नई दिल्ली भ्रष्टाचार के मामलों में विपक्षी दलों और सिविल सोसायटी के हमलों का निशाना बनी मनमोहन सिंह सरकार ने नौकरशाही पर लगाम कसने के लिए जबरन रिटायरमेंट और रिटायर होने के बाद पेंशन में कटौती का महत्वपूर्ण फैसला लिया है। भ्रष्टाचार पर वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी की अध्यक्षता वाले मंत्री समूह की पहली रिपोर्ट में ये सिफारिशें की गई हैं, जिन्हें सरकार तत्काल लागू करने जा रही है।
नई व्यवस्था के तहत पेंशन में 10 % की मामूली कटौती 5 साल के लिए और कड़ी सजा के तौर पर कटौती उम्र भर हो सकती है। सूत्रों के अनुसार, भ्रष्टाचार के दोषी लोक सेवकों के मामलों को फास्ट ट्रैक कोर्ट में निपटाया जाएगा। ऐसी 71 स्पेशल सीबीआई कोर्ट में से बाकी 61 कोर्ट तेजी से बनाने के लिए यह मामला राज्य सरकारों के समक्ष उठाने और हर चौथे महीने इसकी समीक्षा का फैसला किया गया। सरकार ने परामर्श संबंधी प्रक्रिया को कुछ स्तरों पर खत्म करने का भी फैसला लिया है। लोकसेवकों पर मुकदमे की मंजूरी मिलने में देरी को ध्यान में रखते हुए मंत्री समूह का मानना है कि यह बहुत जरूरी है कि मंजूरी के बारे में निर्धारित 3 महीने में फैसला लिया जाना चाहिए। संबंधित अथॉरिटी से इसकी मंजूरी नहीं मिलने पर अगली अथॉरिटी से मंजूरी मांगी जा सकती है। अगर यह अथॉरिटी मंत्री है और मंजूरी नहीं देता, तो इसका आदेश 7 दिन के अंदर प्रधानमंत्री के पास जमा करना होगा। हर मंत्रालय और विभाग के सचिव कैबिनेट को बताएंगे कि मंजूरी का कोई भी आवेदन 3 महीने से ज्यादा लंबित नहीं है।
गौरतलब है कि इन दिनों सरकार पर मजबूत लोकपाल बिल बनाने का भारी दबाव है, जिसके तहत राजनीतिक भ्रष्टाचार के अलावा नौकरशाही में फैले भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाने की मांग सब तरफ से की जा रही है। माना जा रहा है कि सरकारी कर्मचारी के लिए रिटायरमेंट के बाद भी जुर्माने का कानून भ्रष्टाचार को रोकने में अहम भूमिका निभाएगा, जबकि अभी तक ऐसे मामलों में रिटायरमेंट के करीब पहुंचे सरकारी कर्मचारी को मामूली जुर्माने के बाद छोड़ दिया जाता है या फिर सभी लाभों के साथ रिटायर कर दिया जाता है, जिसे बदलकर पेंशन में 20 प्रतिशत कटौती के साथ जबरन रिटायरमेंट में बदला जा सकता है। हालांकि काम नहीं करने पर जबरन रिटायर किए जा रहे अफसरों की पेंशन में कटौती नहीं की जाएगी।
नई व्यवस्था के तहत पेंशन में 10 % की मामूली कटौती 5 साल के लिए और कड़ी सजा के तौर पर कटौती उम्र भर हो सकती है। सूत्रों के अनुसार, भ्रष्टाचार के दोषी लोक सेवकों के मामलों को फास्ट ट्रैक कोर्ट में निपटाया जाएगा। ऐसी 71 स्पेशल सीबीआई कोर्ट में से बाकी 61 कोर्ट तेजी से बनाने के लिए यह मामला राज्य सरकारों के समक्ष उठाने और हर चौथे महीने इसकी समीक्षा का फैसला किया गया। सरकार ने परामर्श संबंधी प्रक्रिया को कुछ स्तरों पर खत्म करने का भी फैसला लिया है। लोकसेवकों पर मुकदमे की मंजूरी मिलने में देरी को ध्यान में रखते हुए मंत्री समूह का मानना है कि यह बहुत जरूरी है कि मंजूरी के बारे में निर्धारित 3 महीने में फैसला लिया जाना चाहिए। संबंधित अथॉरिटी से इसकी मंजूरी नहीं मिलने पर अगली अथॉरिटी से मंजूरी मांगी जा सकती है। अगर यह अथॉरिटी मंत्री है और मंजूरी नहीं देता, तो इसका आदेश 7 दिन के अंदर प्रधानमंत्री के पास जमा करना होगा। हर मंत्रालय और विभाग के सचिव कैबिनेट को बताएंगे कि मंजूरी का कोई भी आवेदन 3 महीने से ज्यादा लंबित नहीं है।
गौरतलब है कि इन दिनों सरकार पर मजबूत लोकपाल बिल बनाने का भारी दबाव है, जिसके तहत राजनीतिक भ्रष्टाचार के अलावा नौकरशाही में फैले भ्रष्टाचार पर अंकुश लगाने की मांग सब तरफ से की जा रही है। माना जा रहा है कि सरकारी कर्मचारी के लिए रिटायरमेंट के बाद भी जुर्माने का कानून भ्रष्टाचार को रोकने में अहम भूमिका निभाएगा, जबकि अभी तक ऐसे मामलों में रिटायरमेंट के करीब पहुंचे सरकारी कर्मचारी को मामूली जुर्माने के बाद छोड़ दिया जाता है या फिर सभी लाभों के साथ रिटायर कर दिया जाता है, जिसे बदलकर पेंशन में 20 प्रतिशत कटौती के साथ जबरन रिटायरमेंट में बदला जा सकता है। हालांकि काम नहीं करने पर जबरन रिटायर किए जा रहे अफसरों की पेंशन में कटौती नहीं की जाएगी।
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