बाडमेर आधुनिक बनने की होड़ में शायद ही कोई ऐसा चेहरा बचा हो, जो सौंदर्य प्रसाधनों का उपयोग न करता हो. चेहरे को तमाम सौंदर्य प्रसाधनों के जरिए निखार कर आधुनिक बालाएं अल्प समय की सुंदरता पाकर निहाल हो उठती हैं और इसी अल्प समय की सुंदरता के बलबूते सौंदर्य प्रतियोगिताओं के ताज पहन रही हैं. मगर, के बाड़मेर जिले की अत्यन्त खूबसूरत ग्रामीण बालाओं की नैसर्गिक सुंदरता के आगे मेकअप के बूते हासिल किया गया उधार का हुस्न फीका लगता हैं राजस्थान.
ग्रामीण क्षेत्रों में नैसर्गिक सौंदर्य यहां की बालाओं की विशेष पहचान है. शादी - ब्याह के अवसरों पर 'वे' के बजाय कुदरती चीजों का इस्तेमाल करती हैं कॉस्मेटिक. मुल्तानी (मिट्टी स्थानीय भाषा में जिसे मेट कहा जाता हैं) व चूरी भाटे से ही मेकअप किया है जाता. सैंकडो प्रकार के - देसी विदेशी श्रृंगार प्रसाधनों से सजी - धजी शहरी बालाओं का सौंदर्य ग्रामीण परिवेश में पली - बढ़ी बालाओं के प्राकृतिक चीजों से किए गए सौंदर्य के आगे फीका लगता है. हस्तनिर्मित एवं फुटपाथ पर गौर बंजारनो से खरीद गए श्रृंगार प्रसाधनों के उपयोग से नुमाया हुई खूबसूरती का कोई साईड इफेक्ट नही है और न ही इसके उतर जाने पर सौंदर्य धुंधला पडता हैं.
बाड़मेर की विश्वप्रसिद्ध मुल्तानी मिट्टी एक बेहतरीन प्राकृतिक सौंदर्य प्रसाधन है. मुल्तानी मिट्टी का चूर अन्तरराष्ट्रीय बाजारों की - बडी बडी दुकानों में महंगी कॉस्मेटिक सामग्री के रूप में मिलता है. यह मिट्टी त्वचा को स्वच्छ व गोरी बनाने में चमत्कारी कार्य करती है. मुल्तानी मिट्टी 'की मेट' बाथ तेजी से लोकप्रिय हो रही है. बाड़मेर में निर्यात 'होकर' मुल्तानी मिट्टी शहरों में भड़कीले पैकेटों में पैक होकर खुशबूदार टेलकम पाउडर के रूप में बिकती है बेन्टोनाईट. मगर, आज भी ग्रामीण क्षेत्रों में बिना चंदन, मोगरे, गुलाब की महक के 'मनपसंद मेटबाथ' व चूरी भाटे का प्रयोग कर श्रृंगार करने वाली महिलाएं बिजलियां गिराने का माद्दा रखती हैं.
बाडमेर जिले में लगभग 6 'खानें' बेन्टोनाईट की हैं. मगर, नीतियों में आई विसंगतियों के कारण खानों का संचालन जोखिमभरा हो गया है सरकारी. खान मालिक भरत दवे बताते हैं कि खनिज विभाग द्वारा सीमित गहराई तक ही बेंटोनाईट के खनन की स्वीकृति देने के कारण पूरा खनन नहीं हो पाता, बीच में ही खदान बन्द करनी पडती हैं, जिसके कारण खान संचालकों को घाटा उठाना पडता है. देश भर में बेंटोनाईट की जबरदस्त मांग के बावजूद पर्याप्त आपूर्ति नही हो पा रही है.
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