रोज पत्थर खाती है ओसा बाई

रोज पत्थर खाती है ओसा बाई

बांसवाड़ा( राजस्थान)। पेट की अगन के आगे मनुष्य कितना बेबस हो जाता है इसकी बानगी जिले के सज्जनगढ़ पंचायत समिति के लासोटिया गांव में देखी जा सकती है। यहां निवासरत 38 वर्षीय ओसा बाई पत्थर ऎसे चबाती है, जैसे किसने गरमा-गरम चपातियां उसकी थाली में परोस दी हों। 18 वर्ष की आयु में गरीबी से जुझने के दौरान अनायास ही वे पत्थर खाने लगी थी, ऎसा स्वाद लगा कि आज उसकी आदत में पत्थर खाना शुमार हो चुका है। वे अब प्रतिदिन आधा किलो पत्थर चट कर जाती है।

छह बच्चों की मां ओसा बाई ने  को बताया कि उन्हें पत्थर खाने की आदत पड़ चुकी है। उसका पति गुजरात में रोजगाररत है और अब खाने के लिए घर में पर्याप्त अन्न तो है, लेकिन आदत के आगे वे स्वयं को बेबस बताती है। साथ ही उसने बताया कि उसे पत्थर खाने के दौरान किसी प्रकार का दर्द नहीं होता और वे फिलहाल स्वयं को स्वस्थ्य बताती है।

घातक है, उपचार जरूरी
डा. हरीश शर्मा का कहना है कि लगातार पत्थर या मिट्टी खाने से शरीर की प्रतिरोधी क्षमता भी खत्म हो जाती है। पत्थर के साथ बैक्टीरिया, धूल, प्रदूषित कण शरीर में जाते हैं। आंत का मार्ग अवरूद्ध होने के साथ ही आंत का लकवा भी हो सकता है। पेट भी फूलने लगता है। इसका उपचार जरूरी है।

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