शुक्रवार, 23 सितंबर 2011

राजस्व मंत्री का पीए बना कॉलोनाइजर!.... मंत्रीजी के पीए के अचानक मालामाल होने से कई सवाल खड़े हो गए हैं।

राजस्व मंत्री का पीए बना कॉलोनाइजर!

बाड़मेर। राजस्व मंत्री हेमाराम चौधरी का निजी सहायक सरकारी सेवा में भले ही सामान्य आय वाले बाबू (वरिष्ठ लिपिक) की हैसियत रखता हो, लेकिन इसके इतर उसकी हैसियत करोड़ों रूपए की जमीन के नए नवेले मालिक व कॉलोनाइजर की हो गई है। नौ महीने पहले उसकी ओर से खरीदी 80 बीघा में से 48 बीघा जमीन का राजस्व विभाग ने भू-उपयोग परिवर्तन कर दिया है। मात्र 16 दिन में हुई कन्वर्जन कार्यवाही को खुद राजस्व मंत्री चौधरी ने हरी झंडी दी। मंत्रीजी के पीए के अचानक मालामाल होने से कई सवाल खड़े हो गए हैं।

मंत्री के निजी सहायक अमृतलाल निवासी सेतराऊ (बाड़मेर) ने पिछले वर्ष तीन जून को बाड़मेर शहर से पांच किमी दूर महाबार ग्राम पंचायत में रणजीताराम वगैरह से करीब 80 बीघा कृषि भूमि खरीदी। डीएलसी दर से जमीन की कीमत 32 लाख रूपए हुई, लेकिन अमृतलाल ने इसकी खरीद 16 लाख रूपए बताई। रिकॉर्ड के अनुसार उसने एक लाख रू. स्टाम्प और 93,000 रूपए पंजीयन शुल्क के अदा किए।

फिर 31 दिसम्बर 2010 को 5.88 लाख रूपए भूमि रूपान्तरण शुल्क के रूप में जमा कराए। इस तरह करीब 24 लाख रूपए खर्च किए।

कीमत 13 करोड़
24 लाख रूपए में जमीन अमृतलाल के नाम हो गई। वास्तविकता में इस लोकेशन में वर्तमान में एक बीघा जमीन की कीमत करीब 16 लाख रूपए है। इस पूरी जमीन का बाजार मूल्य करीब 13 करोड़ रूपए बताया जाता है। एक वर्ष पहले यदि इसे एक चौथाई मूल्य में भी खरीदा गया होगा तो भी तीन करोड़ रूपए से अधिक अदा करने थे।

मात्र 16 दिन में कनवर्जन
अमृतलाल ने इस जमीन में से 48.9 बीघा का आवासीय कॉलोनी के लिए भू उपयोग परिवर्तन के लिए आवेदन किया। कलक्टर ने 18 अप्रेल को फाइल राज्य सरकार को भिजवाई। ठीक 16 दिन बाद चार मई को भूमि का रूपान्तरण हो गया।

स्वयं को बताया किसान
मंत्री के पीए ने जमीन की रजिस्ट्री में खुद को सरकारी कर्मचारी नहीं बल्कि किसान बताया। वह 11 वर्ष से शिक्षा विभाग में कनिष्ठ लिपिक है और सात साल से हेमाराम चौधरी का निजी सहायक है। इससे पहले करीब एक साल तत्कालीन शिव विधायक अमीनखां का निजी सहायक रहा।


सुलगते सवाल
मंत्री के पीए के पास इतना रूपया कहां से आया?
क्या मंत्री का पीए ही इस जमीन का वास्तविक मालिक है?
मंत्री के पीए की जमीन मात्र 16 दिन में कनवर्ट करने की मेहरबानी क्यों की गई?
सरकारी कर्मचारी होते हुए भी पीए ने खुद को किसान क्यों बताया?
कॉलोनाइजर के रूप में व्यवसाय करने के लिए विभागीय स्वीकृति क्यों नहीं ली?

मंत्री के पीए के पास इतना रूपया कहां से आया?
क्या मंत्री का पीए ही इस जमीन का वास्तविक मालिक है?
मंत्री के पीए की जमीन मात्र 16 दिन में कनवर्ट करने की मेहरबानी क्यों की गई?
सरकारी कर्मचारी होते हुए भी पीए ने खुद को किसान क्यों बताया?
कॉलोनाइजर के रूप में व्यवसाय करने के लिए विभागीय स्वीकृति क्यों नहीं ली?

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