रविवार, 30 अक्तूबर 2011

ऑनर किलिंग : प्रेमी के साथ बेटी की हत्या कर शव फांसी पर लटकाए


टीकमगढ़. मुरैना जिले के लहर गांव में एक विवाहित महिला को अमानीय ढंग से पीटकर फांसी पर लटकाने और चिता में जिंदा जला देने की घटना लोग भूल पाते कि जिले के दिगौड़ा थाना क्षेत्र में एक और प्रेमी जोड़ा ऑनर किलिंग का शिकार हो गया। रानीगंज पंचायत क्षेत्र के फिरोजपुरा गांव में एक खेत पर आपत्तिजनक स्थित में पकड़े गए प्रेमी जोड़े की हत्या कर शव फांसी पर लटका दिए गए हैं। बाद में युवती के परिजन इस घटना को नाटकीय मोड़ देते हुए आत्महत्या करार देने में लग गए। पुलिस ने दोनों शवों को जब्त कर जिला अस्पताल में पीएम के लिए भेजा है। यहां डाक्टरों की टीम से शवों के पीएम कराए गए हैं।

दिगौड़ा थाना क्षेत्र की ग्राम पंचायत रानीगंज के फिरोजपुरा गांव निवासी जयराम नापित की 18 वर्षीय बेटी सुलोचना नापित का प्रेम प्रसंग पास के ही गांव बम्हौरी बराना निवासी थाम सिंह दांगी के बेटे22 वर्षीय सुरेंद्र सिंह दांगी से लंबे समय से चल रहा था। शनिवार को सुरेंद्र लोगों से छिपकर सुलोचना के खेत पर उससे मिलने पहुंचा था। यह खेत सुलोचना के परिजन बटाई पर लिए हैं। खेत में बने पक्के मकान में ही जयराम का परिवार रहता है। खेत में बने कमरे में जब यह दोनों मौजूद थे, उसी दौरान युवती की मां रानी नापित ने इन्हें आपत्तिजनक स्थिति में देख लिया।

युवती की मां ने तुरंत कमरे की बाहर से कुंडी लगाकर इन्हंे बंद कर दिया और अपने परिजनों व गांव वालों को बुलाने चली गई। रात में ही गांव में पंचायत बुलाई गई और इसके बाद जो हुआ वह राज इस गांव के लोगों के सीने में दफन हो गया। युवती के परिजनों ने सुबह 4 बजे दिगौड़ा पुलिस को युवक-युवती के फांसी लगाने संबंधी घटना का हवाला देकर सूचना दी। सुबह 7 बजे पुलिस मौके पर पहुंची तो पूरा मामला बताई गई सूचना के विपरीत था। पुलिस को मकान का दरवाजा अंदर से बंद मिला। पर उसमें इतनी जगह थी कि कोई भी बाहर से हाथ डालकर उसे बंद कर सकता था। कमरे के अंदर एक कंडोम भी बरामद हुआ है। शवों की स्थिति और मौके की परस्थितियों को भांपकर पुलिस ने इस पूरे मामले को गंभीरता से लेकर जांच शुरू कर दी है। एसपी आकाश ¨जदल का कहना है कि उनके पास ऑनर किलिंग को लेकर कोई जानकारी नहीं आई है। इस मामले की बारीकी से जांच की जा रही है।

गांव वाले जुवान खोलने तैयार नहीं :

रानीपुरा ग्राम पंचायत से लेकर फिरोजपुरा गांव में ऑनर किलिंग की घटना के बाद से मातमी सन्नाटा पसरा हुआ है। गांव के जिन लोगों को साथ लेकर सुलोचना की मां और परिजन खेत पर गए थे, वे ही अब कुछ भी बोलने के लिए तैयार नहीं है। गांव के हर व्यक्ति के पास सीधा एक सा रटारटाया जवाब है कि पता नहीं क्या हुआ, हम क्या बता दें। गांव के बच्चों को यह तो पता है कि रात में पंचायत जुटी थी, पर किसके लिए और क्या हुआ उन्हें नहीं पता। इस गांव की महिलाएं पंचायत के फैसले को लेकर आपसी बात-चीत में जो आशंका जता रहीं थी उसकी सच्चई शायद युवक-युवती के एक साथ मिले शव के रूप में थी। हालांकि कोई सीधे तौर पर यह कहने तैयार नहीं था कि रात में जुटी पंचायत में ऐसा क्या फैसला हुआ कि सुबह सुलोचना और सुरेंद्र फांसी पर लटके मिले।

युवती की मां ने सुनाई अपनी कहानी :

प्रेमी जोड़े को खेत के मकान मंे आपत्तिजनक स्थिति में सबसे पहले सुलोचना की मां रानी नापित ने देखा था। रानी नापित ने पुलिस को दिए बयान में बताया कि गांव के ही एक दांगी परिवार का खेत वह बटाई पर लेकर खेती करती है। शनिवार शाम वह खेत में बिजली पंप से सिंचाई कर रही थी। तभी रात करीब 9 बजे अचानक बिजली चली जाने पर वह कमरे में गई तो वहां उसे किसी की मौजूदगी की आहट मिली। इस पर उसने दरवाजे की कुंडी बाहर से बंद कर दी और गांव वालों को बुलाने चली गई। रानी नापित की अनुसार जब रात करीब 2 बजे वह गांव वालों और परिजनों को लेकर खेत पर पहुंची तो दरवाजा अंदर से बंद था। अंदर झांककर देखा तो उसकी बेटी और सुरेंद्र फांसी पर लटके थे। इस पर उन्होंने दिगौड़ा थाना पुलिस को रात 3 बजे के बाद सूचना दी।

घटना की पूरी कहानी ही संदिग्ध :
युवती की मां रानी नापित की कहानी पर पुलिस विश्वास नहीं कर पा रही है। जिस कमरे में युवक-युवती के शव मिले हैं उसके दरवाजे में हाथ डालकर कोई भी अंदर की कुंडी लगा सकता है। साथ ही जिस अवस्था में शव फांसी पर लटके थे उसे देखकर कोई भी इसे आत्महत्या नहीं कह सकता। दोनों शव एक ही रस्सी से लटके मिले और उनके पैर जमीन में लगे थे। इस मामले मंे यह भी काबिलेगौर है कि जब सुलोचना की मां बाहर से दरवाजे की कुंडी लगा के चली गई थी तो इन दोनों के लिए यहां से दरवाजा-खिड़की तोड़कर भागने का पर्याप्त मौका था। वहीं मृतक सुरेंद्र के पास मोबाइल भी उपलब्ध था, जिससे वह अपने परिजनों या परिचितों से मदद मांग सकता था। क्योंकि सुरेंद्र एसडीटी दुकान चलाता था और अपने पास हर समय मोबाइल रखता था। हालांकि घटना स्थल से सुरेंद्र का मोबाइल नहीं मिला है। रानी नापित की यह बात भी अविश्वसनीय है कि वह रात 9 बजे कुंडी लगाकर गई और रात 2 बजे घटना स्थल पर पहुंच पाई। जबकि खेत खत्म होते ही सौ कदम की दूरी पर ही गांव और उसका घर है। इतनी दूरी तय करने में रानी, उसके परिजनों और गांव वालों को छह घंटे का समय कैसे लग गया।

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