जयपुर.लापता एएनएम भंवरीदेवी के मामले में बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका पर गुरुवार दोपहर हाईकोर्ट में बंद कमरे में सुनवाई हुई। इसके बाद सीबीआई के आग्रह पर कोर्ट ने उसे और समय देते हुए अगली सुनवाई 15 दिसंबर को निर्धारित की है। इससे पहले सीबीआई ने सुबह बंद लिफाफे में स्टेटस रिपोर्ट सौंपी।
खंडपीठ ने उनसे पूछा कि क्या इसे खोल कर देखा जाए तो सीबीआई के वकील ने इनकार करते हुए आग्रह किया कि सीबीआई के अधिकारी अलग से कुछ बताना चाहते हैं। ये बातें ओपन कोर्ट में बताना उचित नहीं होगा।
न्यायाधीश गोविंद माथुर व एनके जैन (द्वितीय) की खंडपीठ ने दोपहर एक बजे उनके चैंबर में पांच मिनट मिलने का समय देते हुए सुनवाई दुबारा लंच के बाद दोपहर दो बजे शुरू करने को कहा। इस बीच, लंच समय में ही सीबीआई अफसर, अतिरिक्त महाधिवक्ता पुरोहित, सीबीआई के वकील पन्नेसिंह रातड़ी व अमरचंद के वकील संदीप शाह उनके न्यायाधीशों के चैंबर में पहुंच गए।
करीब 7 मिनट की बातचीत के बाद सभी बाहर आ गए। अतिरिक्त महाधिवक्ता पुरोहित ने बताया कि सीबीआई ने इस मामले में काफी कुछ हासिल कर लिया है, मगर कड़ियां जोड़ कर सकारात्मक परिणाम देने के लिए थोड़ा समय देने का अनुरोध किया। हाईकोर्ट ने इसे स्वीकार करते हुए 15 दिसंबर को अगली सुनवाई करने के आदेश दे दिए। हालांकि दोनों ही आरोपियों ने 50 दिन की पूछताछ में दो अलग-अलग बयान दिए हैं। पहले कहा था कि भंवरी को दूसरी गैंग के हवाले कर दिया और अब यह कबूल करना कि उन्होंने ही हत्या कर दी, संदेह पैदा करता है। सच क्या है, यह भंवरी का शव मिलने और सहीराम की गिरफ्तारी के बाद ही सामने आएगा। साथ ही यह राज भी खुल जाएगा कि अपहरण और हत्या किसके इशारे पर की गई थी।
सीबीआई ने माना जिंदा नहीं है भंवरी!
सीबीआई ने 45 दिन बाद यह मानते हुए आगे का अनुसंधान आरंभ किया है कि शहाबुद्दीन और सोहनलाल ने ही उसकी हत्या कर दी। अब वह सबूत जुटाने में लगी है। पिछले पांच दिन के पुलिस रिमांड में हुई पूछताछ और शहाबुद्दीन की निशानदेही पर बरामद मोबाइल फोन, सिम कार्ड व वीडियो कैमरा आदि सामान के आधार पर सीबीआई यह मान रही है।
खंडपीठ ने उनसे पूछा कि क्या इसे खोल कर देखा जाए तो सीबीआई के वकील ने इनकार करते हुए आग्रह किया कि सीबीआई के अधिकारी अलग से कुछ बताना चाहते हैं। ये बातें ओपन कोर्ट में बताना उचित नहीं होगा।
न्यायाधीश गोविंद माथुर व एनके जैन (द्वितीय) की खंडपीठ ने दोपहर एक बजे उनके चैंबर में पांच मिनट मिलने का समय देते हुए सुनवाई दुबारा लंच के बाद दोपहर दो बजे शुरू करने को कहा। इस बीच, लंच समय में ही सीबीआई अफसर, अतिरिक्त महाधिवक्ता पुरोहित, सीबीआई के वकील पन्नेसिंह रातड़ी व अमरचंद के वकील संदीप शाह उनके न्यायाधीशों के चैंबर में पहुंच गए।
करीब 7 मिनट की बातचीत के बाद सभी बाहर आ गए। अतिरिक्त महाधिवक्ता पुरोहित ने बताया कि सीबीआई ने इस मामले में काफी कुछ हासिल कर लिया है, मगर कड़ियां जोड़ कर सकारात्मक परिणाम देने के लिए थोड़ा समय देने का अनुरोध किया। हाईकोर्ट ने इसे स्वीकार करते हुए 15 दिसंबर को अगली सुनवाई करने के आदेश दे दिए। हालांकि दोनों ही आरोपियों ने 50 दिन की पूछताछ में दो अलग-अलग बयान दिए हैं। पहले कहा था कि भंवरी को दूसरी गैंग के हवाले कर दिया और अब यह कबूल करना कि उन्होंने ही हत्या कर दी, संदेह पैदा करता है। सच क्या है, यह भंवरी का शव मिलने और सहीराम की गिरफ्तारी के बाद ही सामने आएगा। साथ ही यह राज भी खुल जाएगा कि अपहरण और हत्या किसके इशारे पर की गई थी।
सीबीआई ने माना जिंदा नहीं है भंवरी!
सीबीआई ने 45 दिन बाद यह मानते हुए आगे का अनुसंधान आरंभ किया है कि शहाबुद्दीन और सोहनलाल ने ही उसकी हत्या कर दी। अब वह सबूत जुटाने में लगी है। पिछले पांच दिन के पुलिस रिमांड में हुई पूछताछ और शहाबुद्दीन की निशानदेही पर बरामद मोबाइल फोन, सिम कार्ड व वीडियो कैमरा आदि सामान के आधार पर सीबीआई यह मान रही है।

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