मंगलवार, 29 नवंबर 2011

चीन-पाक से निपटने की भारत की बड़ी तैयारी? 4 साल में खरीदे सबसे ज़्यादा हथियार



नई दिल्ली. पाकिस्तान से दशकों पुराने तनाव, चीन के आक्रामक रवैये और नक्सली समस्या को ध्यान में रखते हुए भारत अपनी सैन्य ताकत बढ़ा रहा है। चीन और उसके सहयोगी पाकिस्तान की तरफ से बढ़ती खतरे की आशंकाओं के मद्देनज़र भारत ने तेजी से अपनी ताकत बढ़ानी शुरू कर दी है। जानकारों का मानना है कि भारत अपने पड़ोसियों (खासकर चीन) के साथ हथियारों की होड़ में न सिर्फ चुनौती दे रहा है बल्कि कई रणनीतिक मामलों में वह उन पर भारी भी पड़ रहा है।

समुद्र के सामरिक महत्व और चीन के दक्षिण पूर्व एशिया के समुद्री इलाकों में बढ़ते असर को देखते हुए भारत ने समंदर में अपनी ताकत बढ़ाने का फैसला किया है। इसी साल अगस्त में चीन के जहाज ने भारत के जहाज को वियतनाम के पास दक्षिण चीन सागर में मौजूदगी की वजह पूछी थी। जानकारों के मुताबिक यह घटना दक्षिण एशिया में भारत और चीन जैसे देशों के बीच होड़ को समझने के लिए काफी है। दुनिया में असरदार देश बनने की ओर बढ़ रहे दक्षिण पूर्व एशिया के देश पहले क्षेत्रीय स्तर पर बड़ी ताकत बनना चाहते हैं।

भारत इस समय हथियार आयात करने के मामले में दुनिया का अव्वल देश है। हथियारों की खरीदफरोख्त पर नज़र रखने वाले संगठन सिपरी की 2011 की रिपोर्ट के मुताबिक 2006 और 2010 के बीच दुनिया में हुई हथियारों की खरीद का 9 फीसदी हिस्सा अकेले भारत के हिस्से में है। सिपरी के मुताबिक भारत ने अपने ज़्यादातर हथियार रूस से खरीदे हैं।

वॉशिंगटन स्थित सेंटर फॉर स्ट्रेटेजिक एंड इंटरनेशनल स्टडीज के आकलन के मुताबिक भारत ने अपनी सेनाओं के आधुनिकीकरण पर 2015 तक 80 अरब डॉलर (करीब 40 खरब रुपये) खर्च करने की योजना बनाई है। विशेषज्ञ मानते हैं कि भारत अपनी समुद्री ताकत को बढ़ाने पर खासा जोर दे रहा है। मैरीटाइम एनालिसिस फर्म एएमआई इंटरनेशनल के एक आकलन के मुताबिक अगले 20 सालों में भारत 103 नए जंगी जहाजों (इसमें परमाणु हथियारों से लैस पनडुब्बियां भी शामिल) पर 45 अरब डॉलर का खर्च करेगा। वहीं, इस दौरान चीन 135 जंगी जहाजों पर महज 25 अरब डॉलर (करीब 12 खरब रुपये) खर्च करेगा।

जानकार यह भी मानते हैं कि भारत के लिए राहत की बात यह है कि अमेरिका भारत की बढ़ती सामरिक ताकत से ज़्यादा चिंतित नहीं है। अमेरिका के लिए ज़्यादा चिंता की बात चीन की सामरिक शक्ति है। इस तथ्य के बावजूद कि भारत सबसे ज़्यादा हथियार रूस से खरीदता है, अमेरिका के रक्षा मुख्यालय पेंटागन की 2010 डिफेंस रिव्यू में हिंद महासागर के अलावा अंतरराष्ट्रीय मामलों में भारत की बढ़ती भूमिका का स्वागत किया था। सिर्फ समंदर ही नहीं, आसमान और जमीन पर भी नज़र
भारत सिर्फ अपनी नौसेना को ही आधुनिक नहीं बना रहा है। बल्कि उसकी नज़र आसमान पर भी है। यही वजह है कि भारत ने अपनी वायुसेना को भी आधुनिक बनाने की महत्वाकांक्षी योजना पर अमल करना शुरू कर दिया है।

