शुक्रवार, 4 नवंबर 2011

शुक्रवार-नवमी का संयोग..यह चमत्कारी देवी मंत्र करेगा हर इच्छा पूरी



देवी दुर्गा को परमेश्वरी यानी परब्रह्म का शक्ति स्वरूप माना जाता है। इस शक्ति का अस्तित्व सृष्टि के हर अंश में माना गया है। इसलिए व्यावहारिक जीवन में सत्य और पवित्र भाव व उद्देश्य के साथ किसी भी रूप में शक्ति संपन्न बनने की कामना, कर्म या विचार शक्ति उपासना के समान ही मानी गई है।

सांसारिक दृष्टि से तो तन, मन और धन से संपन्नता ही सबलता का पैमाना माना जाता है। लेकिन शास्त्रों में देवी उपासना दैहिक, दैविक व भौतिक दु:खों का अंत करने वाली मानी गई है। देवी उपासना से ऐसी कामनासिद्धि और संताप के नाश के लिये दुर्गा सप्तशती के चमत्कारी श्लोक व मंत्रों का पाठ अचूक माना गया है।

खासतौर पर शुक्रवार और नवमी तिथि पर देवी उपासना की घड़ी में कामना विशेष पूरी करने के लिये यहां बताए जा रहे विशेष मंत्र का स्मरण मंगलकारी होता है-

- शुक्रवार की शाम स्नान के बाद देवी मंदिर या घर के देवालय में ही देवी प्रतिमा की लाल वस्त्र पहन, लाल आसन पर बैठ, लाल पूजा सामग्रियां जिनमें लाल चंदन, लाल फूल, लाल वस्त्र, लाल अक्षत व फल शामिल हो, देवी को अर्पित करें।

- देवी को शहद मिलाकर दूध का भोग लगाएं और स्फटिक की माला से कम से 108 बार इस मंत्र का स्मरण कर अंत में देवी आरती करें -

ते सम्मता जनपदेषु धनानि तेषां तेषां

यशांसि न च सीदति धर्मवर्ग:।

धन्यास्त एव निभृतात्मजभृत्यदारा येषां

सदाभ्युदयदा भवती प्रसन्ना।।

इसमें देवी महिमा है कि कल्याणकारी मां दुर्गा जिस पर प्रसन्न होती वह सम्मानित, यशस्वी व वैभवशाली जीवन को प्राप्त करते हैं। साथ ही धर्म और पथभ्रष्ट न होकर स्वस्थ्य जीवन के साथ स्त्री, संतान व सेवक का सुख भी प्राप्त कर धन्य हो जाते हैं।

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