बासौदा में नानकजी लिखित गुरूग्रंथ
गंजबासौदा। सिख धर्म की स्थापना और शुरूआती विकास के दौरान गुरूग्रंथ साहिब की हाथ से लिखी गई एक दुर्लभ प्रति गंजबासौदा के गुरूद्वारे में मौजूद है। ग्रंथ की प्रमाणिकता की पुष्टि सिख समाज के बड़े धार्मिक गुरू भी कर चुके हैं। गुरू नानक देवजी द्वारा हस्तलिखित इस तरह की सिर्फ पांच प्रतियां ही उपलब्ध हैं। शहर के पूर्व नपा उपाध्यक्ष और समाजसेवी हरीश खत्री के अनुसार पूरे भारत वर्ष में सिर्फ पांच हस्तलिखित गुरूग्रंथ हैं। इनमें से एक गुरू नानकदेव द्वारा हस्त रचित ग्रंथ गंजबासौदा स्थित गुरूद्वारे में स्थापित है।
नादेड़ से लाए थे
शहर के संतोष कपूर के अनुसार उसके पूर्वज इस ग्रंथ को 335 वर्ष पूर्व नादेड़ महाराष्ट्र से लेकर आए थे। तब से आज तक इसे सुरक्षित तरीके से गुरूद्वारे में सहेजकर रखा गया है। यहां दूर-दूर से आने वाले ज्ञानी गुरूद्वारे में अरदास के बाद गुरूग्रंथ का पाठ करते हैं। पंजाबी समाज के चरण जीत सिंह छाबड़ा बताते हैं कि इस गं्रथ की प्रमाणिकता का सत्यापन डेरा बाबा बूढ़ा साहिब और संत सीबी जसविंदर कोर बासौदा आकर कर चुकी हैं। आज भी गुरूनानक जयंती पर पंजाब, हरियाणा, महाराष्ट्र से सिख पंथ के लोग इस दुर्लभ ग्रंथ के दर्शन करने गंजबासौदा आते हैं।
दुर्लभ है यह ग्रंथ
करीब 335 वर्ष पूर्व इस ग्रंथ को बासौदा लाया गया था जो आज भी सुरक्षित है। इसके विषय में जानकारी रखने वाले सिख धर्मावलंबी दूर- दूर से आकर दर्शन करके जाते हैं। विजय अरोरा, अध्यक्ष युवा सिख खत्री समा
गंजबासौदा। सिख धर्म की स्थापना और शुरूआती विकास के दौरान गुरूग्रंथ साहिब की हाथ से लिखी गई एक दुर्लभ प्रति गंजबासौदा के गुरूद्वारे में मौजूद है। ग्रंथ की प्रमाणिकता की पुष्टि सिख समाज के बड़े धार्मिक गुरू भी कर चुके हैं। गुरू नानक देवजी द्वारा हस्तलिखित इस तरह की सिर्फ पांच प्रतियां ही उपलब्ध हैं। शहर के पूर्व नपा उपाध्यक्ष और समाजसेवी हरीश खत्री के अनुसार पूरे भारत वर्ष में सिर्फ पांच हस्तलिखित गुरूग्रंथ हैं। इनमें से एक गुरू नानकदेव द्वारा हस्त रचित ग्रंथ गंजबासौदा स्थित गुरूद्वारे में स्थापित है।
नादेड़ से लाए थे
शहर के संतोष कपूर के अनुसार उसके पूर्वज इस ग्रंथ को 335 वर्ष पूर्व नादेड़ महाराष्ट्र से लेकर आए थे। तब से आज तक इसे सुरक्षित तरीके से गुरूद्वारे में सहेजकर रखा गया है। यहां दूर-दूर से आने वाले ज्ञानी गुरूद्वारे में अरदास के बाद गुरूग्रंथ का पाठ करते हैं। पंजाबी समाज के चरण जीत सिंह छाबड़ा बताते हैं कि इस गं्रथ की प्रमाणिकता का सत्यापन डेरा बाबा बूढ़ा साहिब और संत सीबी जसविंदर कोर बासौदा आकर कर चुकी हैं। आज भी गुरूनानक जयंती पर पंजाब, हरियाणा, महाराष्ट्र से सिख पंथ के लोग इस दुर्लभ ग्रंथ के दर्शन करने गंजबासौदा आते हैं।
दुर्लभ है यह ग्रंथ
करीब 335 वर्ष पूर्व इस ग्रंथ को बासौदा लाया गया था जो आज भी सुरक्षित है। इसके विषय में जानकारी रखने वाले सिख धर्मावलंबी दूर- दूर से आकर दर्शन करके जाते हैं। विजय अरोरा, अध्यक्ष युवा सिख खत्री समा
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