शनिवार, 1 अक्तूबर 2011

खंडहर में तब्दील हो रहा हर्षा देवल

खंडहर में तब्दील हो रहा हर्षा देवल
बिलाड़ा  हर्ष गांव में सदियों पूर्व बना ऐतिहासिक हर्षा देवल मंदिर देखरेख के अभाव में खंडहर हो रहा है। पुरातत्व विभाग ने इस मंदिर का अधिग्रहण तो कर लिया ,लेकिन इसके जीर्णोद्धार के नाम पर दो दशक में एक कौड़ी भी खर्च नहीं की। ऐसे में यह दिनों दिन जर्जर होता जा रहा है।

शिल्प व स्थापत्य की बेजोड़ मिसाल हर्षा देवल की ओर पुरातत्व विभाग ध्यान नहीं दे रहा है। इस मंदिर को देखते के लिए देश के कोने कोने से श्रद्धालु आते हैं। यहां की बारीक कारीगरी दर्शनीय है। अपने समय में वैभवशाली रहा मंदिर वर्षों से रखरखाव नहीं होने की वजह से खंडहर में तब्दील हो रहा है। कस्बेवासियों व जागरूक लोगों ने कई बार पुरातत्व विभाग से मंदिर के जीर्णोद्धार की गुहार लगाई, मगर विभाग की आंख नहीं खुली।

हर्षवर्धन की बहन हर्षा ने बनाया था

यह प्रसिद्ध मंदिर राजा हर्षवर्धन की बहन हर्षा ने बनवाया था। इस मंदिर में स्थापित शिवलिंग की पूजा अर्चना करने आज भी देश भर से श्रद्धालु आते हैं। यहां लगे शिलालेख के अनुसार हर्षा ने विक्रम संवत 1335 में इस मंदिर का निर्माण करवाया था । देवल के पास सुंदर बावड़ी है। इसके एक किनारे पर महिषासुर मर्दिनी की प्रतिमा है । देवी का यह स्थान एक बार ढह गया था, जिसे स्थानीय व्यापारियों ने ठीक करवाया । यहां की बावड़ी भी काफी गहरी है, यह अब रेत से भर गई है। यहां खड़े खंभों पर सुंदर प्रतिमाएं उकेरी गई है। पुरातत्व विभाग इस ऐतिहासिक धरोहर की सार-संभाल नहीं कर पाया है। यहां के पुजारी ने बताया कि वर्ष में दो- तीन बार पुरातत्व विभाग के अधिकारी या कर्मचारी आते हैं, लेकिन वे इसके जीर्णोद्धार की दिशा में कोई कदम नहीं उठा रहे।

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