एक लाख रूपए का जुर्माना एवं छह माह का कारावास
बाडमेर। खाद्य सुरक्षा एवं मानक अधिनियम 2006 लागू होने के बाद अब बिना लाइसेंस एवं रजिस्ट्रेशन के खाद्य सामग्री से संबंधित व्यापारकारोबार करना आसान नहीं होगा और कानून की अवहेलना करने पर संबंधित व्यापारीकारोबारी को जुर्माना या कारावास अथवा दोनों से दण्डित किया जा सकेगा। इसके चलते मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग ने व्यापारियोंकारोबारियों से आवेदन मांगे है।
सीएमएचओ डॉ. अजमल हुसैन ने बताया कि अधिनियम लागू होने के बाद सभी खाद्य व्यापारियों व कारोबारियों को खाद्य सामग्री के विक्रय के लिए खाद्य अनुज्ञापन (फूड लाइसेंस) लेना अति आवश्यक है। बिना लाइसेंस के कोई भी व्यक्ति अगर खाद्य सामग्री का विक्रय, वितरण, उत्पादक, परिवहन व संग्रहण करते हुए पाया गया तो संबंधित के खिलाफ अधिनियम की धारा 63 के तहत एक लाख रूपए तक जुर्माना एवं छह माह का कारावास से दण्डित किया जा सकता है। जिला आईईसी समन्वयक विनोद बिश्नोई ने बताया कि 12 लाख या इससे अधिक वार्षिक टर्न ओवर वाले व्यापारियों को फूड लाइसेंस लेना होगा, जिसका शुल्क दो हजार रूपए होगा। इसी तरह जिन व्यापारियों को टर्न ओवर 12 लाख रूपए से कम है, उन्हें रजिस्ट्रेशन करवाना होगा, जिसका शुल्क मात्र 100 रूपए देना होगा। उक्त शुल्क बैंक ड्राफ्ट के जरिए लिया जाएगा। लाइसेंस एवं रजिस्ट्रेशन के लिए आवेदन फार्म जिला मुख्यालय पर सीएमएचओ कार्यालय तथा ब्लॉक मुख्यालयों पर बीसीएमओ कार्यालय से नि:शुल्क प्राप्त किया जा सकता है। फार्म के साथ संबंधित व्यापारीकारोबारी को डीडी, 18 तरह के निर्धारित प्रमाणित दस्तावेज, मालिक/विक्रेता की पासपोर्ट फोटो प्रस्तुत करने होंगे। इस दौरान यदि किसी व्यापारीकारोबारी द्वारा झूठे या कूटरचित दस्तावेज पेश किया जाता है तो उसे अधिनियम की धारा 61 के तहत कम से कम तीन माह का कारावास एवं दो लाख रूपए तक जुर्माने से दण्डित किया जा सकेगा।
सभी तरह के खाद्य व्यापारीकारोबारी होंगे शामिल
खाद्य सुरक्षा अधिकारी भूराराम गोदारा ने बताया कि अधिनियम के तहत सभी प्रकार के किराणा व्यवसायी, होटल, ाबा, होलसेलर, उत्पादक, दुग्ध परिवहनकर्ता, दुधिया, हॉकर (फूड), हाथ ठेला, कैंटीन, कैटर्स तथा अन्य सभी जो मानव उपभोग के खानेपीने की सामग्री विक्रय करते हैं, वे शामिल होगें। दवा विक्रेता, जो फूड की श्रेणी में आने वाले प्रोटीन या न्यूट्रीशनल फूड रखते हैं, उन्हें भी फूड लाइसेंस लेना होगा। अधिनियम की मंशा यह रही है कि कोई भी खाद्य सामग्री बिना लाइसेंस के विक्रय नहीं हो। उल्लेखनीय है कि उक्त अधिनियम से पूर्व नगरपालिका क्षेत्र में नगरपालिका द्वारा जारी किया जाता था, लेकिन अब ग्रामीण व शहरी क्षेत्र में सीएमएचओ कार्यालय द्वारा फूड लाइसेंस जारी किए जाएंगे।

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