शनिवार, 29 अक्टूबर 2011

जय जय राज स्थान .चार हाथ घूँघट के....तस्वीरों में देखें

















कितरो कितरो रे करां म्हें बखाण, कण कण सूं गूंजे,जय जय राज स्थान ... धर कुंचा भई धर मंजलां धर कुंचा भई धर मंजलां धर मंजलां भई धर मंजलां कोटा बूंदी भलो भरतपुर अलवर अर अजमेर पुष्कर तीरथ बड़ो की जिणरी महिमा चारूं मेर दे अजमेर शरीफ औलिया नित सत ...

चार हाथ घूँघट के, पीछे, कैसा है तेरा संसार. जो तुमने इसमें छुपकर, लाखों जीवन दिए गुज़ार.. वो नभ का सुथरा नीलापन, मैला सा लगता होगा. वो धवल चन्द्रमा भी शायद, धुंधला सा दिखता होगा. जब भीना सा घूंघट कोई, मर्यादा का .

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