शनिवार, 26 नवंबर 2011

राजस्थानी को मान्यता दिलाने के लिए करने होंगे प्रयास


राजस्थानी को मान्यता दिलाने के लिए करने होंगे प्रयास

Om Purohit Kagad

जैसलमेर  तीन बार सरकारी व तीन बार निजी विधेयक रखे जाकर राजस्थानी की मान्यता की मांग की गई। लेकिन हर बार सरकार द्वारा कोई ने कोई बहाना बना कर इसकी मान्यता को टाला जाता रहा है। राजस्थानी भाषा मान्यता संघर्ष समिति के ओम पुरोहित ने कहा कि हमारा यही प्रयास है कि राजस्थानी भाषा को शीघ्र ही मान्यता मिले। ताकि हमारी जुबान पर लगे ताले खुल सके।

पत्रकार वार्ता को संबोधित करते हुए कहा कि इस शीतकालीन सत्र में राजस्थानी को मान्यता देने का आश्वसन मिला है। इसलिए हमें आगे आकर हर तरफ से प्रयास करना होगा ताकि हमारी मातृभाषा को मान्यता मिल सके। इसके लिए पूरे राजस्थान से पोस्टकार्ड लिखे जा रहे है। उन्होंने कहा कि देश के 22 राज्यों की भाषा को मान्यता मिल चुकी है लेकिन राजस्थानी अभी मान्यता के लिए तरस रही है। संविधान में भी प्राथमिक शिक्षा मातृभाषा में ही देने का प्रावधान है लेकिन राजस्थान में बच्चों को हिंदी में शिक्षा मिल रही है। पुरोहित ने कहा कि राजस्थानी अपने आप में समृद्ध भाषा है। आजादी से पूर्व सभी राजकाज के कार्य राजस्थानी में ही होते थे। राजस्थानी के शब्दकोष में 2.75 लाख से अधिक शब्द है। हजारों की संख्या में राजस्थानी में लिखी पांडुलिपियां संग्रहालयों में पड़ी है। लेकिन मान्यता नहीं मिलने के कारण न तो उनका अनुवाद हो रहा है और न ही उनके संरक्षण की कवायद हो रही है। जिसके कारण यहां के निवासी अपनी समृद्ध परंपराओं से दूर होते जा रहे है। इस अवसर पर राजस्थानी भाषा मान्यता संघर्ष समिति के रविन्द्र छंगाणी तथा आनंद जगाणी भी उपस्थित थे।

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