शनिवार, 1 अक्टूबर 2011

Aum Jai Ambe Gauri - Anuradha Paudwal

आरती जय अम्बे गौरी

जय अम्बे गौरी, मैया जय श्यामा गौरी।
तुम को निस दिन ध्यावत, (+मैयाजी को निस दिन ध्यावत)
हरि ब्रह्मा शिवजी। बोलो जय अम्बे गौरी…

माँग सिन्दूर विराजत, टीको मृग मद को।
(+मैया टीको मृगमद को)
उज्ज्वल से दो नैना, चन्द्रवदन नीको॥
बोलो जय अम्बे गौरी…

कनक समान कलेवर, रक्ताम्बर साजे।
(+मैया रक्ताम्बर साजे)
रक्त पुष्प गले माला, कण्ठ हार साजे॥
बोलो जय अम्बे गौरी…

केहरि वाहन राजत खड्ग कृपाण धारी।
(+मैया खड्ग कृपाण धारी)
सुर नर मुनि जन सेवत, तिनके दुख हारी॥
बोलो जय अम्बे गौरी…

कानन कुण्डल शोभित, नासाग्रे मोती।
(+मैया नासाग्रे मोती)
कोटिक चन्द्र दिवाकर, सम राजत ज्योति॥
बोलो जय अम्बे गौरी…

शम्भु निशम्भु बिडारे, महिषासुर धाती।
(+मैया महिषासुर धाती)
धूम्र विलोचन नैना, निशदिन मदमाती॥
बोलो जय अम्बे गौरी…

चण्ड मुण्ड विनाशिनी, शोणित बीज हरे।
(+मैया शोणित बीज हरे)
मधु कैटभ दोउ मारे, सुर भय दूर करे॥
बोलो जय अम्बे गौरी…

ब्रह्माणी रुद्राणी, तुम कमला रानी।
(+मैया तुम कमला रानी)
आगम निगम बखानी, तुम शिव पटरानी॥
बोलो जय अम्बे गौरी…

चौंसठ योगिन गावत, नृत्य करत भैरों।
(+मैया नृत्य करत भैरों)
बाजत ताल मृदंग, और बाजत डमरू॥
बोलो जय अम्बे गौरी…

तुम हो जग की माता, तुम ही हो भर्ता।
(+मैया तुम ही हो भर्ता)
भक्तन की दुख हर्ता, सुख सम्पति कर्ता॥
बोलो जय अम्बे गौरी…

भुजा चार अति शोभित, वर मुद्रा धारी।
(+मैया वर मुद्रा धारी)
मन वाँछित फल पावत, देवता नर नारी॥
बोलो जय अम्बे गौरी…

कंचन थाल विराजत, अगर कपूर बाती।
(+मैया अगर कपूर बाती)
माल केतु में राजत, कोटि रतन ज्योती॥
बोलो जय अम्बे गौरी…

माँ अम्बे (+जी) की आरती, जो कोई नर गावे।
(+मैया जो कोई नर गावे)
कहत शिवानन्द स्वामी, सुख सम्पति पावे॥
बोलो जय अम्बे गौरी…

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