126 आधुनिक जंगी विमान
भारत करीब 126 आधुनिक जंगी विमान खरीदने की योजना बना रहा है। भारतीय वायुसेना ने इस खरीदारी के लिए दो विमानों को विचार के लिए चुना है। इनमें रफाल और टायफून विमान शामिल हैं। दोनों विमान अमेरिका के एफ-16 विमानों को टक्कर दे सकते हैं। अमेरिका ने एफ-16 विमान पाकिस्तान को भी दिए हैं। जानकारों का मानना है कि भारतीय वायुसेना इनमें से किसी का भी चुना करे, दोनों भारतीय सैन्य क्षमताओं को नई ऊंचाई देंगे और भारत दुनिया के उन देशों की कतार में खड़ा हो जाएगा जो आधुनिक जंगी विमानों से लैस हैं। द रफाल को फ्रांस की दसाल्ट एविएशन ने बनाया है। जबकि यूरो फाइटर टायफून को यूरोप के चार देशों (ब्रिटेन, इटली, जर्मनी और स्पेन) की एक संयुक्त कंपनी यूरो फाइट ने तैयार किया है।
लाइट कॉम्बैट हेलीकॉप्टर
लाइट कॉम्बैट हेलीकॉप्टर (एलसीएच) दुनिया के आधुनिकतम लड़ाकू हेलीकॉप्टरों में से एक है। इसे हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) ने विकसित किया है। 2013 तक यह हेलीकॉप्टर भारतीय वायुसेना के जंगी बेडे़ में शामिल हो जाएगा। एलसीएच के पास दुश्मन का मुकाबला करने के लिए जबर्दस्त क्षमताएं हैं। इसमें स्टेल्थ विमानों के भी गुण हैं, जिसका मतलब है कि इसकी उड़ान को रडार के जरिए भांपा नहीं जा सकता है। इस हेलीकॉप्टर का वजन 5800 किलो है। यह हेलीकॉप्टर 268 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से हवा में उड़ सकता है। इसमें 20 मिमी की टरेट गन है, जो दुश्मन के ठिकाने को भेद सकता है। यह हेलीकॉप्टर दायें, बायें, नीचे और सबसे अहम पीछे की तरफ उड़ सकता है। जानकार मानते हैं कि इस हेलीकॉप्टर की खूबियां दुनिया में सबसे आधुनिक और उन्नत माने जा रहे अमेरिका के ब्लैक हॉक हेलीकॉप्टर को टक्कर दे सकती हैं। कुछ मायनों में जानकार इसे ब्लैक हॉक से भी बेहतर बता रहे हैं। गौरतलब है कि अमेरिका ने ब्लैक हॉक हेलीकॉप्टर का इस्तेमाल इसी साल मई में ओसामा बिन लादेन को मारने में किया था।
मिग 29 के
मिग 29 के लड़ाकू विमान नौसेना के पास होगा। एडमिरल गोर्शकोव को आधुनिक आईएनएस विक्रमादित्य के तौर विकसित किया जा रहा है। 2012 के अंत या 2013 की शुरुआत तक विक्रमादित्य के नौसेना में शामिल होने पर मिग 29 के को आईएनएस विक्रमादित्य पर तैनात कर दिया जाएगा। मिग-29 के, पुराने मिग-29 से 30 फीसदी ज़्यादा भारी है। मिग-29 के एंटी एयरक्राफ्ट बीयॉन्ड विजुअल रेंज मिसाइल, स्मार्ट गाइडेड बम और रॉकेट से लैस है। इस लड़ाकू विमान के पंखों को फोल्ड किया जा सकता है। नेवी के आईएनएस विक्रमादित्य जहाज पर इसकी तैनाती के लिहाज से यह अहम खासियत साबित हो सकती है। मिग-29 के सिंगल सीट वाला लडा़कू विमान है। यह विमान फरवरी, 2010 में नौसेना के बेड़े में शामिल हो चुका है।
आधुनिक जंगी टैंक अर्जुन मार्क 2
अगली पीढ़ी का आधुनिक जंगी टैंक। भारत में डीआरडीओ ने इसे विकसित किया है। इसका ट्रायल चल रहा है। सेना उम्मीद जता रही है कि जून, 2012 तक यह टैंक उनके बेडे़ में शामिल होगा। इसे बनाने के लिए अर्जुन के पहले संस्करण में कई बदलाव किए गए हैं। पुराने अर्जुन टैंक में पहले नाइट विज़न नहीं था। डिजीटल कंट्रोल है। टैंक के कमांडर को बड़े 90 बदलाव किेए गए हैं। रूस के टी-90 को कड़ी टक्कर दे सकता है। अर्जुन मार्क 2 को रूस के टी-90 टैंक से बेहतर माना जा रहा है।

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